जानिए पितृदोष क्या है ,पितृदोष के लक्षण एवं उपाय – Pitrudosh
Pitrudosh गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार हिंदू धर्म में पितृ पक्ष कों लेकर बड़ी ही धार्मिक मान्यता है. इस दौरान सभी हिंदू धर्म को मानने वाले अपने पितरों की शांति और कृपा पाने के लिए तर्पण आदि करते हैं. कई जातकों को पितृदोष होता है. ऐसे में पितृपक्ष के दौरान व्यक्ति कुछ सरल उपाय कर पितृ दोष से मुक्ति पा सकता है. पितृ पक्ष के दौरान 15 दिनों तक अपने पितरों का तर्पण परिवार के कल्याण के लिए जरूरी है , जिससे पितृ प्रसन्न होकर परिवार पर कृपा करते हैं Pitrudosh
कालसर्प दोष के बाद यदि किसी दोष को खतरनाक माना जाता है, तो वह है पितृ दोष है. गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार पितृ दोष में भी व्यक्ति को कालसर्प दोष की तरह ही फल भोगने पड़ सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग बनते हैं. यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ योग बनते हैं. तो व्यक्ति को जीवन में सुख-सुविधाएँ और धन दौलत प्राप्त होती है. वहीं यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह नक्षत्रों के संयोग से कोई अशुभ दोष का निर्माण होता है. तो ऐसे व्यक्ति को जीवन में संघर्ष करना पड़ता है और सफलताएं बहुत कम मिलती हैं. है. Pitrudosh
क्या होता है पितृदोष
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार जब हमारे पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती, तो ये आत्माएं पृथ्वी लोक में रहने वाले अपने वंश के लोगों को कष्ट देती हैं. इसी को ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष कहा गया है. मृत्यु लोक पर हमारे पूर्वजों की आत्माएं अपने परिवार के सदस्यों को देखती रहती हैं. जो लोग अपने पूर्वजों का अनादर करते हैं, या उन्हें कष्ट देते हैं. इससे दुखी दिवंगत आत्माएं उन्हें शाप देती हैं इसी शाप को पितृ दोष माना जाता है. अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया गया हो, या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो उस व्यक्ति से जुड़े परिवार के लोगों को कई पीढ़ियों तक पितृ दोष का दंश झेलना पड़ता है। Pitrudosh
पितृ दोष के कारण, कुंडली में किस स्थिति में बनता है
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की किसी जातक की कुंडली के लग्न भाव और पांचवें भाव में सूर्य, मंगल और शनि विराजमान हो तो पितृदोष बनता है. इसके अलावा अष्टम भाव में गुरु और राहु एक साथ आकर बैठ जाते हैं तो पितृ दोष का निर्माण होता है. जब कुंडली में राहु केंद्र या त्रिकोण में मौजूद हो तो पितृदोष बनता है. वहीं जब सूर्य,चंद्रमा और लग्नेश का राहु से संबंध होता है तो जातक की कुंडली में पितृदोष बनता है. जब कोई व्यक्ति अपने से बड़ों क अनादर करता है या फिर हत्या कर देता है तो उसे पितृदोष लगता है. 0 Pitrudosh
पितृ दोष के लक्षण
- पितृ दोष होने पर व्यक्ति के जीवन में संतान का सुख नहीं मिल पाता है। अगर मिलता भी है तो कई बार संतान विकलांग होती है, मंदबुद्धि होती है या फिर चरित्रहीन होती है या फिर कई बार बच्चे की पैदा होते ही मृत्यु हो जाती है।
- नौकरी और व्यवसाय में मेहनत करने के बावजूद भी हानि होती रहे।
- परिवार में अक्सर कलह बने रहना या फिर एकता न होना। परिवार में शांति का अभाव।
- परिवार में किसी न किसी व्यक्ति का सदैव अस्वस्थ बने रहना। इलाज करवाने के बाद भी ठीक न हो पाना।
- परिवार में विवाह योग्य लोगों का विवाह न हो पाना। या फिर विवाह होने के बाद तलाक हो जाना या फिर अलगाव रहना।
- पितृदोष होने पर अपनों से ही अक्सर धोखा मिलता है।
- पितृदोष होने पर व्यक्ति बार-बार दुर्घटना का शिकार होता है। उसके जीवन में होने वाले मांगलिक कार्यों में बाधाएं आती हैं।
- परिवार के सदस्यों पर अक्सर किसी प्रेत बाधा का प्रभाव बने रहना। घर में अक्सर तनाव और क्लेश रहना।
- पितर दोष किसी भी प्रकार की सिद्धि को नहीं आने देता है। सफ़लता कोशों दूर रहती है और व्यक्ति केवल भटकाव की तरफ़ ही जाता रहता है। लेकिन पितर जो कि व्यक्ति की अनदेखी के कारण या अधिक आधुनिकता के प्रभाव के कारण पिशाच योनि मे चले जाते है, वे देखी रहते है, उनके दुखी रहने का कारण मुख्य यह माना जाता है कि उनके ही खून के होनहार उन्हे भूल गये है और उनकी उनके ही खून के द्वारा मान्यता नहीं दी जाती है। पितर दोष हर व्यक्ति को परेशान कर सकता है इसलिये निवारण बहुत जरूरी है Pitrudosh
पितृ दोष निवारण मंत्र का जाप कैसे करें
- श्राद्ध किसी भी अनुकूल समय से शुरू करें।
- इसके लिए सफेद कपड़े पहनें।
- शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सभी ज्ञात और अज्ञात पितरों को संतुष्ट करने की शपथ लें।
- एक दिन में इस मंत्र की 16 माला का पाठ करें या 4 दिनों तक 4 माला पाठ कर सकते हैं।
- 16 श्राद्ध के लिए इस मंत्र का 1 माला पाठ भी कर सकतेहैं।
- खत्म करने के बाद, ब्राह्मणों या गायों को कुछ खाद्य पदार्थ दें।
- आप ब्राह्मणों, गायों और गरीबों को भी दे सकते हैं।
पितृ दोष निवारण मंत्र
“ओम श्रीम् सर्व पितृ दोषो निवारनाय कालेशं हं सुख शांतिं देहि चरण स्वाहा” मंत्र है।
पितरो के लिए श्राद पक्ष है उत्तम अवसर
गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की श्राद्ध पक्ष हिंदू धर्म में पितृ देवताओं की पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो सितंबर या अक्टूबर महीने में मनाया जाता है। श्राद्ध पक्ष में पितृ देवताओं को उनकी आत्माओं के लिए श्राद्ध किया जाता है जो इस लोक से गुजर गए हैं। श्राद्ध पक्ष हिंदू धर्म में पितृ देवताओं की पूजा के लिए एक महत्वपूर्ण उत्सव है जो सितंबर या अक्टूबर महीने में मनाया जाता है। श्राद्ध पक्ष में पितृ देवताओं को उनकी आत्माओं के लिए श्राद्ध किया जाता है जो इस लोक से गुजर गए हैं। श्राद्ध पक्ष में पितृ देवताओं को तृप्ति मिलती है जो उन्हें स्वर्ग में आने वाली अनेक सुखों का आनंद देती है। इस प्रकार, पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए श्राद्ध पक्ष एक उत्तम अवसर होता है। श्राद्ध पक्ष में अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध करने से पितृ दोष का नाश होता है और उनकी आत्माओं को शांति मिलती है। Pitrudosh
पितृ दोष के उपायों में विभिन्न पूजाओं, दानों, मंत्रों और गुरु माँ निधि जी श्रीमाली द्वारा बताये गए कुछ विशेष उपायों का उपयोग कर सकते है। नीचे दिए गए कुछ प्रमुख पितृ दोष उपाय हैं:
- पितृ दोष शांति विधि: यह पूजा विशेष रूप से पितरों को समर्पित होती है। इसमें प्राचीन वेद मंत्रों का जाप किया जाता है जो पितरों के शांति और मुक्ति के लिए उपयोगी होते हैं।
- पितृ दोष के लिए दान: इसमें भूमि दान, गो दान, बारहखड़ी दान, तिल दान, गंगा जल दान और अन्न दान जैसे विभिन्न प्रकार के दान शामिल होते हैं।
- पितृ दोष निवारण के लिए मंत्र जप: कुछ विशेष मंत्रों के जप से भी पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त की जा सकती है। कुछ इस तरह के मंत्र हैं – “ऊँ नमो नारायण”, “ऊँ श्रीं ह्रीं क्लीं नमः”, “ऊँ पितृ देवाय नमः” आदि।
- पितृ दोष के लिए ज्योतिष उपाय: इसमें गोमेद रत्न, शनि की साढ़े साती के लिए शनि मंत्र का जाप, काल सर्प दोष के लिए काल सर्प योग का उपयोग, आदि
- आप पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ दोष निवारक यन्त्र की पूजा कर सकते है
- घर के दक्षिण दिशा के दीवार पर पितरों की फोटा लगाएं और नियमित पूजा करें. पितृदोष से संबंधितव शांति का विधिवत आयोजन करें.
- हर माह मे आने वाली चतुर्दशी तिथि को पीपल के दूध चढ़ाएं. अमावस्या पर श्रीमद्भागवत के गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें
- अपने स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराए। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद की वस्तु अवश्य बनाएं।
- सोमवती अमावस्या को (जिस अमावस्या को सोमवार हो) पास के पीपल के पेड के पास जाइये, उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीजिये और एक जनेऊ भगवान विष्णु के नाम का उसी पीपल को दीजिये, पीपल के पेड की और भगवान विष्णु की प्रार्थना कीजिये, और एक सौ आठ परिक्रमा उस पीपल के पेड की दीजिये, हर परिक्रमा के बाद एक मिठाई जो भी आपके स्वच्छ रूप से हो पीपल को अर्पित कीजिये। परिक्रमा करते वक्त :ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करते जाइये। परिक्रमा पूरी करने के बाद फ़िर से पीपल के पेड और भगवान विष्णु के लिये प्रार्थना कीजिये और जो भी जाने अन्जाने में अपराध हुये है उनके लिये क्षमा मांगिये। सोमवती अमावस्या की पूजा से बहुत जल्दी ही उत्तम फ़लों की प्राप्ति होने लगती है।
- कौओं और मछलियों को चावल और घी मिलाकर बनाये गये लड्डू हर शनिवार को दीजिये। Pitrudosh
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हर साल की भाँति इस साल भी 23 सितम्बर से 7 अक्टूबर तक लक्ष्मी अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है लक्ष्मी अनुष्ठान से सदैव माँ लक्ष्मी की कृपा रहती है तथा घर में सुख समृद्धि का वास होगा अगर आप भी माता लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते है तो इस लक्ष्मी अनुष्ठान में हिस्सा लेकर अपने नाम से पूजा करवाए यह अनुष्ठान गुरु माँ निधि जी श्रीमाली एवं हमारे अनुभवी पंडितो द्वारा विधि विधान से एवं उचित मंत्रो उच्चारण के साथ सम्पन्न होगा आज ही अनुष्ठान में हिस्सा लेकर माता लक्ष्मी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करे एवं किसी भी अन्य दिन किसी भी प्रकार की पूजा , जाप करवाना चाहते है तो हमारे संस्थान में संपर्क करे
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