जानिए कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व ,जन्म कथा , पूजा विधि एवं उपाय – Krishna Janmashtami
Krishna Janmashtami गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में यह पर्व देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कृष्ण जन्मोत्सव के दिन लोग व्रत रखते हैं और रात में 12 बजे कान्हा के जन्म के बाद उनकी पूजा करके व्रत का पारण करते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल गोपाल स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान श्री कृष्ण सभी मुरादें शीघ्र पूर्ण कर देते हैं। वहीं महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना के साथ यह व्रत करती हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के पकवान अर्पित किए जाते हैं। उन्हें झूला झुलाया जाता है। Krishna Janmashtami
पूजा का शुभ मुहूर्त
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 6 सितंबर 2023 दिन बुधवार को दोपहर 03:37 बजे से शुरू होगी और 7 सितंबर 2013 दिन गुरुवार को शाम 04:14 बजे समाप्त होगी. वहीं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त रात्रि 12:02 बजे से लेकर 12:48 बजे तक रहेगा. इस मुहूर्त में लड्डू गोपाल की पूजा अर्चना विधि विधान से करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और मनचाहे फल की प्राप्ति होगी. Krishna Janmashtami
कृष्ण जन्माष्टमी व्रत महत्व
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार पृथ्वी लोक पर कंस के बढ़ रहे अत्याचारों को खत्म करने और धर्म की स्थापना के लिए जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर जन्म लिया था. कृष्ण को श्रीहरि विष्णु का सबसे सुंदर अवतार माना जाता है. मान्यता है कि जन्माष्टमी पर कान्हा की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और व्यक्ति स्वर्गलोक में स्थान पाता है. श्रीकृष्ण की पूजा से संसार के समस्त सुख का आनंद मिलता है. संतान प्राप्ति के लिए इस दिन कान्हा की पूजा अधिक फलदायी मानी गई है. कहते हैं जन्माष्टमी पर कान्हा को माखन, मिश्री, पंजरी, खीरे का भोग लगाने वाले के हर कष्ट दूर हो जाते हैं. Krishna Janmashtami
श्री कृष्ण जन्मकथा
श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के उग्रसेन राजा के बेटे कंस का वध करने के लिए हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार द्वापर युग में मथुरा के उग्रसेन राजा के बेटे कंस ने उन्हें सिंहासन से उतार कर कारगार में बंद कर दिया था और खुद को मथुरा का राजा घोषित कर दिया था. राजा की एक बेटी और एक बेटा था. बेटा कंस और बेटी देवकी. देवकी का विवाह वासुदेव के साथ तय कर दिया गया और बड़ी धूम-धाम के साथ वासुदेव के साथ उनका विवाह कर दिया गया. लेकिन जब कंस देवकी को हंसी-खुसी रथ से विदा कर रहा था, उस समय आकाशवाणी हुई की, देवकी का आठवां पुत्र ही कंस का वध करेगा. आकाशवाणी सुनकर कंस की रुह कांप गई और वह घबरा गया. आकाशवाणी के बाद कंस ने बहन देवकी की हत्या करने की ठान ली. लेकिन उस दौरान वासुदेव ने कंस को समझाया कि देवकी को मारने से क्या होगा. देवकी से नहीं, बल्कि उसको देवकी की आठंवी संतान से भय है. वासुदेव ने कंस को सलाह दी कि जब हमारी आठवीं संतान होगी तो हम अपाको सौंप देंगे. आप उसे मार देना. कंस को वासुदेव की ये बात समझ आ गई. लेकिन वासुदेव और देवकी को कंस ने कारगार में कैद कर लिया. देवकी और वासुदेव की सात संतानों को कंस मार चुका था. अब आठवां बच्चा होने वाला था. आसमान में घने बादल छाए थे, तेज बारिश हो रही थी, बिजली कड़क रही थी और भगवान श्री कृष्ण का जन्म लेने वाले थे. रात्रि ठीक 12 बजे कारगार के सारे ताले अपने आप टूट गए और कारगार की सुरक्षा में लगे सभी सैनिक गहरी नींद सो गए. उसी समय वासुदेव और देवकी के सामने भगवान श्री विष्णु प्रकट हुए और उन्हें कहा कि वे देवकी के गर्भ से आठवें पुत्र के रूप में जन्म लेंगे. इतना ही नहीं, भगवान विष्णु ने कहा कि वे उन्हें गोकुल में नंद बाबा के यहां छोड़ आएं और वहां अभी-अभी जन्मी कन्या को कंस को लाकर सौंप दें.वासुदेव ने भगवान विष्णु के बताए अनुसार ही किया. गोकुल से लाए कन्या को कंस को सौंप दिया. कंस ने जैसे ही कन्या को मारने के लिए हाथ उठाया, कन्या आकाश में गायब हो गई और आकाशवाणी हुई कि कंस जिसे मारना चाहता है वे तो गोकुल पहुंच चुका है. ये आकाशवाणी सुनकर कंस और घबरा गया. कृष्ण को मारने के लिए कंस ने बारी-बारी से की राक्षस गोकुल भेजे लेकिन कृष्ण ने सभी का वध कर दिया. आखिर में श्री कृष्ण ने कंस का भी वध कर दिया. Krishna Janmashtami
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि
जन्माष्टमी की रात को भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करके तन और मन से खुद को पवित्र कर लें, फिर इसके बाद अपने एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर अपने लड्डू गोपाल को एक थाल में रखकर दूध, दही, शहद, घी, शक्कर आदि से स्नान कराएं. इसके बाद उन्हें साफ कपड़े से पोंछ कर उन्हें वस्त्र, आभूषण आदि पहनाएं. जन्माष्टमी पर कान्हा को पीले चंदन या फिर केसर का तिलक जरूर लगाएं. साथ ही साथ उन्हें मोर के मुकुट और बांसुरी जरूर अर्पित करें.
इसके बाद कान्हा को पुष्प, फल, पंजीरी,चरणामृत आदि अर्पित करें. भगवान श्री कृष्ण की पूजा में जो कुछ भी प्रसाद अर्पित करें उसमें तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं. इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों का विधि-विधान से जप करें. मान्यता है कि जन्माष्टमी की रात को भक्ति-भाव के साथ श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ और भजन का कीर्तन करने पर भगवान कृष्ण की विशेष कृपा बरसती है. Krishna Janmashtami
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार जन्माष्ठमी के उपाय
- यदि आप आर्थिक परेशानियों से घिरे रहते हैं, तो इस साल जन्माष्टमी पर कान्हा का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक करें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से कृष्ण जी के साथ धन की देवी लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- यदि कोई शत्रु आपकी परेशानी का बड़ा कारण बन रहा है, तो आप उससे बचने के लिए जन्माष्टमी के दिन ”क्लीं कृष्णाय वासुदेवाय हरि:परमात्मने प्रणत:क्लेशनाशाय गोविंदय नमो नम:” का जप करें। इससे शत्रु का भय कम होता है।
- भगवान श्री कृष्ण को पीतांबरधारी भी कहा जाता है। यानी पीले रंग के कपड़े पहनने वाला। ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा का पूर्ण फल पाने के लिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करें और लड्डू गोपाल को पीले फल, पीले फूल, पीली मिठाई चढ़ाएं
- संतान प्राप्ति के लिए पति-पत्नी को कृष्ण जन्माष्टमी के दिन तुलसी की माला से ‘संतान गोपाल मंत्र’ का 108 बार जप करना चाहिए। वहीं यदि आप लड्डू गोपाल की तरह सुंदर और गुणवान संतान पाना चाहते हैं, तो जन्माष्टमी के दिन नीचे दिए मंत्र का 108 बार जाप करें। Krishna Janmashtami
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