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जानिए स्वास्तिक चिन्ह का धार्मिक महत्व , लाभ एवं मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिह्न पर बनाने का कारण – Swastika

जानिए स्वास्तिक चिन्ह का धार्मिक महत्व , लाभ एवं मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिह्न पर बनाने का कारण – Swastika

Swastika गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की स्वास्तिक को अत्यंत प्राचीन समय से बहुत ही मंगल प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले स्वास्तिक का चिन्ह अवश्य बनाया जाता है। स्वास्तिक शब्द सु+अस+क शब्दों से मिलकर बना है। ‘सु’ का अर्थ अच्छा या शुभ, ‘अस’ का अर्थ ‘सत्ता’ या ‘अस्तित्व’ और ‘क’ का अर्थ ‘कर्त्ता’ या करने वाले से है। इस तरह से स्वास्तिक शब्द का अर्थ मंगल करने वाला माना गया है। स्वास्तिक को भगवान गणेश का प्रतीक भी माना जाता है। गणेश जी शुभता के देवता है और प्रथम पूजनीय हैं इसलिए भी हर कार्य से पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाना बहुत ही शुभ रहता है। खासतौर पर मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा में स्वास्तिक का चिन्ह अवश्य बनाया जाता है। Swastika

स्वास्तिक चिन्ह का धार्मिक महत्व

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार हिंदू धर्म में स्वास्तिक चिन्ह को गणपति का प्रतीक माना जाता है। भगवान गणेश जो सभी विघ्नों को दूर करके, सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं। हिन्दू धर्म में किसी भी कार्य को निर्विघ्न रूप से पूर्ण करने और उसमें सफलता पाने के लिए स्वास्तिक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। हिंदू धर्म के अलावा जैन और बौद्ध धर्म में भी स्वास्तिक का विशेष महत्व है। इन दोनों धर्मों में भी मंगल की कामना लिए स्वास्तिक चिन्ह का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। Swastika

स्वास्तिक की चार रेखाओं का अर्थ

ऋग्वेद में स्वास्तिक को सूर्य माना गया है और उसकी चारों भुजाओं को चार दिशाओं की उपमा दी गई है। इसके अलावा स्वास्तिक के मध्य भाग को विष्णु की कमल नाभि और रेखाओं को ब्रह्माजी के चार मुख, चार हाथ और चार वेदों के रूप में भी निरूपित किया जाता है। अन्य ग्रंथो में स्वास्तिक को चार युग, चार आश्रम (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) का प्रतीक भी माना गया है। यह मांगलिक विलक्षण चिन्ह अनादि काल से ही संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त रहा है। भारतीय संस्कृति में स्वास्तिक को में प्राचीन समय से ही मंगल प्रतीक माना गया है इसलिए कुंडली बनानी हो, वही खाता का पूजन करना हो या फिर कोई भी शुभ अनुष्ठान स्वास्तिक अवश्य बनाया जाता है। Swastika

स्वास्तिक चिह्न मुख्य द्वार पर बनाने की वजह

 गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार स्वास्तिक चिह्न को घर के मुख्य द्वार पर बनाए जानें के पीछे की बड़ी वजह यह है, कि सभी अच्छी-बुरी ताकतें मुख्य द्वार के जरिए ही घर में प्रवेश करती हैं। ऐसे में अगर आप घर के मेन गेट पर स्वास्तिक चिह्न बना देते हैं तो वह एक रक्षक की तरह नकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने से रोक देता है। स्वास्तिक चिह्न में 4 भुजाएं समानांतर रूप में बनाई जाती हैं। ये चारों दिशाएं प्रकृति की चारों दिशाओं की प्रतीक है। इसके बाद उन चारों भुजाओं को थोड़ा सा दाहिनी ओर मोड़ दिया जाता है। इस प्रकार बने स्वास्तिक चिह्न को बहुत कल्याणकारी और मानव जीवन के लिए शुभ माना जाता है। कहते है कि घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिह्न बना देने से दरिद्रता और बीमारी घर में प्रवेश नहीं कर पाती, जिससे वह परिवार हमेशा सुखी और समृद्ध रहता है। गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार, घर के मेन गेट पर हमेशा हल्दी से ही स्वास्तिक चिह्न बनाना चाहिए। हल्दी में आयुर्वेदिक गुण होते हैं और यह वायरस समेत सूक्ष्म जीवियो और नकारात्मक शक्तियों के लिए अवरोध बन जाती है। घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक चिन्ह बनाने के लिए उचित दिशा भी जानना जरुरी है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, स्वास्तिक चिह्न हमेशा उत्तर या ईशान दिशा में ही बनाना चाहिए। मान्यता है कि इन दिशाओं में स्वास्तिक बनाने से भगवान और देवी-देवताओं की कृपा हमेशा परिवार पर बनी रहती है। Swastika

स्‍वास्तिक बनाने और प्रयोग करने में ध्‍यान रखें ये बातें 

  • हमेशा ध्‍यान रखें कि स्‍वास्तिक सीधा ही बनाएं. उल्‍टा स्‍वास्तिक बनाना बहुत भारी पड़ सकता है. यह जीवन में कई मुसीबतें ला सकता है. 
  • स्‍वास्तिक सीधा बनाने के साथ-साथ इसकी रेखाएं और कोण सही अनुपात में होने चाहिए. इनका बड़ा-छोटा होना अच्‍छा नहीं माना जाता है. 
  • स्‍वास्तिक का शुभ प्रतीक लाल, पीले और नीले रंग से ही बनाना चाहिए. इसमें लाल और पीला रंग सबसे शुभ माना गया है. इनके अलावा किसी अन्‍य रंग से बना सवास्तिक अशुभ फल देता है. 
  • जो लोग स्‍वास्तिक धारण करना चाहते हैं, वे ध्‍यान रखें कि स्‍वास्तिक के चारों ओर एक गोलाकार घेरा हो. सोने या चांदी के गोलाकार घेरे के अंदर बना स्‍वास्तिक लाल धागे में धारण करना एकाग्रता बढ़ाता है Swastika
  • स्वस्तिक हमेशा सीधा बनाएं और ध्‍यान रखें कि ये घर में हमेशा सीधा और मंदिर में उल्‍टा बनाया जाता है. घर में जहां स्वास्तिक बनाना है, वह स्थान एकदम साफ और पवित्र होना चाहिए.
  • स्‍वास्तिक घर के मुक्ख्‍य दरवाजे पर बनाना चाहिए. इससे सकारात्‍मक ऊर्जा घर में प्रवेश करती हैं और नकारात्‍मक ऊर्जा दूर रहती है. दरवाजे पर स्वस्तिक बनाने से वास्तुदोष भी दूर हो सकते हैं. 
  • वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए पूजा करते समय हल्दी से स्वस्तिक बनाना चाहिए.शेष मनोकामनाओं के लिए कुमकुम से स्वस्तिक बनाना चाहिए.
  • स्‍वास्तिक बनाने के बाद बीच में बिंदी भी जरूर बनाएं और स्‍वास्तिक के चारों कोने को कर्व बनाना चाहिए. Swastika

स्वास्तिक के सरल और प्रभावी उपाय

  1. ऐसा माना जाता है कि किसी घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर या फिर रोली से स्वास्तिक चिन्ह बनाने से उस घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक उर्जा का प्रवेश नहीं होता है और घर में रहने वाले परिवार पर हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  2. कॅरिअर या कारोबार में सफलता पाने के लिए भी स्वास्तिक चिन्ह का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। मान्यता है कि यदि आप किसी कार्य विशेष में सफलता पाना चाहते हैं तो आप अपने घर के उत्तर दिशा में हल्दी से स्वास्तिक चिन्ह बना दें और प्रतिदिन वहां पर धूप-दीप दिखाते रहें। Swastika
  3. कारोबार में लाभ पाने के लिए आप उत्तर-पूर्व दिशा में लगातार सात बृहस्पतिवार तक सूखी हल्दी से निशान बनाएं। मान्यता है कि इस उपाय से चमत्कारिक रूप से व्यवसाय में हो रहा घाटा दूर होता है और धन-धान्य में वृद्धि होती है।
  4. घर को बुरी नजर से बचाने के लिए काले रंग का सातिया लगाया जाता है. मान्यता है कि काल रंग के कोयले से बने स्वास्तिक से नकारात्मक शक्तियां दूर होती है
  5. वास्तु दोष से छुटकारा पाने के लिए स्वास्तिक बनाया जाता है. क्योंकि इसकी चारों रेखाएं चारों दिशाओं के प्रतीक होती है. आप किसी भी प्रकार के वास्तु दोष को दूर करने के लिए घर के मुख्यद्वार पर स्वास्तिक बनाएं. इससे आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और चारों दिशाएं शुद्ध हो जाती है. इसके अलावा स्वास्तिक बनाने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है. Swastika

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