जलझूलनी एकादशी का महत्व , मुहूर्त , पूजन विधि एवं उपाय – Jaljhulani Ekadashi

Jaljhulani Ekadashi गुरु माँ निधि जी श्रीमाली  ने बताया है की भाद्रपद माह (भादों) की शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता हैं। इस वर्ष जलझूलनी एकादशी   व्रत   25 सितम्बर, 2023 सोमवार के दिन किया जायेगा। और जलझूलनी एकादशी व्रत (वैष्णव) 26 सितम्बर, 2023 मंगलवार के दिन किया जायेगा इस एकादशी को और भी कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे, जलझूलनी एकादशी ,वामन एकादशी पद्मा एकादशी ,जयंती एकादशी   और डोल ग्यारस । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा के दौरान इस दिन अपनी करवट बदलते हैं। इस कारण से इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता हैं। Jaljhulani Ekadashi

जलझूलनी एकादशी व्रत का महत्व 

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी पर व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। पापियों के पाप नाश के लिए इससे बढ़कर कोई उपाय नहीं है। जो मनुष्य इस एकादशी को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उससे तीनों लोक पूज्य होते हैं। इस व्रत के बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर से कहा है कि जो इस दिन कमलनयन भगवान का कमल से पूजन करते हैं, वे अवश्य भगवान के समीप जाते हैं। जिसने भाद्रपद शुक्ल एकादशी को व्रत और पूजन किया, उसने ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों का पूजन किया। अत: हरिवासर अर्थात एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। इस दिन भगवान करवट लेते हैं, इसलिए इसको परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। Jaljhulani Ekadashi

जल झुलनी एकादशी व्रत विधि |  

जल झुलनी एकादशी व्रत का नियम पालन दशमी तिथि की रात से ही शुरू करें व ब्रह्मचर्य का पालन करें। एकादशी के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहनकर भगवान वामन की प्रतिमा के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें। इस दिन यथासंभव उपवास करें उपवास में अन्न ग्रहण नहीं करें संभव न हो तो एक समय फलाहारी कर सकते हैं।

इसके बाद भगवान वामन की पूजा विधि-विधान से करें (यदि आप पूजन करने में असमर्थ हों तो पूजन किसी योग्य ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं।) भगवान वामन को पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान के बाद उनके चरणामृत को व्रती (व्रत करने वाला) अपने और परिवार के सभी सदस्यों के अंगों पर छिड़कें और उस चरणामृत को पीएं। इसके बाद भगवान को गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।

विष्णु सहस्त्रनाम का जाप एवं भगवान वामन की कथा सुनें। रात को भगवान वामन की मूर्ति के समीप हो सोएं और दूसरे दिन यानी द्वादशी के दिन वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देकर आशीर्वाद प्राप्त करें जो मनुष्य यत्न के साथ विधिपूर्वक इस व्रत को करते हुए रात्रि जागरण करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट होकर अंत में वे स्वर्गलोक को प्राप्त होते हैं। इस एकादशी की कथा के श्रवणमात्र से वाजपेयी यज्ञ का फल प्राप्त होता है Jaljhulani Ekadashi

जल झूलनी एकादशी व्रत में क्या करें

भगवान विष्णु की पूजा तुलसी दल के बगैर अधूरी मानी जाती है. ऐसे में जल झूलनी एकादशी व्रत वाले दिन साधक को श्री हरि की पूजा में उन्हें भोग लगाते समय उनकी सबसे प्रिय चीज यानि तुलसी दल को जरूर चढ़ाना चाहिए.

जल झूलनी एकादशी के दिन आज भगवान श्री विष्णु की कृपा पाने के लिए ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप अधिक से अधिक जाप करना चाहिए. भगवान श्री विष्णु के मंत्र का जाप हमेशा पीले चंदन अथवा तुलसी की माला से करना चाहिए. माला को हमेशा गोमुख में डालकर ही मंत्र जप करना चाहिए. मंत्र को हमेशा अपने मन में ही जपना चाहिए.

जलझूलनी एकादशी पर आज जरूरतमंद लोगों को यथाशक्ति दान करना चाहिए. एकादशी के व्रत को विधि-विधान से रखते हुए अगले दिन आंवला खाकर पारण करना चाहिए. मान्यता है कि इस उपाय को करने पर साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. Jaljhulani Ekadashi

जल झूलनी एकादशी व्रत में क्या नहीं करना चाहिए

एकादशी के दिन पेड़ों से पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए. विष्णु प्रिया कहलाने वाली तुलसी के पत्ते को तो भूलकर भी नहीं तोड़ना चाहिए. भगवान विष्णु की पूजा में चढ़ाने के लिए तुलसी दल हमेशा एकादशी के एक दिन पहले दिन ढलने से पहले तोड़ लेना चाहिए. ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते कभी भी बगैर नहाए नहीं तोड़ना चाहिए.

किसी भी माह में पड़ने वाली एकादशी तिथि पर भूलकर भी व्यक्ति को बाल, नाखून आदि नहीं कटवाना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित इस पावन तिथि पर क्षौर कर्म करने पर व्यक्ति के घर से श्री यानि लक्ष्मी नाराज होकर चली जाती हैं और उसे जीवन में तमाम तरह के कष्ट का सामना करना पड़ता है.

भगवान विष्णु की कृपा बरसाने वाले एकादशी व्रत में चावल का प्रयोग बिल्कुल नहीं होता है. ऐसे में आज जलझूलनी एकादशी के दिन भूलकर भी चावल न खाएं. मान्यता है कि एकादशी के दिन चावल खाने पर व्यक्ति के पुण्य फल का नाश होता है. Jaljhulani Ekadashi

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार  बताये गए जलझूलनी एकादशी के ये उपाय 

  • जलझूलनी एकादशी (परिवर्तिनी एकादशी) के दिन भगवान विष्णु के मंदिर में जाये और एक पूर्ण (अखण्ड़) श्रीफल और आधा पाव (सवा सौ ग्राम) पूरे बादाम चढ़ाएं। इस उपाय के प्रभाव से आपके जीवन में धन लाभ के अवसर आयेंगे।
  • जलझूलनी एकादशी (परिवर्तिनी एकादशी) के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में चीनी अर्पित करके जल चढ़ायें। संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलायें। ऐसा करने से बार-बार ऋण लेने की आवश्यकता नही पड़ेगी और कर्ज आसानी से उतर जायेगा।
  • जलझूलनी एकादशी (परिवर्तिनी एकादशी) की रात को नौ बत्तियों वाला बड़ा दीपक (जो पूरी रात प्रज्जवलित रह सकें) अपने घर और भगवान विष्णु के मंदिर में जलायें। इस उपाय के करने से जातक का भाग्योदय होता है, उसका जीवन सुखमय हो जाता हैं, वो जीवन में शीघ्रता से उन्नति (धन-सम्पत्ति की प्राप्ति) करता है और अपने ऋणों से शीघ्र मुक्त हो जाता हैं। Jaljhulani Ekadashi
  • जलझूलनी एकादशी (परिवर्तिनी एकादशी) के दिन भगवान विष्णु की पूजा करते समय थोड़े से सिक्के (रूपये या सोने-चाँदी के सिक्के) उनके समक्ष रखें। फिर पूजा समाप्त होने पर उन्हे एक रेशमी लाल रंग के कपड़े में बाँधकर अपने धन-स्थान पर रखें। ऐसा करने से कभी धन की कमी नही होगी। हमेशा अन्न-धन के भंड़ार भरें रहेंगे। यह उपाय व्यापारियों को आवश्यकरूप से करना चाहिये।
  • यदि किसी लड़के या लड़की का विवाह होने में समस्याएँ आ रही हो या किसी कारण से विवाह ना हो पा रहा हो तो उसे जलझूलनी एकादशी (परिवर्तिनी एकादशी) के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिये। पूजा में भगवान विष्णु को सुगंधित पीला चंदन लगाये, फिर पीले फूलों से उनका श्रुंगार करें। फिर उसके बाद बेसन की मिठाई का भोग लगायें। इस उपाय के करने से विवाह में आने वाली रूकावटें स्वत: ही समाप्त हो जायेंगी और शीघ्र ही विवाह के योग बन जायेंगे।
  • जलझूलनी एकादशी (परिवर्तिनी एकादशी) पर रात के समय माँ लक्ष्मी का लाल गुलाब से श्रुंगार करं और उन्हे लाल फूल अर्पित करें और भोग में मखाने की खीर रखें। फिर श्रीसूक्त का नौ बार पाठ करें। इस उपाय के करने से अपार धन की प्राप्ति होगी। Jaljhulani Ekadashi

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