जानिए क्यों चढ़ाया जाता है शिवलिंग पर जल , जल चढ़ाने के नियम एवं लाभ – Jalabhishek of Lord Shiva
Jalabhishek of Lord Shiva गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की भगवान शिव को भक्त अनेक नामों से पुकारते हैं अपने भक्तों द्वारा साधारण पूजा से प्रसन्न होने वाले भगवान शंकर को उनके भोले स्वभाव के कारण भोलेनाथ कहा जाता है. भगवान शिव की पूजा आराधना के लिए सोमवार का दिन समर्पित किया गया है. इस दिन भगवान भोलेनाथ के लिए व्रत कर मन चाहा वर पाया जा सकता है. महादेव को प्रसन्न करने के लिए बहुत ज़्यादा कठिन तप करने की आवश्यकता नहीं होती. उन्हें आप एक कलश जल और बेलपत्र चढ़ा कर प्रसन्न कर सकते हैं. Jalabhishek of Lord Shiva
सावन में शिव जी के जलाभिषेक की पौराणिक कथा
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार, सावन के महीने में ही समुद्र मंथन हुआ था. इस मंथन से सबसे पहले हलाहल विष निकला. उस विष के कारण चारों तरफ हाहाकार मच गया. अब समस्या यह थी कि उस विष का क्या होगा? इस संकट का क्या हल है? तब देवों के देव महादेव ने इस संकट से पूरी सृष्टि को बचाने का निर्णय लिया. संसार की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने विष को कंठ में धारण कर लिया. विष की वजह से कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए. विष का प्रभाव कम करने के लिए सभी देवी-देवताओं ने भगवान शिव को जल अर्पित किया, जिससे उन्हें राहत मिली.यह घटना सावन माह में हुई थी. इस वजह से हर साल सावन माह में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है, ताकि वे प्रसन्न हों और उनकी कृपा प्राप्त हो. इससे वे प्रसन्न हुए तभी से हर साल सावन मास में भगवान शिव को जल अर्पित करने या उनका जलाभिषेक करनी की परंपरा शुरू हो गई Jalabhishek of Lord Shiva
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम
★कभी भी शिवलिंग पर जल चढ़ाने में आपको गलत दिशा की ओर नहीं खड़े होना चाहिए। दक्षिण और पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। उत्तर दिशा को शिव जी का बायां अंग माना जाता है जहां माता पार्वती विराजमान हैं। इस दिशा की ओर मुख करके जल चढ़ाने से शिव और पार्वती दोनों की कृपा मिलती है।
★ जब भी आप शिवलिंग पर जल अर्पित करें हमेशा ध्यान में रखें कि आपको खड़े होकर जल अर्पित नहीं करना है। यदि आप खड़े होकर जल अर्पित करती हैं तो इसका फल नहीं मिलता है। बैठकर शिवलिंग पर जल अर्पित करना सबसे शुभ माना जाता है।
★ अगर आप शिवलिंग पर स्टील या लोहे के पात्र से जल चढ़ाती हैं तो ये शुभ नहीं माना जाता है। कभी भी ऐसे बर्तनों से शिवलिंग पर जल अर्पित न करें जिनमें किसी ऐसी धातु का इस्तेमाल किया गया हो। शिवलिंग पर जल हमेशा तांबे के लोटे से चढ़ाना ही शुभ माना जाता है।
★ इसके साथ ही आपको ये ध्यान में रखना है कि जब आप जल चढ़ाएं तो जलधारा टूटनी नहीं चाहिए और एक साथ ही जल अर्पित करना चाहिए। लेकिन यदि आप जल के स्थान पर दूध चढ़ा रही हैं तब तांबे के लोटे का इस्तेमाल न करें।
★ शिवलिंग पर शंख से जल न चढ़ाएं। शिव पूजन में शंख का इस्तेमाल वर्जित होता है क्योंकि एक पौराणिक कथा के अनुसार शिव जी ने एक बार शंखचूड़ राक्षस का वध किया था और मान्यता है कि शंख उसी राक्षस की हड्डियों से बना होता है।
★ यदि आप शिवलिंग पर जल अर्पित करती हैं तो आपको समय का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि आप जल प्रातः 5 से 11 बजे तक चढ़ाएंगी तो ये विशेष रूप से फलदायी होगा। कभी भी शाम के समय शिवलिंग पर जल न चढ़ाएं। ऐसा करने से शिव पूजन का फल नहीं मिलता है।
★ यदि आप शिव जी का जलाभिषेक कर रही हैं तो ध्यान रहे कि जल में अन्य कोई भी सामग्री न मिलाएं। ऐसी मान्यता है कि जल में कुछ भी मिलाने से जल की पवित्रता कम हो जाती है जिससे पूका का पूर्ण फल नहीं मिलता है।
★ यदि आप भी शिव कृपा पाने के लिए शिवलिंग पर जल अर्पित करती हैं तो आपको यहां बताई बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। Jalabhishek of Lord Shiva
इस विधि से शिवलिंग में चढ़ाएं जल
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार, भगवान शिव को जल चढ़ाते समय कुछ नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इसलिए कभी भी जल चढ़ाते समय तेज दारा न अर्पित करें, बल्कि धीरे-धीरे चढ़ाएं और शिव मंत्र का जाप करते रहें। तांबे, कांसे या फिर चांदी के पात्र में जल लेकर सबसे पहले जलहरी के दाईं ओर चढ़ाएं, जो गणेश जी का स्थान माना जाता है। जल चढ़ाते समय गणेश मंत्र को बोले। दाएं ओर जल चढ़ाने के बाद बाईं ओर जल चढ़ाएं। इसे भगवान कार्तिकेय का स्थान माना जाता है। दाएं और बाएं ओर चढ़ाने के बाद जलहरी के बीचों-बीच जल चढ़ाएं। इस स्थान को शिव जी की पुत्री अशोक सुंदरी की मानी जाती है। अशोक सुंदरी को जल चढ़ाने के बाद जलधारी के गोलाकार हिस्सा में जल चढाएं। इस स्थान को मां पार्वती का हस्तकमल होता है। अंत में शिवलिंग में धीरे-धीरे शिव मंत्र बोलते हुए जल चढ़ाएं। Jalabhishek of Lord Shiva
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लाभ
सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लाभ
भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार का दिन बहुत विशेष माना गया है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन शिवलिंग पर मात्र एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से ही भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। सोमवार के दिन शिवजी को अर्घ्य देने से सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा मानसिक शांति भी मिलती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना सबसे अच्छा उपाय होता है। कई गंभीर बीमारियों, संकटों और रूकावटों को दूर करने के लिए इस मंत्र का जाप बहुत ही असरदार माना गया है। Jalabhishek of Lord Shiva
मंगलवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे
मंगलवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति को सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
बुधवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लाभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बुधवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से विवाह में आने वाली अड़चने दूर होती हैं। वहीं वैवाहिक जीवन जीने वाले लोगों का जीवन सुख और शांति से बीतता है। Jalabhishek of Lord Shiva
गुरुवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने के फायदे
गुरुवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्यक्ति को शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन शिवलिंग पर जल अर्पित करने पर घर में मौजूद बच्चों की एकाग्रता में तेजी आती है। Jalabhishek of Lord Shiva
शुक्रवार को शिवलिंग पर जल अर्पित करने के फायदे
जो व्यक्ति नियमित रूप से शुक्रवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाता है उसको वैवाहिक जीवन में खुशियां प्राप्ति होती है और घर में होने वाले क्लेश से छुटकारा मिलता है। Jalabhishek of Lord Shiva
शनिवार के दिन जल चढ़ाने के लाभ
शिव पुराण के अनुसार शनिवार के दिन जो भक्त भगवान शिव को एक लोटा जल चढ़ाता है उसे अकाल मृत्यु के भय से छुटकारा मिल जाता है।
रविवार के दिन जल चढ़ाने के फायदे
रविवार के दिन जो शिवभक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाता है भगवान शिव उसके ऊपर बहुत ही प्रसन्न होते हैं और इसके अलावा माता लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती और घर में धन की कोई कमी नहीं रहती है। Jalabhishek of Lord Shiva
.Connect our all social media platforms:- Click Here
इस साल अधिकमास होने के कारण श्रावण मास 2 महीने तक रहेगा अर्थात भगवान् शिव की भक्ति के लिए अधिक समय मिलेगा 19 साल बाद ऐसा संयोग बनने से श्रावण मास का महत्व ओर अधिक बढ़ गया हर साल की तरह इस साल भी हमारे संस्थान में महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है अगर आप भी भगवान् शिव की कृपा पाना चाहते है तो इस महारुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर अपने नाम से रुद्राभिषेक करवाए यह रुद्राभिषेक गुरु माँ निधि जी श्रीमाली एवं हमारे अनुभवी पंडितो द्वारा विधि विधान से एवं उचित मंत्रो उच्चारण के साथ सम्पन्न होगा आज ही रुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर भगवान् शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करे एवं किसी भी अन्य दिन किसी भी प्रकार की पूजा , जाप एवं भगवान् शिव के महामृत्युंजय का जाप करवाना चाहते है तो हमारे संस्थान में संपर्क करे
जल्द सम्पर्क करे :- 9929391753