जानिए सावन में महिलाओ का हरी चुडिया पहनने का महत्व तथा हरी चुडिया पहनने के पीछे तथ्य – Wearing green bangles in Sawan
Wearing green bangles in Sawan गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की सावन का महीना शुरू होते ही चारों ओर हरियाली नजर आने लगती है. हल्की-हल्की बारिश से मौसम भी सुहाना हो जाता है. इस महीने महिलाओं का खास पर्व हरियाली तीज भी होता है. लेकिन सावन में हरे रंग का गहरा संबंध होता है. इसका कारण यह है कि इस महीने वर्षाऋतु रहती. भीषण गर्मी के बाद जब बारिश होती है तो चारों ओर हरियाली ही हरियाली नजर आती है और हरे रंग को प्रकृति का रंग माना जाता है इस माह को केवल पूजा-पाठ और व्रत के लिए ही नहीं बल्कि श्रृंगार के लिए भी खास माना गया है. इस महीने महिलाएं मेहंदी लगाती हैं, झूला झलती है, श्रृंगार करती हैं और हरी-हरी चूड़ियां पहनती हैं. Wearing green bangles in Sawan
सावन में क्या है हरे रंग का महत्व?
हरे रंग को प्रेम, प्रसन्न और खुशी का प्रतीक माना जाता है. इसके चलते महिलाएं सावन में हरे रंग की चूड़ियां और अन्य श्रृंगार करके प्रकृति को धन्यवाद देते हुए अपनी खुशी का इजहार करती हैं. बता दें कि, हरा रंग सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, जिसके चलते इस माह लोग हरे रंग के वस्त्रों का धारण करते हैं. इस महीने भगवान शिव की पूजा करने से माता पार्वती और भगवान विष्णु का भी विशेष आशीर्वाद मिलता है. इस माह महिलाएं चूड़ी-कपड़ों के साथ ही हाथों में मेहंदी भी लगाती हैं. Wearing green bangles in Sawan
हरी चूड़ियां सुहाग की मानक
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार हरी चूड़ियां सुहाग की मानक हैं, सुहागिन महिलाएं लाल और हरी चूड़ियां अक्सर पहनती हैं। हरा रंग शिव जी को प्रिय है। माना जाता है कि जो स्त्रियां हरे रंग की चूड़ी पहनती हैं, उन पर शिव और पार्वती दोनों प्रसन्न होते हैं और वो उस महिला को अखंड सौभाग्यवती होने का आशीष देते हैं जिससे पति की आयु लंबी होती है इसी वजह से हरी चूड़ियां महिलाएं पहना करती हैं। Wearing green bangles in Sawan
शिव को क्यों पसंद है हरा रंग?
शंकर भगवान तो प्रकृति प्रिय हैं, सावन के महीने में चारों ओर हरियाली ही हरियाली ही रहती है, पेड़-पौधे धूले-धूले और सुंदर रहते हैं, जो मन को शीतलता प्रदान करते हैं इसी वजह से सावन और हरा रंग भोलेनाथ को पसंद है। भक्तगण अपने शिव-शंभू को खुश करने के लिए हरे रंग का श्रृंगार करते हैं और उन्हें भांग, धतूरा, बेलपत्र जैसी चीजें अर्पित करते हैं, जिनका रंग भी हरा ही होता है। Wearing green bangles in Sawan
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार सावन में महिलाओ का हरी चुडिया पहनने के पीछे तथ्य
- हरी चूड़ियां पहनने का ये परंपरागत रूप सावन में भगवान शिव और पार्वती के विवाह का प्रतीक होता है। मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन महिलाएं इन चूड़ियों को धारण करके भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करती हैं और अपने पति की दीर्घायु और खुशहाली की कामना करती हैं। ये परंपरा विवाहित महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है, जहां इसे अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल विवाहित जीवन की कामना करते हुए पहना जाता है।
- हरी रंग की चूड़ियां सावन के मौसम में उच्च संगीतलहरी और प्रकृति की खुशियों का प्रतीक मानी जाती हैं। यह चूड़ियां महिलाओं की सौंदर्य और स्त्रीलक्ष्मी को प्रदर्शित करती हैं और इसलिए उन्हें इस मौसम में पहनने का आदर्श माना जाता है।
- सावन महीने में भगवान शिव और उनकी पत्नी माँ पार्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। हरी चूड़ियां उनके प्रेम और विवाह के प्रतीक के रूप में पहनी जाती हैं, जो धार्मिक भावना और सम्मान का प्रतीक होते हैं।
- सावन महीने में हरी चूड़ियां धारण करना भारतीय संस्कृति में एक प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण परंपरा है। यह महिलाओं के लिए अपने पति के साथ लंबे और समृद्धिशाली जीवन की कामना को प्रकट करता है
- सावन के महीने में भारत में मॉनसून का समय होता है, जिसमें हरी रंग का महत्व होता है। हरी चूड़ियां पहनना मौसम के साथ संबंधित और मॉनसून की सुंदरता को दर्शाने का एक तरीका है। सौभाग्य और सुख की प्रतीक: हरी चूड़ियां सौभाग्य और सुख की प्रतीक मानी जाती हैं। सुहागिन महिलाएं इन्हें पहनकर अपने पति के दीर्घायु और समृद्ध जीवन की कामना करती हैं। इसके अलावा, यह भी संकेत करती हैं कि महिला विवाहित है और पति की सुरक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं।
- हरी चूड़ियां पहनने की परंपरा का एक और कारण समुद्र-मंथन कथा से जुड़ा है। समुद्र-मंथन में शिवजी ने हलाहल विष पीने से बचने के लिए गंगा जी को अपनी जटा में संग लिया था। जटा से निकलने वाली हरी विशाल धाराएं हरी चूड़ियों की शक्ति को दर्शाती हैं। Wearing green bangles in Sawan
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