ऋषि पंचमी का महत्व जानिए ऋषि पंचमी के दिन क्या करे और क्या न करे – Rishi Panchami
Rishi Panchami गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है. इस बार यह त्यौहार 20 सितंबर को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में इसका व्रत करने का खास महत्व है. इस दिन महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करके सुख-शांति, समृद्धि का आशीर्वाद लेती है. इसी के साथ मान्यता है कि ऋषि पंचमी के साथ व्रत कथा का पाठ करने या फिर सुनने से सभी प्रकार के दोषों या पापों से मुक्ति मिल जाती है. Rishi Panchami
ऋषि पंचमी का महत्व
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार ये व्रत महिलाओं के लिए काफी खास होता है. इस व्रत को करने से हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है. कथा के अनुसार ऋषि पंचमी का व्रत महिलाओं के मासिक धर्म से संबंधित है. मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को धार्मिक कार्यों में शामिल होने की मनाही होती है. अगर कोई महिला मासिक धर्म के दौरान किसी पूजा आदि में शामिल हो जाती है, तो उसे कई दोषों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में ऋषि पंचमी के दिन व्रत करके महिला हर तरह के दोषों से छुटकारा पा सकती हैं. Rishi Panchami
पूजा का शुभ मुहूर्त
इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और 20 सितंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर इसका समापन होगा.सप्त ऋषियों की पूजा का शुभ मुहूर्त 20 सितंबर को सुबह 11.01 से दोपहर 01.28 के बीच रहेगा.
ऋषि पंचमी पूजन विधि |
ऋषि पंचमी का व्रत रखने वाले को गंगा में स्नान करना शुभ होता है. अगर किसी करणवश ऐसा संयोग नहीं बन रहा है तो घर नहाने वाले जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. पहले सुबह 108 बार मिट्टी से हाथ धोएं, गोबर की मिट्टी, तुलसी की मिट्टी, पीपल की मिट्टी, गंगाजी की मिट्टी, गोपी चंदन, तिल, आंवला, गंगाजल, गोमूत्र इन चीजों को मिलाकर हाथ-पैर धोए जाते हैं. इसके बाद 108 बार कुल्ला किया जाता है. इसके बाद नहाकर गणेशजी की पूजा की जाती है. गणेश पूजन के बाद सप्तऋषिओं का पूजन और कथा पढ़ी जाती है. पूजन के बाद केला, घी, चीनी व दक्षिणा रखकर ब्राह्मण या ब्राह्मणी को दान किया जाता है. दिन में एक बार भोजन किया जाता है. इसमें दूध, दही, चीनी और अनाज कुछ भी नहीं खाए जाते हैं. फल और मेवे के सेवन किया जा सकता है. Rishi Panchami
ऋषि पंचमी व्रत कथा |
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार राजा सिताश्व ने एक बार ब्रह्माजी से पूछा- पितामह, सब व्रतों में श्रेष्ठ और तुरंत फलदायक व्रत कौन सा है. उन्होंने बताया कि ऋषि पंचमी का व्रत सब व्रतों में श्रेष्ठ और पापों का विनाश करने वाला है. ब्रह्माजी ने कहा, हे राजन विदर्भ देश में एक उत्तंक नामक सदाचारी ब्राह्मण रहता था. उसकी पत्नी सुशीला पतिव्रता थी. उसके एक पुत्र और एक पुत्र थी। उसकी पुत्री विवाहोपरांत विधवा हो गई. दुखी ब्राह्मण दंपत्ति कन्या सहित गंगातट पर कुटिया बनाकर रहने लगे. कुछ समय बाद उंत्तक को मलूम हुआ कि उसकी पुत्री और जन्म में रजस्वला होने पर भी पूजा के बर्तनों को छू लेती थी. इससे इसके शरीर में कीड़े पड़ गए हैं. धर्म शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी और तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है. वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है. यदि यह शुद्ध मन से ऋषि पंचमी का व्रत करें तो पापमुक्त हो सकती है. पिता की आज्ञा से उसकी पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पचंमी का व्रत और पूजन किया. कहा जाता है कि व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई. साथ ही अगले जन्म में उसे अखंड सौभाग्य प्राप्त हुआ. Rishi Panchami
ऋषि पंचमी पर क्या करें :
1.ऋषि पंचमी सप्तऋषियों के साथ- साथ वशिष्ठ जी की पत्नी अरुंधति की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
2.ऋषि पंचमी का व्रत सात साल करने के बाद आठवें साल में सप्तऋषियों की सात सोने की मूर्ति बनाकर उसका ब्राह्मण को दान अवश्य करें।
3.ऋषि पंचमी के दिन देवी देवताओं की नहीं बल्कि सप्तऋषि की पूजा की जाती है।
4. सप्तऋषि की पूजा में अपने गोत्र के ऋषि का नाम लेकर अवश्य पूजा करें।
5. ऋषि पंचमी के दिन ब्राह्मण और गाय को भोजन अवश्य कराएं। Rishi Panchami
★ऋषि पंचमी पर क्या न करें :
1. ऋषि पंचमी के दिन व्रतधारी स्त्रियां ऋषि पंचमी के दिन जमीन में बोया अनाज ग्रहण न करें. इस व्रत में एक बार भोजन करने का विधान है. मोरधन, कंद, मूल का आहार कर व्रत करें. साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
2. ऋषि पंचमी के दिन नमक का प्रयोग नहीं किया जाता। ऐसा करने से यह व्रत खंड़ित हो जाता है।
3. ऋषि पंचमी के व्रत का उद्यापन महावारी खत्म होने के बाद ही करें। अगर आप इस व्रत का उद्यापन नहीं करती तो आपको इस व्रत का लाभ प्राप्त नहीं होगा।
4. ऋषि पंचमी का व्रत निर्जल रहकर किया जाता है। इस व्रत में जल भी ग्रहण नहीं किया जाता।
5. ऋषि पंचमी के दिन घर को गाय के गोबर से लिपना बिल्कुल भी न भूलें। Rishi Panchami
ऋषि पंचमी दान
ऋषि पंचमी के दिन व्रतधारी महिलाओं को सप्तऋषि की पूजा के बाद दान जरूर करना चाहिए, मान्यता है इससे व्रत का फल जल्द मिलता है. इस दिन किसी ब्राह्मण को केला, घी, शक्कर, केला का दान करें. साथ ही सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा दें. Rishi Panchami
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