Venus Rahu’s conjunction in the Horoscope – शुक्र राहु की युति कुंडली में एक ऐसा ग्रहों का संयोग है जो अस्त व सामान्यतः अशुभ माना जाता है। इस योग को ग्रहों के स्वभाव, स्थान और दृष्टि के आधार पर समझा जा सकता है। विश्व विख्यात ज्योतिषाचार्य निधि जी श्रीमाली ने कुंडली में शुक्र राहु युति के बारे में विस्तार से समझाया है |
इस युति प्रतियोग में जातक की पत्नी भूत प्रेत से संचरित रहती है | और इनका विवाह अचानक से या बहुत ज्यादा विलम्ब से होता है |
गुरुमाँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार शुक्र और राहु दोनों ही महत्वपूर्ण ग्रह हैं जो जातक के व्यक्तित्व, सम्पत्ति, संबंधों और वैवाहिक जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। राहु के साथ शुक्र की युति में जातक को संबंधों या वैवाहिक जीवन में उन्नति के बजाय असफलता और अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
गुरुमां निधि जी कहतीं है कि इस योग का प्रभाव जातक की कुंडली के अन्य ग्रहों की स्थिति पर भी निर्भर करता है। यदि इस योग के साथ सूर्य, चंद्रमा या गुरु आदि ग्रह उच्च राशि में स्थित हों तो यह योग अधिक शुभ हो सकता है। वहीं, यदि इस योग के साथ कुछ अन्य अशुभ योग जैसे कि कालसर्प दोष क्रूर ग्रहों (शनि , मंगल ) की दृष्टि आदि हो तो इसका प्रभाव और भी अधिक हो सकता है।
इस युति के द्वादश भाव फलों में से कुछ भावों के फल निम्न है –
1) लग्न स्थान में – जातक के दो पत्नियां होने की संभावना रहती है | घर की पत्नी का सुख कम मिलता है परन्तु बाहर की स्त्रियों का सुख अधिक मिलता है | उद्योग धंधे में अधिक बढ़ाएं आती है | परिस्थिति डावांडोल रहती है | जातक की पत्नी हमेशा बीमार रहती है |
2) धन स्थान में – जातक की पहली शादी अगर कम उम्र में हो जाती है तो 2 पत्नियां होती है | लेकिन अगर विवाह 40 की उम्र तक हो तो पत्नी एक ही रहती है | परन्तु ऐसी स्थिति में पत्नी अभागी रहती है |
3) चतुर्थ स्थान में – जातक के घर में किसी स्त्री में भूत प्रेत संचरित रहता है | जातक को स्त्री सुख कम मिलता है | किसी नष्टानशित स्त्री का धन मिलने की संभावना रहती है | पत्नी की माँ, मौसी, बुआ इनसे कष्ट झेलने पड़ते है | लेकिन जातक दीर्घायु होता है |
4) पंचम स्थान में – इस युति में जातक के बच्चे ठीक नहीं होते हैं | आर्थिक परिस्थिति ठीक नहीं रहती परन्तु मानसिक समाधान प्राप्त होता है | और जातक को स्त्री सुख मिलने की संभावना कम होती है |
5) सप्तम स्थान में – गुरुमां निधि जी श्रीमाली के अनुसार इस युति में जातक के दो विवाह होते हैं | प्रथम पत्नी से अनबन बनी रहती है | और वह या तो तलाक ले लेगी या भाग जाएगी | और जातक रखेल को रखते हैं | विवाह 36 की उम्र के आस पास होता है | पत्नी कैकई के समान मिलती है | उद्द्यम या नौकरी नहीं मिलती है | पत्नी में भूत प्रेत संचरित रहता है |
6) नवम स्थान में – जातक को पत्नी अलग शाखा की या अलग जाती की मिलती है | रसायन शास्त्र की और अधिक झुकाव रहता है और जातक की विदेश गमन की इच्छा रहती है |
7) दशम भाव में – जातक को स्त्री सुख नहीं मिलता है | और मनपसंद उद्योग या नौकरी भी नहीं मिलती | मनपसंद पैसा भी नहीं मिलता है लेकिन मित्र परिवार बहुत बड़ा रहता है |
8) व्यय स्थान में – इस युति में जातक के एक से अधिक विवाह होते है | पत्नी साधारण भाग्य की मिलती है | संतति भरपूर होती है , परन्तु मर जाती है |
Venus Rahu’s conjunction in the Horoscope – शुक्र – राहु की युति के उपाय —
- यदि शुक्र और राहु की युति किसी जातक को बहुत ज्यादा परेशान करने लगे तो कुछ विशेष उपाय कर लेना उचित होता है –
- 1) अपने घर में शुक्र राहु दोष निवारण यंत्र स्थापित करें |
- 2) शुक्र राहु दोष निवारण पूजा करवाएं |
- 3) प्रतिदिन सुबह शुक्र के मंत्र ‘ॐ शुं शुक्राय नमः’ का एक माला जाप करें |
- 4) शुक्रवार को नियमित उपवास कर |
- 5) शुक्रवार को भोजन में दही या खीर जैसी चीजों का प्रयोग करें |
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