| जन्माष्टमी 2018|
नंद के घर आनन्द भायो.. जय कन्हैया लाल की !
राधा की भक्ति, मुरली की मिठास, माखन का स्वाद
इन्हीं सबसे मिलकर बनता हैं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का दिन खास ..
जन्माष्टमी (Shri Krishna Janmashtami 2018) पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप मनाया जाता हैं। यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता हैं। जन्माष्टमी के पर्व को भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। श्रीकृण युगों -युगों से हमारी आस्था के केन्द्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा। भगवान कृष्ण को गोविंदा, बालगोपाल, कान्हा, गोपाल, मुरलीधर , लगभग 108 नामों से जाना जाता हैं। (Shri Krishna Janmashtami 2018) उनके हाथों में एक बांसुरी और सिर पर एक मोर पंख रहता हैं। कृष्ण अपनी रासलीलाओं और अन्य गतिविधियों के लिए अपने मानव जन्म के दौरान प्रसिद्ध है ।
16 कलाओं से संपन्न भगवान श्री कृष्ण (Shri Krishna Janmashtami 2018) का अवतरण भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रात्रि 12 बजे मथुरा नगरी के कारागार में वासुदेव जी की पत्नि देवकी के गर्भ से रोहिणी नक्षत्र में एवं वृषभ के चंद्रमा की स्थिति में बुधवार के दिन हुआ था।
पंडित एन.एम् श्रीमाली (PANDIT NM SHRIMALI) के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण लगभग 5 हजार 243 वर्ष पूर्व मध्य रात्रि में इस धरती पर अवतरित हुए थे। इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 3 सितंबर कृष्ण अष्टमी को मनाया जाएगा।
हिन्दू धर्म शास्त्रों में जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का बहुत महत्व बताया गया हैं। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रसन्नचित होकर इस दिन व्रत रखते हैं। उनके घर कारोबार में सदैव स्थिर लक्ष्मी का वास रहता हैं। उनको कार्यो में मनोवांछित सफलता प्राप्त होती हैं। स्कंद पुराण के अनुसार यदि जो मनुष्य जानते हुए भी जन्माष्टमी का व्रत नहीं रखता, वह जंगल में सर्प के समान होता हैं।
शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण की पत्नि रूकमणी, माँ लक्ष्मी का अवतार थी। अंत अगर इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को प्रसन्न करने लिए विशेष उपाए किए जाए तो माना लक्ष्मी भी प्रसन्न हो जाती हैं और भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।
आईये जाने कृष्ण जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती हैं (When & Why we Celebrate Shri Krishna Janmashtami )
Shri Krishna Janmashtami 2018
भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन धूमधाम से मनाया जाता हैं। जन्माष्टमी पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता हैं।
श्रीकृष्ण देवकी और वासुदेव के 8 वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था जो बहुत अत्याचारी था। उसके अत्याचार दिन- प्रतिदिन बढते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8 वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को काल-कोठरी में डाल दिया। जब देवकी ने श्रीकृष्ण को जन्म दिया। तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास सुरक्षित जीवन व्यापन और सृष्टि कल्याण हेतु पहुंचा दें । जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सके। श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ।
प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के जनमोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। Shri Krishna Janmashtami 2018
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर से सजाया जाता हैं। जन्माष्टमी पर सभी 12 बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाता हैं।
मथुरा में जन्माष्टमी उत्सव (Festival In Mathura) :-
भगवान कृष्ण के जन्मस्थान, मथुरा में जन्माष्टमी का त्यौहार महान भव्यता और भक्ति से मनाया जाता हैं। जैसा कि भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ। इसी प्रकार कई अनुष्ठानों को ठीक उसी समय किया जाता हैं। सबसे लोकप्रिय और भव्य द्वारकाधीश मंदिर में देखा जाता हैं |
श्रावण के महीने में झुल्लनोत्सव मथुरा में बहुत ही भव्य रूप से मनाया जाता हैं यह उत्सव कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में किया जाता है । घाटों और मंदिरों को बहुत ही सुंदर और विस्तृत रूप से सजाया जाता हैं कि ये पूरे महीने महिमा और जश्न मनाया जाता हैं।
पूरे महीने मथुरा शहर प्रार्थना में डूबा रहता हैं। शंख और घंटीयों की आवाज चारों तरफ गुंजती हैं। भगवान श्रीकृष्ण के स्वागत के लिए भक्तों की भीड इस पवित्र शहर में इक्कठा होती हैं। धार्मिक अनुष्ठान के बाद पंचामृत, भक्तों को शहद, गंगाजल, दही, घी का मिश्रण वितरित किया जाता हैं। जो लोग व्रत रखते हैं वे प्रसाद के साथ अपने उपवास को तोडते हैं। खीर, लड्डू और मक्खन जैसी भगवान कृष्ण प्रिय व्यंजनों को पत्तल के पात्र में प्रसाद वितरित किया जाता हैं। Shri Krishna Janmashtami 2018
वृंदावन में जन्माष्टमी का उत्सव (Festival In Vrindavan) :-
महाभारत के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपने प्रांरभिक वर्ष यमुना नदी के तट पर स्थित वृन्दावन में बिताएं। रासलीला प्रदर्शन के लिए ज्ञात वृन्दावन शहर में हर साल लाखों श्रद्धालु जन्माष्टमी के त्यौहार के दौरान भ्रमण करने आते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वृंदावन में मधुबन एक ऐसा स्थान हैं। जहां भगवान कृष्ण रासलीला करते थे।
जन्माष्टमी का उत्सव कम से कम 7-10 दिन पहले इस पवित्र शहर वृन्दावन में जश्न मनाया जाता हैं। पूरे शहर में कई भगवान कृष्ण संबंधी नाट्य , कृष्ण बाललीलाएं और रासलीला का आयोजन किया जाता हैं। वृन्दावन में अनुष्ठानवादी स्नान के अलावा, पूरे दिन सभी मंदिरों में कई पूजा और धार्मिक समारोह आयोजित किए जाते हैं। Shri Krishna Janmashtami 2018
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर करें यह उपाय, होंगे मालामाल
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अपनी समस्त इच्छाओं की पूर्ति के लिए, अभीष्ट लाभ की सिद्धि के लिए जन्माष्टमी के दिन ये उपाय पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास से अवश्य ही करें:-
1) धन लाभ के लिए:- आर्थिक संकट के निवारण के लिए, धन लाभ के लिए जन्माष्टमी के दिन प्रातः स्नान आदि करने के बाद किसी भी राधा-कृष्ण मंदिर मेे जाकर प्रभु श्रीकृष्ण जो पीले फूलों की माला अर्पण करें। इससे आर्थिक संकट दूर होने लगते हैं। धन लाभ के योग प्रबल होते हैं।
2) मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए:- जन्माष्टमी के दिन प्रातः दक्षिणावती शंख में जल भरकर श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
3) ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए: – जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को सफेद मिठाई, साबुतदाने अथवा चावल की खीर यथाशक्ति मेवे डालकर बनाकर उसका भोग लगाएं। उसमें चीनी की जगह मिश्री डाले एवं तुलसी के पत्ते भी अवश्य डालें। इससे भगवावन द्वारकाधीश की कृपा से ऐश्वर्य प्राप्ति के योग बनते हैं।
4) धन-यश की प्राप्ति के लिए:- भगवान श्रीकृष्ण पींताबर धारी भी कहलाते हैं। पीतांबर धारी का अर्थ हैं। जो पीले रंग के वस्त्र धारण करता हो। इसलिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन किसी मंदिर में भगवान के पीले रंग के कपडे, पीले फल, पीला अनाज व पीली मिठाई दान करने से भगवान श्रीकृष्ण व माता लक्ष्मी दोनों प्रसन्न रहते हैं, उस जातक को जीवन में धन और यश की कोई भी कमी नहीं रहती हैं।
5) सर्व कार्य सिद्वि के लिए: – जन्माष्टमी के दिन अपने घर में कामधेनु गाय को स्थापित कर उसके सामने जटा वाला नारियल और कम से कम 11 बादाम चढाएं। ऐसी मान्यता है कि जो जातक जन्माष्टमी से शुरूआत करके लगातार सत्ताइस दिन तक जटा वाला नारियल और बादाम चढाता हैं। उसके सभी कार्य सिद्ध होते हैं, उसको जीवन में किसी भी चीज का अभाव नहीं रहता हैं।
6) व्यापार, नौकरी में तरक्की के लिए:- कई बार काफी कोशिशों के बाद व्यापार, नौकरी मेें मनवांछित सफलता नहीं मिल पाती हैं। इसलिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन अपने घर में सात कन्याओं को घर बुलाकर उन्हे खीर या सफेद मिठाई खिलाकर कोई भी उपहार दें। ऐसा उसके बाद पांच शुक्रवार तक लगातार करें। इसे करने से मां लक्ष्मी की कृपा से व्यापार, कारोबार में मनवांछित सफलता मिलती हैं।
7) स्थाई धन लाभ के लिए:– श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण को पान का पत्ता अर्पित करें। फिर उसके बाद उस पत्ते पर रोली से श्री मंत्र लिखकर उसे अपनी तिजोरी में रख लें। इस उपाय से लगातार धन का आगमन होता रहता हैं।
8) विपुल ऐश्वर्य, स्थाई सुख सृमद्धि के लिए:- जन्माष्टमी की रात को 12 बजे जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। उस समय भगवान श्रीकृष्ण का केसर मिश्रित दूध अथवा पंचामृत से अभिषेक करें। फिर उन्हें गंगा या साफ जल से स्नान कराकर वस्त्र अर्पित करके आसन अथवा झूलें में बैठाएं। तत्पश्चात भगवान को मिश्री, मक्खन, मिठाई, फल अर्पित करके दक्षिणा चढाएं, अंत में भगवान की आरती करके उनसे अपने यहां स्थाई रूप् से रहने का निवेदन करें। जातक पूजा करने के बाद घर के सभी बडे सदस्यों के चरण छुकर उनका आशीर्वाद भी अवश्य ही लें ।
जन्माष्टमी पर अपनी राशि अनुसार करें श्रीकृष्ण का श्रंृगार
(As per Zodiac Signs know How to Decorate there Shri Krishna)
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी उत्सव हमें अपने पूरे परिवार के साथ आंनद से मनाना चाहिए। प्रातः काल स्नान करके घर स्वच्छ कर लड्डू गोपाल की मूर्ति को चांदी अथवा लकडी के पटिए पर स्थापित करना चाहिए। दीपक लगाकर पूजन की आरती तैयार कर लें। तत्पश्चात श्रीकृष्ण को आसन पर बैठाकर आवाहन करके जल, दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत से स्नान कराएं। स्नान कराने के बाद भगवान को वस्त्रादि पहनाकर कंकू, हल्दी, चावल, सिंदूर, गुलाल आदि से पूजन करें। फिर माला पहनाएं, व धूप-दीप जलाकर भोग लगाएं, फिर आरती करें।
यह संक्षिप्त पूजन करके भगवान को झूले में बैठा दें। रात्रि 12 बजे तक कीर्तन भजन या जाप करें। रात्रि ठीक 12 बजे पुनः आरती करके श्रृंगार करें। श्रृंगार ओर भोग अपनी राशि अनुसार हो तो अनन्य फल प्राप्त होता हैं।
– मेष व वृश्चिक राशि वाले कृष्ण का श्रृंगार सिंदूरी वस्त्र करें व गुड से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
– वृषभ एवं तुला राशि वाले सफेद वस्त्र से श्रृंगार करें व माखन-मिश्री का भोग लगाएं।
– मिथुन व कन्या राशि वाले हरे वस्त्र करें व मक्खन बडे का भोग लगाएं।
– कर्क राशि वाले गुलाबी मोतियां रंग या लहरिया वस्त्र से श्रंृगार करें व पंचामृत और काजू का भोग लगाएं।
– सिंह राशि वाले मेहरून वस्त्र से श्रृंगार करें व रबडी का भोग लगाएं
– धनु एवं मीन राशि वाले पीले वस्त्र से श्रृंगार करें व पीली मिठाई का भोग लगाएं।
– मकर व कुंभ राशि वाले नीले या आसमानी वस्त्र से श्रृंगार करें व बेसन से बनी वस्तु एवं नमकीन का भोग लगाएं।
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