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जानिए श्रावण मास शिवरात्रि का महत्व , पूजा विधि , नियम एवं उपाय – Shravan Shivratri

जानिए श्रावण मास शिवरात्रि का महत्व , पूजा विधि , नियम एवं उपाय – Shravan Shivratri

Shravan Shivratri  गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की सावन के इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती के भक्त   व्रत उपवास रख कर पूजा अर्चना करते हैं। सोमवार  को रखे जाने वाले व्रत को सावन सोमवार व्रत कहा जाता है और मंगलवार को मंगला गौरी व्रत के रूप में जाना जाता है।  इसी तरह सावन में शिवरात्रि मनाई जाती है सावन शिवरात्रि हर साल सावन के महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक, रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते है मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों पर महादेव जल्दी प्रसन्न होते हैं और उन्हें उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। शिव जी की कृपा जिन लोगों पर होती है, उनके जीवन में कभी भी सुख समृद्धि की कमी नहीं होती।   Shravan Shivratri

सावन शिवरात्रि का महत्व

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार शिवरात्रि के दिन सच्चे मन से पूजा-व्रत करने से इंसान की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. इस दिन व्रत रखने से इंसान के सभी  मुश्किल काम हल हो जाते हैं और उसकी सभी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं. शिवरात्रि के बारे में कहा जाता है कि अगर कुंवारी कन्याएं इस दिन व्रत रखती हैं तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है और विवाह में आ रही रुकावट भी दूर हो जाती है. जो  कोई भी इंसान इस दिन सच्चे मन से पूजा करता है और व्रत रखता है   उसकी सभी इच्छाएं अवश्य पूरी हो जाती हैं. भगवान शिव की कृपा से इस व्रत को रखने वाले इंसान के सभी बिगड़े और अधूरे काम बन जाते हैं.   भगवान शिव का यह ख़ास व्रत संतान प्राप्ति और रोग मुक्ति के लिए भी किया जाता है.   Shravan Shivratri

सावन शिवरात्रि व्रत विधि

शिवरात्रि व्रत के एक दिन पहले त्रयोदशी के दिन भक्तों को केवल एक बार भोजन करना चाहिए। शिवरात्रि के दिन प्रात : काल की रस्में पूरी होने के बाद भक्तों को पूरे दिन उपवास रखने का संकल्प लेना चाहिए और अगले दिन भोजन करना चाहिए और भगवान शिव से उनका आशीर्वाद मांगना चाहिए ताकि वे बिना रुके उपवास समाप्त कर सके। शिवरात्रि के दिन शाम को भक्तों को शिव पूजा या मंदिर जाने से पहले स्नान करना चाहिए। शिव पूजा रात में करनी चाहिए, और अगले दिन दोबारा स्नान करके व्रत तोड़कर भोजन करना चाहिए। सबसे ज्यादा लाभ के लिए, भक्तों को दिन के उजाले और चतुर्दशी तिथि के बीच उपवास तोड़ना चाहिए। कुछ का कहना है कि चतुर्दशी तिथि के बाद भक्तों को व्रत तोड़ना चाहिए। चतुर्दशी तिथि को व्रत तोड़कर शिव पूजा करनी चाहिए। Shravan Shivratri

शिवरात्रि व्रत के नियम

  • शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद व्रत का संकल्प लें।
  • अपने घर में शिवलिंग या मंदिर में जाकर शिवलिंग पर फूल, पुष्प, बेलपत्र आदि चढ़ाकर भगवान शिव की प्रतिमा पर चंदन का तिलक लगाएं।
  • शिवरात्रि के दिन यदि आप व्रत रखते हैं तो एक समय ही फलहार करना चाहिए। यानी की आप सिर्फ एक समय ही भोजन खा सकते हैं।
  • जो फलाहार करते हैं वह कोई भी फल खा सकते हैं। लेकिन, इस दिन गेहूं या चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • साथ ही शिवरात्रि के दिन चार प्रहर की पूजा का विशेष महत्व होता है तो इस दिन चार प्रहर की पूजा जरूर करें। पूजा के बाद कथा जरुर पढ़ें
  • व्रत के दौरान आपको गेहूं, चावल, दाल, या फिर कोई भी साबुत अनाज से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • व्रत में आप खिचड़ी, सिंघाड़े का हलवा, कुट्टू, सामा के चावल, आलू आदि का सेवन कर सकते हैं। ख्याल रखें की व्रत में सिर्फ और सिर्फ सेंधा नमक का ही प्रयोग करें। Shravan Shivratri

सावन शिवरात्रि व्रत कथा 

शिव पुराण में सावन शिवरात्रि की महीमा का वर्णन किया गया है. गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार वाराणसी के जंगल में गुरुद्रुह नाम एक शिकारी रहता था. एक दिन जंगल में घूमते-घूमते सुबह से लेकर रात हो गई लेकिन उसे कोई शिकार नहीं मिला. उस दिन शिवरात्रि तिथि थी. वो जंगल में ही एक बेलपत्र के पेड़ पर आराम करने लगा, तभी वहां एक हिरनी आई. उसने जैसे ही तीर चलाने की कोशिश की तभी एक बेलपत्र और बारिश से पेड़ पर जमा पानी नीचे स्थापित शिवलिंग पर गिर गया. शिकारी से अनजाने में शिवरात्रि के पहले प्रहर की पूजा हो गई.

ऐसे हुई दूसरे प्रहर की पूजा

हिरनी की नजर शिकारी पर पड़ गई. उसने शिकारी से कहा कि घर में बच्चे उसका इंतजार कर रहे हैं. हिरनी की बात सुनकर शिकारी ने उसे छोड़ दिया. इसके बाद हिरनी की बहन वहां गुजरी. फिर गुरुद्रुह ने अपना धनुष और तीर चढ़ाया. दोबारा बेलपत्र और जल शिवलिंग पर जा गिरे. ऐसे दूसरे प्रहर की पूजा हो गई. उस हिरनी ने भी अपने बच्चों को सुरक्षित स्थान पर छोड़कर दोबारा आने की बात कही तो गुरुद्रुह को उस पर भी दया आ गई. Shravan Shivratri

शिकार के इंतजार में अनजाने में की शिव पूजा

थोड़ी देर बार एक हिरन अपनी हिरनी की खोज में आया. फिर पूरी प्रक्रिया अनजाने में हुई और तीसरे प्रहर में भी शिवलिंग का पूजन हो गया. कुछ देर के बाद तीनों हिरनी  और हिरन शिकारी को किए वादे के चलते उसके पास आ गए. इन सभी को देखकर गुरुद्रुह बहुत खुश हो गया. वो सबको मारता उससे पहले चौथे प्रहर की पूजा भी संपन्न हो गई.

शिव जी ने शिकारी को दिया विशेष आशीर्वाद

सुबह से रात तक बिना कुछ खाए पिए उससे अनजाने में शिवरात्रि का व्रत -पूजा हो गई. इस तरह उसे पापों से मुक्ति मिल गई और उसने हिरनों को मारने का विचार भी छोड़ दिया. जिसके प्रभाव से उसके पाप तत्काल भस्म हो गए। सूर्योदय होते ही उसने सभी हिरनों को मारने का विचार त्याग दिया. तभी शिवलिंग से भगवान शंकर प्रकट हुए और उसे वरदान देते बोले त्रेतायुग में भगवान राम उसके घर आएंगे साथ ही उसके बाद वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाएगा. Shravan Shivratri

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली द्वारा सावन शिवरात्रि को करे ये उपाय 

  • शिवरात्रि पर सांध्यकाल या रात्रिकाल के समय भगवान शिव को शमी पत्र या रुद्राक्ष अर्पित करने से घर में धन आगमन के योग बनते हैं. इस उपाय को करने से धन से संबंधित हर समस्या से छुटकारा मिलता है.
  • अगर आप नौकरी, कारोबार से जुड़ी समस्या झेल रह हैं तो आज रात शिव मंदिर में जाकर 11 दीपक जलाएं और वहीं खड़े होकर ‘ओम नमः शिवाय’ का मन ही मन जाप करें. ऐसा करने से जल्द समस्याओं का अंत होता है.
  • शिवरात्रि पर सांध्यकाल की पूजा के बाद किसी जरूरतमंद सुहागिन स्त्री को सुहाग की चीजें दान करें. इस उपाय को करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति की दीर्घायु का वरदान मिलता है.
  • सावन शिवरात्रि की रात लगभग 12 बजे अपने आस-पास स्थित किसी शिव मंदिर में जाकर उसकी साफ-सफाई करें. ऐसा करने से शिव की विशेष कृपा मिलती 
  • आज के दिन शिवजी पर जल, चावल, फूल और बेलपत्र चढ़ाएं. उनके सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक लगाएं. पूजा के बाद रुद्राक्ष की माला से ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और अपनी मनोकामना नंदी के कान में बोलें. माना जाता है कि इससे धन लाभ के बड़े योग भी बनते हैं. Shravan Shivratri

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इस साल अधिकमास होने के कारण श्रावण मास 2 महीने तक रहेगा अर्थात भगवान् शिव की भक्ति के लिए अधिक समय मिलेगा 19 साल बाद ऐसा संयोग बनने से श्रावण मास का महत्व ओर अधिक बढ़ गया हर साल की तरह इस साल भी हमारे संस्थान में महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है अगर आप भी भगवान् शिव की कृपा पाना चाहते है तो इस महारुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर अपने नाम से रुद्राभिषेक करवाए यह रुद्राभिषेक गुरु माँ निधि जी श्रीमाली एवं हमारे अनुभवी पंडितो द्वारा विधि विधान से एवं उचित मंत्रो उच्चारण के साथ सम्पन्न होगा आज ही रुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर भगवान् शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करे एवं किसी भी अन्य दिन किसी भी प्रकार की पूजा , जाप एवं भगवान् शिव के महामृत्युंजय का जाप करवाना चाहते है तो हमारे संस्थान में संपर्क करे
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