जानिए सावन माह में भगवान् शंकर और भगवान् राम की पूजा का महत्व – Lord Shankar and Lord Rama
Lord Shankar and Lord Rama गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा तो महत्वपूर्ण है ही, साथ ही सावन में भगवान राम की पूजा ( ram puja ) भी अत्यधिक महत्व रखती है। गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार भगवान राम की पूजा के बिना शिव पूजा अधूरी रहती है और बिना शिव पूजा के राम पूजा अधूरी है। इस विषय में कई मान्याताएं प्रचलित हैँ। मसलन कहा जाता है कि रामेश्वरम में शिवलिंग पर जल चढाने से मनुष्य शिव का प्रिय भक्त हो जाता है। Lord Shankar and Lord Rama
भगवान शिव को आराध्य मानकर भक्त सावन मास में पूरे मनोयोग से जप-तप और आराधना करते हैं। भगवान शिव, भगवान राम को और भगवान राम, भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं।सावन माह को मुख्यतः भगवान शिव की पूजा का माह माना जाता है, लेकिन इस माह में भगवान राम का नाम जपने के भी लाभ हैं। राम नाम जपेंगे, तो जीवन में सुख आएगा और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। Lord Shankar and Lord Rama
सावन माह में भगवान् शंकर और भगवान् राम की पूजा का महत्व
प्राचीन मान्यतानुसार, सावन माह मुख्यतः देवों के देव महादेव शिव की पूजा-आराधना के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है। भगवान शिव को आराध्य मानकर भक्त सावन मास में पूरे मनोयोग से जप-तप और आराधना करते हैं। गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार, भगवान शिव, भगवान राम को और भगवान राम, भगवान शिव को अपना आराध्य मानते हैं। ‘‘राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्त्र नाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने।।’’, शंकर-पार्वती संवाद के अनुसार, राम नाम विष्णु सहस्त्रनाम के समान फलदायी है, इसलिए भगवान शंकर, माता पार्वती जी से कहते हैं कि वह सदा राम नाम जपते हैं। सावन में प्रतिदिन राम नाम लिखने से श्रीराम के साथ उनके आराध्य भगवान शिव की कृपा सहज रूप से भक्तों को प्राप्त होती है। Lord Shankar and Lord Rama
भगवान शिव और श्रीराम का मिलन
माना जाता है मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम 14 वर्ष के वनवास काल के बीच जब जाबालि ऋषि की तपोभूमि मिलने आए तब भगवान गुप्त प्रवास पर नर्मदा तट पर आए। उस समय यह पर्वतों से घिरा था। रास्ते में भगवान शंकर भी उनसे मिलने आतुर थे, लेकिन भगवान और भक्त के बीच वे नहीं आ रहे थे। भगवान राम के पैरों को कंकर न चुभें इसीलिए शंकरजी ने छोटे-छोटे कंकरों को गोलाकार कर दिया। इसलिए कंकर-कंकर में शंकर बोला जाता है। जब प्रभु श्रीराम रेवा तट पर पहुंचे तो गुफा से नर्मदा जल बह रहा था। श्रीराम यहीं रुके और बालू एकत्र कर एक माह तक उस बालू का नर्मदा जल से अभिषेक करने लगे। आखिरी दिन शंकरजी वहां स्वयं विराजित हो गए और भगवान राम-शंकर का मिलन हुआ। Lord Shankar and Lord Rama
किसका ध्यान करते हैं भगवान शंकर
कुछ पुराणों में भगवान शंकर को शिव इसलिए कहते हैं, क्योंकि वे निराकार शिव के समान है. निराकार शिव को ही शिवलिंग के रूप में पूजा जाता है. ज्यादातर जगहों पर भगवान शंकर को योगी के रूप में दिखाया जाता है. कई जगह देखा जाता है कि भगवान शंकर खुद आंखें बंद किए ध्यान मुद्रा में बैठे हैं. कभी सोचा है कि आखिर देवाधिदेव महादेव किसका ध्यान कर रहे हैं. तो इसको लेकर अलग-अलग कथाएं हैं. रामचरित मानस में भगवान शिव और श्रीराम को एकदूसरे का उपासक बताया गया है. शिवपुराण में खुद भगवान शिव माता पार्वती को बताते हैं कि वह श्रीराम का ध्यान करते हैं. वहीं, कुछ पुराणों में बताया जाता है कि भगवान शंकर शिव का ध्यान करते रहते हैं. कुछ जगहों पर भगवान शंकर को शिवलिंग का ध्यान करते हुए भी चित्रित किया गया है. इससे भी साफ होता है कि शिव और शंकर दो अलग सत्ताएं हैं. Lord Shankar and Lord Rama
रामचरितमानस के पाठ का महत्व
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार रामचरितमानस के पाठ से भगवान राम की आराधना तो होती ही है साथ ही भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैँ भगवान राम की पूजा के बिना शिव पूजा अधूरी रहती है और बिना शिव पूजा के राम पूजा अधूरी है।
सावन के महीने में रामचरितमानस का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि कहा जाता है इसकी रचना स्वयं शंकर जी ने की है। इसका जिक्र तुलसीदास जी ने लिखा है।
रचि महेस निज मानस राखा। पाइ सुसमय सिवा मनभाषा।।
ताते राम चरितमानस वर। धरेउ नाम हियं हेरि हरसि हर।।
अर्थात महेश ने (महादेव जी) इसे रचकर अपने मन में रखा था और अच्छा अवसर देखकर पार्वती जी को कहा। शिव जी ने अपनें मन में विचार कर इसका नाम रामचरितमानस रखा। Lord Shankar and Lord Rama
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