Pandit NM Shrimali – Best Astrologer in India

Free Shipping above 1999/-

जानिए भगवान् शिव से जुड़े ‘तीन’ अंक का रहस्य एवं उनके जीवन में शामिल अंक 3 के सूचक – Mystery of the number ‘three

Mystery of the number 'three

जानिए भगवान् शिव से जुड़े ‘तीन’ अंक का रहस्य एवं उनके जीवन में शामिल अंक 3 के सूचक –Mystery of the number ‘three

Mystery of the number ‘three गुरु  माँ निधि जी श्रीमाली  ने बताया है की भगवान शिव यानि आदिनाथ से 3 अंक का गहरा नाता है, आमतौर पर तीन अंक को शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन भगवान भोलेनाथ की बात आती है तो तीन अंक, आस्था और श्रद्धा से जुड़ जाता है 

भगवान शिव की हर चीज में तीन अंक शामिल हैं. भगवान के त्रिशुल में तीन शूल. शिव की तीन आंखे, तीन बेल पत्ते, शिव के माथे पर तीन रेखाओं वाला त्रिपुंड. इस तीन अंक का भगवान शिव से क्या लगाव है.  Mystery of the number ‘three

शिव जी से जुड़े ‘तीन’ अंक का रहस्य 

गुरु  माँ निधि जी श्रीमाली  के अनुसार तीन असुरों ने तीन उड़ने वाले नगर बनाए थे, ताकि वो अजेय बन सके. इन नगरों का नाम उन्होंने त्रिपुर रखा था. ये उड़ने वाले शहर तीनों दिशा में अलग-अलग उड़ते रहते थे और उन तक पहुंचना किसी के लिए भी असंभव था. असुर आंतक करके इन नगरों में चले जाते थे, जिससे उनका कोई अनिष्ट नहीं कर पाता था. इन्हें नष्ट करने का बस एक ही तरीका था कि तीनों शहर को एक ही बाण से भेदा जाए. लेकिन ये तभी संभव था जब ये तीनों एक ही लाइन में सीधे आ जाएं. मानव जाति ही नहीं देवता भी इन असुर के आतंको से परेशान हो चुके थे. Mystery of the number ‘three

असुरों से परेशान होकर देवताओं ने भगवान शिव की शरण ली. तब शिवजी ने धरती को रथ बनाया. सूर्य और चंद्रमा को उस रथ का पहिया बना दिया. इसके साथ ही मदार पर्वत को धनुष और काल सर्प आदिशेष की प्रत्यंचा चढ़ाई. धनुष के बाण खुद विष्णु जी बने और सभी युगों तक इन नगरों का पीछा करते रहे. एक दिन वो पल आ ही गया जब तीनों नगर एक सीध में आ गए और शिव जी ने पलक झपकते ही बाण चला दिया. शिव जी के बाण से तीनों नगर जलकर राख हो गए. इन तीनों नगरों की भस्म को शिवजी ने अपने शरीर पर लगा लिया, इसलिए शिवजी त्रिपुरारी कहे गए. तब से ही शिवजी की पूजा में तीन का विशेष महत्त्व है. Mystery of the number ‘three

भगवान् शिव के जीवन में  शामिल अंक ३   सूचक 

भगवान् शिव को प्रिय तीसरा प्रहर 

शास्‍त्रों में पूरे द‌िन को चार प्रहर में बांटा गया है। चार प्रहर में से भगवान श‌िव को तीसरा प्रहर यानी संध्या का समय बहुत प्र‌िय है इसे प्रदोष काल कहा जाता है। इस समय भगवान श‌िव की पूजा व‌िशेष फलदायी होती है। Mystery of the number ‘three

त्रिशूल के 3 शूल 

भोलेनाथ का प्रिय अस्‍त्र त्रिशूल भी तीन स‍िरों का है। त्रिशूल तीन गुणों सत्व, रज और तम का परिचायक है। इन तीनों के बीच सांमजस्य बनाए बगैर सृष्ट‌ि का संचालन कठ‌िन है। इसल‌िए श‌िव ने त्र‌िशूल रूप में इन तीनों गुणों को अपने हाथों में धारण क‌िया। भगवान शिव के त्रिशूल के बारे में कहा जाता है कि यह त्रिदेवों यानी क‍ि ब्रह्मा,विष्णु और महेश का सूचक है। इसे रचना, पालक और विनाश के रूप में देखा जाता है। इसे भूत, वर्तमान और भविष्य के साथ धऱती, स्वर्ग तथा पाताल का भी सूचक माना जाता हैं। यह दैहिक, दैविक एवं भौतिक ये तीन दुःख, त्रिताप के रूप मे जाना जाता है। Mystery of the number ‘three

शिव के तीन नेत्र

शिव ही एक ऐसे देवता हैं जिनकी तीन नेत्र हैं. इससे पता लगता है कि शिव जी का तीन गहरा नाता है. शिव जी की तीसरी नेत्र कुपित होने पर ही खोलती है. शिव जी के इस नेत्र के खुलने से पृथ्वी पर पापियों का नाश हो जाएगा. इतना ही नहीं, शिव जी ये नेत्र ज्ञान और अंतर्दृष्टि का प्रतीक है. इसी से शिव जी ने काम दहन किया था.  Mystery of the number ‘three

बेल पत्र की पत्तियां तीन
शिवलिंग पर चढ़ाने वाली बेल पत्र की पत्तियां भी तीन होती हैं, जो एक साथ जुड़ी होती हैं. कहते हैं ये तीन पत्तियां त्रिदेव का स्वरुप है. 

शिव के मस्तक पर तीन आड़ी रेखाएं
शिव जी के मस्तक पर तीन रेशाएं या त्रिपुंड सांसारिक लक्ष्य को दर्शाता है. इसमें आत्मशरक्षण, आत्मप्रंचार और आत्मआबोध आते हैं. व्याक्तित्वध निर्माण, उसकी रक्षा और उसका विकास. तो इसलिए शिवजी को अंक ‘तीन’ अधिक प्रिय है Mystery of the number ‘three

 3 लोक

लोक भी तीन यानी क‍ि पाताल लोक या अधोलोक, भूलोक या मध्‍यलोक और स्‍वर्गलोक या उच्‍चलोक हैं। भगवान व‍िष्‍णु ने अपने वामन अवतार में राजा बली से मिले दान में एक ही पग में तीनों लोकों का माप ल‍िया था।  Mystery of the number ‘three

Connect our all social media platforms:- Click Here 

इस साल अधिकमास होने के कारण श्रावण मास 2 महीने तक रहेगा अर्थात भगवान् शिव की भक्ति के लिए अधिक समय मिलेगा 19 साल बाद ऐसा संयोग बनने से श्रावण मास का महत्व ओर अधिक बढ़ गया हर साल की तरह इस साल भी हमारे संस्थान में महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है अगर आप भी भगवान् शिव की कृपा पाना चाहते है तो इस महारुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर अपने नाम से रुद्राभिषेक करवाए यह रुद्राभिषेक गुरु माँ निधि जी श्रीमाली एवं हमारे अनुभवी पंडितो द्वारा विधि विधान से एवं उचित मंत्रो उच्चारण के साथ सम्पन्न होगा आज ही रुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर भगवान् शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करे एवं किसी भी अन्य दिन किसी भी प्रकार की पूजा , जाप एवं भगवान् शिव के महामृत्युंजय का जाप करवाना चाहते है तो हमारे संस्थान में संपर्क करे
जल्द सम्पर्क करे :- 9929391753