Jane kese kare Vishavkrama yantra ki pooja
हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान विश्वकर्मा निर्माण एवं सृजन के देवता कहे जाते हैं। माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने ही इन्द्रपुरी, द्वारिका, हस्तिनापुर, स्वर्ग लोक, लंका आदि का निर्माण किया था। इस दिन विशेष रुप से औजार, मशीन तथा सभी औद्योगिक कंपनियों, दुकानों आदि पूजा करने का विधान है। Vishavakarma Yantra ki Pooja Vidhi
विश्वकर्मा पूजा के विषय में कई भ्रांतियां है।कई लोग भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विश्वकर्मा पूजा करते हैं तो कुछ इसे दीपावली के अगले दिन मनाते हैं।भाद्रपद माह में विश्वकर्मा पूजा16सितंबर को है।Vishavakarma Yantra ke Pooja Vidhi
विश्वकर्मा की जन्म कथा-
एक कथा के अनुसार संसार की रंचना के आरंभ में भगवान विष्णु सागर में प्रकट हुए। विष्णु जी के नाभि-कमल से ब्रह्मा जी दृष्टिगोचर हो रहे थे। ब्रह्मा के पुत्र “धर्म” का विवाह “वस्तु” से हुआ।
धर्म के सात पुत्र हुए इनके सातवें पुत्र का नाम ‘वास्तु’ रखा गया, जो शिल्पशास्त्र की कला से परिपूर्ण थे। ‘वास्तु’ के विवाह के पश्चात उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम विश्वकर्मा रखा गया, जो वास्तुकला के अद्वितीय गुरु बने Vishavakarma Yantra ke Pooja Vidhi
विश्वकर्मा पूजा विधि-
विश्वकर्मा पूजा के लिए व्यक्ति को प्रातः स्नान आदि करने के बाद अपनी पत्नी के साथ पूजा करना चाहिए। पत्नि सहित यज्ञ के लिए पूजा स्थान पर बैठें। हाथ में फूल, अक्षत लेकर भगवान विश्वकर्मा का नाम लेते हुए घर में अक्षत छिड़कना चाहिए।
भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते समय दीप, धूप, पुष्प, गंध, सुपारी आदि का प्रयोग करना चाहिए। पूजा स्थान पर कलश में जल तथा विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। विश्वकर्मा प्रतिमा पर फूल चढ़ने के बाद सभी औजारों की तिलक लगा के पूजा करनी चाहिए। अंत में हवन कर सभी लोगों में प्रसाद का वितरण करना चाहिए।
विश्वकर्मा पूजा मंत्र –
विश्वकर्मा पूजा के समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए:
ओम आधार शक्तपे नम: और ओम् कूमयि नम:
ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:
विश्वकर्मा पूजा फल –
मान्यता है कि विश्वकर्मा पूजा करने वाले व्यक्ति के घर धन-धान्य तथा सुख-समृद्धि की कभी कोई कमी नही रहती है। इस पूजा की महिमा से व्यक्ति के व्यापार में वृद्धि होती है तथा सभी मनोकामना पूरी हो जाती है।
Vishavakarma Yantra ke Pooja Vidhi