जानिये बहुला चौथ का महत्व , पूजा विधि , व्रत कथा एवं उपाय – Bahula Chauth
Bahula Chauth गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की भाद्रपद माह में श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है. भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला चतुर्थी या बोल चौथ के नाम से जाना जाता है. इस दिन श्रीकृष्ण के साथ गायों की पूजा का विधान है.श्रीकृष्ण को बहुला नाम की गाय से बहुत प्रेम था. Bahula Chauth
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार श्रीकृष्ण ने स्वंय कहा था कि भाद्रपद की इस चतुर्थी पर जो गायों की पूजा करेगा उसे धन और संतान का सुख प्राप्त होगा. इस साल बहुला चौथ 3 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी. इस दिन गणपति को समर्पित हेरंब संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी रखा जाएगा. ये दोनों व्रत संतान के लिए शुभ फलदायी माने जाते हैं ऐसे में व्रती को पुण्य फल प्राप्त होगा. Bahula Chauth
बहुला चौथ महत्व
बहुला चौथ निसंतान को संतान प्रदान करने वाला व्रत माना गया है. इसके प्रताप से व्रती को धन की कभी कमी नहीं होती. श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से भौतिक सुख प्राप्त होते हैं. इस दिन महिलाएं निराहार व्रत रखकर गाय और उसके बछड़े की पूजा करती हैं. गुड़ और घी गाय को खिलाया जाता है. कथा सुनने के बाद गाय और बछड़े की प्रदिक्षणा कर सुख-शांति की प्रार्थना की जाती है. Bahula Chauth
बहुला चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण अवतार लिया तो देवी-देवताओ ने उनकी सेवा की इच्छा जाहिर की. तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें लीला में शामिल होने के लिए गोपी-गोपिकाओ का अवतार लेने को कहा.
इधन कामधेनु गाय ने अपने अंश से बहुला नाम की गाय को उत्पन्न कर, नन्द जी की गौशाला में उसे लेकर आ गई.
बहुला पर श्री कृष्ण का अपार प्रेम था. एक बार भगवान को बहुला गाय की परीक्षा लेने का मन हुआ और वे शेर बनकर बहुला के सामने आ गए. पहले तो बहुला घबराई. बाद में शेर से प्रार्थना की: “हे बनराज, मेरा बछड़ा भूखा है. मैं अपने बछड़े को दूध पिलाकर वापस आकर आपका आहार बनने के लिए तैयार हूँ. इस पर शेर ने बहुला को जाने दिया लेकिन बहुला से कहा: “अगर तुम नही आई तो मै भूखा ही रह जाऊआ. इस पर बहुला गाय ने सत्य और धर्म की शपथ ली. तब शेर का रूप धारण किये हुए श्री कृष्ण ने बहुला गाय को जाने दिया. बहुला गाय बछड़े को दूध पिलाकर शेर का निवाला बनने के लिए वापस वन में आ गई. तब बहुला की सत्य-निष्ठा से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण ने अपने वास्तविक रूप में आकर कहा: “हे बहुला, तुम परीक्षा में सफल हुई! अब से भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि को तुम्हारी गौ माता के रूप में पूजा होगी! जो भक्त तुम्हारी पूजा करेंगे, उन्हे संतान और धन की प्राप्ति होगी”. Bahula Chauth
बहुला चतुर्थी का उत्सव कैसे मनाया जाए?
- गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार बहुला चतुर्थी के पवित्र दिन पर, भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, एक पवित्र स्नान करते हैं और फिर गायों के साथ-साथ बछड़ों को नहलाते हैं और उनके छप्पर (गायों के रहने का स्थान) को साफ करते हैं।
- भक्त इस दिन बहुला चतुर्थी का उपवास रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, लोगों को चाकू से कटा हुआ या गेहूं से बना कुछ भी खाद्य पदार्थ उपभोग करने की अनुमति नहीं होती है।
- प्रार्थनाओं के लिए, भक्त भगवान कृष्ण या भगवान विष्णु के मंदिरों में जाते हैं।
- भक्त भगवान कृष्ण या भगवान विष्णु की मूर्तियों या चित्रों की पूजा करके घर पर प्रार्थनाएं भी कर सकते हैं। धूप, फल, फूल और चंदन का उपयोग देवता की पूजा के लिए किया जाता है।
- भक्त भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के मंत्रों का उच्चारण करते हैं एवं ध्यान लगाते हैं।
- संध्या के समय के दौरान, भक्त बछड़ों और गायों की पूजा करते हैं जिसे गोधुली पूजा के नाम से जाना जाता है।
- अगर भक्तों के पास कोई गाय नहीं है तो वे गाय और बछड़े की तस्वीर की भी पूजा कर सकते हैं और उनकी प्रार्थना कर सकते हैं। Bahula Chauth
बहुला व्रत में रात्रि में चन्द्रमा की भी पूजा की जाती है
बहुला व्रत के दिन संध्या के समय पूरे विधि-विधान से प्रथम पूजनीय भगवान गणेश की पूजा की जाती है. रात्रि में चन्द्रमा के उदय होने पर अध्र्य दिया जाता है. कई स्थानों पर इस दिन शंख में सुपारी, दूध, गंध तथा अक्षत डालकर भगवान श्री गणेश तथा चतुर्थी तिथि को अध्र्य किया जाता है. इस चतुर्थी का जो पालन करता है उसकी सभी मनोकामनाए पूर्ण होती हैं. व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है. जो व्यक्ति संतान के लिए व्रत नही रखते हैं, उन्हे संकट, विध्न तथा सभी प्रकार की बाधाएं दूर करने के लिए इस व्रत को अवश्य करना चाहिए. Bahula Chauth
बहुला चतुर्थी के उपाय
1. बहुला चतुर्थी के दिन गाय की पूजा करने के बाद किसी गौशाला में दान करना शुभ माना जाता है. ऐसा करने से घर में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं होती.
2. बहुला चतुर्थी के दिन किसी गरीब या जरूरत मंद को कच्चा अनाज, भोजन या वस्त्र दान करने से आपके रुके हुए काम पूरे होने लगते हैं और घर की उन्नति होती है.
3. बहुला चतुर्थी के दिन भगवान श्री कृष्ण को माखन मिश्री का भोग जरूर लगाएं. उनके भोग में तुलसी दल डालना न भूलें. ऐसा करने से घर में सकारात्मकता बनी रहेगी और बुरी शक्तियों का प्रभाव ख़त्म होगा.
4. भगवान श्रीकृष्ण को पीले वस्त्र अर्पित करें. ऐसा करना आपके जीवन में तरक्की और सम्मान को बढ़ाने में मदद करेगा.
5. बहुला चतुर्थी पर बछड़े सहित गाय की सेवा जरूर करें. ऐसा करने से आपके बच्चे का स्वास्थ हमेशा उत्तम बना रहेगा और उसे कभी कोई रोग से परेशानी नहीं होगी. Bahula Chauth
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