जानिये किन पुष्पों से करें भोलेनाथ को प्रसन्न एवं भगवान् शिव को कौनसे फूल नहीं चढ़ाये जाते है – Sawan 2023
Sawan 2023 गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने सावन मास का काफी अधिक महत्व बताया है।सावन के पूरे माह में भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा करने का विशेष लाभ है। सावन के पवित्र माह में भक्त महादेव की भक्ति में लीन होकर पूजा अर्चना करने के साथ सावन सोमवार का व्रत रखते है, जिससे भोलेनाथ जल्द प्रसन्न हो जाए। भगवान शिव जल्द प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक माना जाता है। भगवान शिव की पूजा करने के अनेक तरीके है। ऐसे ही जानिए कि भगवान शिव को किस फूल को चढ़ाने से क्या लाभ मिलता है। शिवपुराण में कुछ ऐसे फूलों का जिक्र किया गया है जिन्हें शिवजी को अर्पित करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है और हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। आइए जानते हैं किन फूलों को चढ़ाने से मिलेगा कौन सा शुभ फल। Sawan 2023
इन पुष्पों से करें भोलेनाथ को प्रसन्न
- गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है कि शिव जी को शमी के फूल, बेला का फूल प्रिय हैं.
- भगवान शिव की साधना में अलसी के फूल का विशेष महत्व है.
- लाल व सफेद आंकड़े के फूल भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से चढ़ाए जाते हैं. इस पौधे को मदार भी कहते हैं. आंकड़े के पुष्प को लेकर मान्यता है कि भगवान शिव को इसे अर्पित करने से वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं. माना जाता है कि शिव पूजा में इस पुष्प के प्रयोग करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- कनेर का पुष्प भगवान शिव ही नहीं तमाम देवी-देवताओं को अत्यंत प्रिय है. दैविक दृष्टि से इस को भगवान शिव का सबसे प्रिय फूल बताया गया है. मान्यता है कि भगवान शिव की पूजा में इस फूल को चढ़ाने पर मनुष्य को मनचाहा धन लाभ प्राप्त होता है.
- मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति अगस्त्य फूल के साथ भगवान शिव की उपसना करता है तो समाज में उसके मान-सम्मान और यश में वृद्धि होती है. अगस्त्य के पेड़ को अलग-अलग स्थानों पर लोग हथिया, मुनिवृक्ष, वंगसेन आदि नामों से जानते हैं. मान्यता है कि इसी पुष्प के वृक्ष के नीचे अगस्त्य मुनि ने बैठकर तपस्या की थी, इसीलिए यह इसे अगस्त्य कहा गया.
- भगवान शिव की पूजा में हरसिंगार के फूल का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है. हरसिंगार के फूलों को पारिजात या शिउली का फूल भी कहते है. यह फूल सफेद रंग का होता है और इसमें एक नारंगी रंग की डंडी होती है. रात में खिलने वाले इस फूल को महादेव पर अर्पित करने से साधक के सुख व वैभव में वृद्धि होती है.
- धतूरा भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है. शिव जी की पूजा में इसके फल और फूल को विशेष रूप से चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि जो दंपत्ति पावन शिवरात्रि पर इस धतूरे के फूल के साथ भगवान शिव की पूजा करते है, उन्हें शिव कृपा से जल्द ही संतान सुख की प्राप्ति होती है.
- मान्यता है कि यदि दुख-दारिद्रय को दूर करना है तो जूही के फूल से भगवान शिव की पूजा करना न भूलें. माना जाता है कि इस फूल से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने पर घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती. कहा जाता है कि भगवान शिव के आशीर्वाद से दरिद्रता आपके घर से कोसों दूर रहती है.
- भगवान शिव को चमेली का फूल बहुत प्रिय है. वेदों में जिक्र आता है कि चमेली के फूल से शिवलिंग की पूजा करने पर मनुष्य के जीवन में सकारात्मकता ऊर्जा का प्रवाह होता है. Sawan 2023
भगवान् शिव को नहीं चढ़ाये जाते है ये फूल
शिवलिंग पर कभी भी लाल रंग के फूल, केतकी और केवड़े के फूल नहीं चढ़ाए जाते। मान्यता है कि इन वस्तुओं को चढ़ाने से पूजा का फल नहीं मिलता है। ध्यान रखें कि शिवजी को केवल सफेद रंग के फूल चढ़ाने चाहिए। इससे वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा अपराजिता का नीला या फिर सफेद जो भी पुष्प हो उसे जरूर चढ़ाएं। मान्यता है कि यह अपराजिता शिवजी को अत्यंत प्रिय है। इसे चढ़ाने से वह अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं।
शिवजी को नहीं चढ़ता है केतकी का फूल
भगवान शिव को जो फूल अप्रिय है, उस फूल का नाम है केतकी। इस फूल को भगवान शिव ने अपनी पूजा से त्याग कर दिया है।
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार एक बार ब्रह्माजी और भगवान विष्णु में विवाद हो गया कि दोनों में कौन अधिक बड़े हैं। विवाद का फैसला करने के लिए भगवान शिव को न्यायकर्ता बनाया गया। भगवान शिव की माया से एक ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ। भगवान शिव ने कहा कि ब्रह्मा और विष्णु में से जो भी ज्योतिर्लिंग का आदि-अंत बता देगा, वह बड़ा कहलाएगा। ब्रह्माजी ज्योतिर्लिंग को पकड़कर आदि पता करने नीचे की ओर चल पड़े और विष्णु भगवान ज्योतिर्लिंग का अंत पता करने ऊपर की ओर चल पड़े। Sawan 2023
जब काफी चलने के बाद भी ज्योतिर्लिंग का आदि-अंत पता नहीं चल सका तो ब्रह्माजी ने देखा कि एक केतकी फूल भी उनके साथ नीचे आ रहा है। ब्रह्माजी ने केतकी के फूल को बहला-फुसलाकर झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया और भगवान शिव के पास पहुंच गए। ब्रह्माजी ने कहा कि मुझे ज्योतिर्लिंग कहां से उत्पन्न हुआ, यह पता चल गया है, लेकिन भगवान विष्णु ने कहा कि नहीं, मैं ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं जान पाया हूं। ब्रह्माजी ने अपनी बात को सच साबित करने के लिए केतकी के फूल से गवाही दिलवाई, लेकिन भगवान शिव ब्रह्माजी के झूठ को जान गए और ब्रह्माजी का एक सिर काट दिया। इसलिए ब्रह्माजी पंचमुख से चार मुख वाले हो गए। केतकी के फूल ने झूठ बोला था इसलिए भगवान शिव ने इसे अपनी पूजा से वर्जित कर दिया है। Sawan 2023
भगवान् शिव को पुष्प अर्पण करने की सही विधि-
- भगवान् शिव को पुष्प अर्पित करने की एक खास विधि होती है। उसी विधि अनुसार भगवान् शिव को पुष्प अर्पण करना चाहिए। पुष्प सदैव जिस अवस्था में खिलते हैं उसी अवस्था में अर्पित किए जाने चाहिए अर्थात् पुष्प का मुख आकाश की ओर होना चाहिए।
- वहीं दूर्वा सदैव अपने ओर करके अर्पित की जानी चाहिए एवं बिल्व पत्र सदैव नीचे मुख रखते हुए चढ़ाना चाहिए। पुष्प अर्पित करने से पूर्व उन्हें सूंघना नहीं चाहिए। कीड़े वाले पुष्प भगवान को अर्पित नहीं किए जाते। जिन पुष्पों में पैर छू गया हो ऐसे पुष्प भी भगवान को अर्पित नहीं किए जाते।
- भगवान् शिव को बासी पुष्प अर्पित नहीं किए जाते। शास्त्रानुसार माली के घर के फूलों को कभी बासी नहीं माना जाता, अत: माली से फूल लेते समय बासी पुष्प का विचार नहीं करना चाहिए। Sawan 2023
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इस साल अधिकमास होने के कारण श्रावण मास 2 महीने तक रहेगा अर्थात भगवान् शिव की भक्ति के लिए अधिक समय मिलेगा 19 साल बाद ऐसा संयोग बनने से श्रावण मास का महत्व ओर अधिक बढ़ गया हर साल की तरह इस साल भी हमारे संस्थान में महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है अगर आप भी भगवान् शिव की कृपा पाना चाहते है तो इस महारुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर अपने नाम से रुद्राभिषेक करवाए यह रुद्राभिषेक गुरु माँ निधि जी श्रीमाली एवं हमारे अनुभवी पंडितो द्वारा विधि विधान से एवं उचित मंत्रो उच्चारण के साथ सम्पन्न होगा आज ही रुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर भगवान् शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करे एवं किसी भी अन्य दिन किसी भी प्रकार की पूजा , जाप एवं भगवान् शिव के महामृत्युंजय का जाप करवाना चाहते है तो हमारे संस्थान में संपर्क करे
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