जानिए शिव पंचाक्षरी मंत्र का अर्थ , उत्पति नियम एवं लाभ – Shiva Panchakshari Mantra
Shiva Panchakshari Mantra गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की श्रावण माह में स्वयं भगवान शिव माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी और अपने शिवगणों सहित पृथ्वी पर विराजते हैं। श्रावण का महीना शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस मास में वे अपने आराध्य भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। शिवपूजा का सर्वमान्य पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’,जो प्रारंभ में ॐ के संयोग से षडाक्षर हो जाता है, भगवान शिव को शीघ्र ही प्रसन्न कर देता है। हृदय में ‘ॐ नमः शिवाय’ का मंत्र समाहित होने पर संपूर्ण शास्त्र ज्ञान एवं शुभ कार्यों का ज्ञान स्वयं ही प्राप्त हो जाता है। यह मंत्र शिव तथ्य है जो सर्वज्ञ,परिपूर्ण और स्वभावतः निर्मल है इसके समान अन्य कोई नहीं है। भोले नाथ की कृपा पाने के लिए यह मंत्र बहुत प्रभावी है। Shiva Panchakshari Mantra
शिव पंचाक्षरी मंत्र
ॐ नमः शिवाय – “में परमात्मा शिव को नमस्कार करता हूँ।”
शिव पंचाक्षरी मंत्र की उत्पति
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार एक बार मां पार्वती भोलेनाथ से पूछती हैं कि कलियुग में समस्त पापों को दूर करने के लिए किस मंत्र का आशय लेना चाहिए? देवी पार्वती के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए भगवान शिव कहते हैं कि प्रलय काल में जब सृष्टि में सब समाप्त हो गया था, तब मेरी आज्ञा से समस्त वेद और शास्त्र पंचाक्षर में विलीन हो गए थे। सबसे पहले शिवजी ने अपने पांच मुखों से यह मंत्र ब्रह्माजी को प्रदान किया था। गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार इस मंत्र के ऋषि वामदेव हैं एवं स्वयं शिव इसके देवता हैं। नमः शिवाय की पंच ध्वनियां सृष्टि में मौजूद पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनसे सम्पूर्ण सृष्टि बनी है और प्रलयकाल में उसी में विलीन हो जाती है। भगवान शिव सृष्टि को नियंत्रित करने वाले देव माने जाते हैं। क्रमानुसार ‘न’ पृथ्वी,’मः’पानी,’शि’अग्नि ,’वा’ प्राणवायु और ‘य’ आकाश को इंगित करता है। शिव के पंचाक्षर मंत्र से सृष्टि के पांचों तत्वों को नियंत्रित किया जा सकता है Shiva Panchakshari Mantra
ॐ नमः शिवाय मंत्र जपने की विधि
- ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप करने का समय वेद पुराणों में इस चमत्कारी मंत्र का जप करने का कोई खास समय निर्धारित नहीं है।
- इस मंत्र को जब चाहे तब जप कर सकते हैं।
- इस मंत्र का जाप प्रत्येक दिन रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए।
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार प्रत्येक दिन करना चाहिए।
- जप हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
- यदि आप किसी पवित्र नदी के किनारे शिव लिंग की स्थापना और पूजन के बाद जप करेंगे उसका फल सबसे उत्तम होगा।
- इसके अलावा आप किसी पर्वत या शांत वन में भी इस मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- साथ ही इस शारणाक्षर मंत्र का जाप शिवाय या घर में भी कर सकते हैं।
- ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप हमेशा योग मुद्रा में बैठकर ही करना चाहिए। Shiva Panchakshari Mantra
ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करने का नियम
- इस मंत्र को गुरू से प्राप्त करें। इस मंत्र जब ज्यादा असरदार और मंगलकारी बनता है।
- देवालय, तीर्थ या घर में शांत जगह पर बैठकर इस मंत्र का जाप करें। पंचाक्षरी मंत्र यानी नम शिवाय के आगे हमेशा ॐ लगाकर जप करें। किसी भी हिंदू माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी पहले दिन से कृष्ण पक्ष की चतुर्थदशी तक इस मंत्र का जाप करें।
- पंचाक्षरी मंत्र की अवधि में व्यक्ति खानपान, वाणी, और इंद्रियों पर पूरा सयम रखें।
- गुरू पति और माता पिता के प्रति सेवाभाव और सम्मान मंत्र जप काल के दौरान न भूलें।
- हिंदू पंचांग के सावन, माघ और भाद्रपद माह में बहुत शुभ और मनोरथ की पूर्ति करने वाला माना गया है Shiva Panchakshari Mantra
ॐ नमः शिवाय मन्त्र के लाभ
- ॐ नमः शिवाय सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। यह एक तनाव-बुस्टर भी है, जो आपको आराम करने और आराम करने में मदद करता है।
- अशांत मन नियमित नाम जप से स्थिर और शान्त हो जाता है।
- ॐ नमः शिवाय आपको अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण पाने में मदद करता है।
- यह आपको अंततः अपने दिमाग को नियंत्रित करने में मदद करेगा।
- ॐ नमः शिवाय आपको जीवन में दिशा और उद्देश्य की भावना देता है।
- नौ ग्रह और 27 नक्षत्र हैं। चूंकि शिव तत्व पीठासीन ऊर्जा है और ग्रहों को भी नियंत्रित करता है, ॐ नमः शिवाय का जाप कुछ हद तक हानिकारक ग्रहों के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। Shiva Panchakshari Mantra
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