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SHRADDH PAKSH श्राद्ध पितृ पक्ष की सम्पूर्ण जानकारी तथा तर्पण 

श्राद्ध पितृ पक्ष की सम्पूर्ण जानकारी तथा तर्पण 


SHRADDH PAKSH

आज में आपके सामने श्राद्ध पक्ष की जानकारी लेकर उपस्थित हुई हूँ श्राद्ध पक्ष आगामी 13 सितम्बर से प्रारम्भ हो रहा है| और वह 29 सितम्बर को समाप्त हो रहा है| श्राद्ध का साधारण शब्दों में अर्थ है अपने पितरो पूर्वजो और देवी देवताओ को श्रद्धा पूर्वक याद करना और उनके प्रतिश्रद्धा प्रकट करना हिन्दू पंचांग में 15 दिन की विशेष अवधि इसके लिए निर्धारित की गयी है| जिसमे श्राद्ध कर्म किए जाते है| और हमारे पितरों को याद किया जाता है| यह अवधि है| भाद्रपक्ष की पूर्णिमा से लेकर अश्विनी मास की अमावस्या तक भाद्रपक्ष की पूर्णिमा के दिन जिन व्यक्तियों का देहांत हुआ है| उनका श्राद्ध किया जाता है| परन्तु हमारे हिन्दू ग्रंथो के अनुसार भाद्रपक्ष की पूर्णिमा के दिन जिन व्यक्तियों का देहांत हुआ है| उनको अश्विनी मास की अमावस्या के दिन ही उनका श्राद्ध करना चाहिए सही मायने में मित्रो अश्विनी मास की जो कृष्ण पक्ष की 15 दिन की तिथि है| अवधि है| उसे ही श्राद्ध पक्ष के नाम से जाना जाता है| इसे हम श्राद्ध पक्ष पितृ पक्ष या महावय के नाम से भी जानते है| अब ये हमारे मन में प्रश्न उठता है| की आखिर पितृ होते कौन है| पितरो में वह व्यक्ति आते है| जो की विवाहित, अविवाहित, पुरुष, स्त्री, बच्चे, बुजुर्ग़ जिनका निधन हो चुका है| यानि जिनका जीवन समाप्त हो चुका है| वे सभी हमारे पितरों की श्रेणी में आते है| तो मित्रो हमको हमारे श्राद्ध पक्ष के दौरान हमारे पितरों को याद करके कोई भी कर्म किया जाता है| वह श्राद्ध की परिभाषा में आता है| भाद्रपद मास की पूर्णिमा पर उन्ही व्यक्तियों का श्राद्ध किया जाता है| SHRADDH PAKSH जिनका देहांत वर्ष भर में किसी भी पूर्णिमा के दिन हुआ है| उन्ही का श्राद्ध भाद्रपद की पूर्णिमा पर किया जाता है| अश्विनी मास के कृष्ण पक्ष को ही हम पितृ पक्ष के नाम से जानते है| यानि जिन व्यक्तियों का किसी भी तिथि पर कृष्णपक्ष या शुक्लपक्ष वर्ष भर में निधन हुआ है| वह अपने परिजनों का उस पितृपक्ष की अवधि के दौरान उस तिथि पर श्राद्ध कर सकते है| श्राद्ध द्वारा हम हमारे पितरों  प्रसन्न करते है| हम हमारे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करते है| जिससे हमारे जीवन में आ रही सभी बाधाओं का नाश होता है| और पितृ हमारे जीवन के अंदर सुख शांति और समृद्धि प्रदान करते है| परन्तु यदि हम इन पितरो की अनदेखी करते है| तो इसका हमे कुप्रभाव भी झेलना पड़ता है| यानि हमारे जीवन में बनते काम बिगड़ने लगते है| और हमारे घर में कलह का वातावरण बन जाता है| इसीलिए पितृपक्ष पर हमारे पितरों को अवश्य हमे याद  चाहिए तर्पण, पिण्डदान, हवन, और उत्तम पुरुष को भोजन अवश्य कराना चाहिए| मित्रों अतः में यही कहना चाहती हूँ की श्राद्ध पक्ष का अपने आप में अत्यधिक महत्व है| SHRADDH PAKSH

श्राद्ध पक्ष की कुछ महत्वपूर्ण तिथियां है|

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श्राद्ध पक्ष की कुछ महत्वपूर्ण तिथियां है| उन तिथियों के अंदर वह विशेष महत्व रखती है उनकी विशेषताओं के बारे में बताउंगी और पितृ पक्ष का महत्व और पितृदोष से ग्रसित लोगो को पितृपक्ष में क्या करना चाहिए उन्हें किन वस्तुओ का दान करना चाहिए इस के बारे मै आपको पुरे विस्तार से बताउंगी सबसे पहले हम बात करते है| जैसा की पहले मैने आपको बताया की श्राद्ध पक्ष इस बार 13 सितम्बर से लेकर 29 सितम्बर तक श्राद्ध पक्ष चलेगा वह 13 सितम्बर को प्रथमा तिथि होती है| इसके साथ ही इसकी तिथियां चलती जा रही है| उन तिथियों में यह वर्ष भर में जो व्यक्तियों का जो आपके परिजन है उनका देहांत जिस तिथि में हुआ है| श्राद्ध पक्ष में उसी तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता है| पर कुछ विशेष तिथियां है| जैसे मातृनवमी मातृनवमी की एक ऐसी तिथि है| जिस दिन हम सभी महिलाओ माताओ का नानी हो गयी, दादी हो गयी, मासी, मामी जो भी आपकी महिलाएं है उनका एक ही श्राद्ध पक्ष के अंदर एक ही दिन निर्धारित कर दिया है| वह है नवमी तिथि जिसे हम मातृनवमी के नाम से जानते है| उस दिन हम हमारे घर की जो महिलाएं है| जिन महिलाओं का देहांत हो चुका है उन सभी का एक साथ श्राद्ध करते है| वो होती है| मातृनवमी की तिथि इसके अलावा चतुदर्शी की एक तिथि होती है| SHRADDH PAKSH उस दिन कोई भी दुर्घटना से जिस किसी की अकाल मृत्यु हो गयी है| दुर्घटना से, रोग से ग्रसित होकर जिसकी मृत्यु हो गयी है| या किसी व्यक्ति की मृत्यु की हमको तिथि पता नहीं है| उस दिन चतुदर्शी के दिन उन सभी व्यक्तियों का हमे श्राद्ध करना चाहिए यानि चतुर्दर्शी की अमावस्या की तिथि को सर्वपितृ श्राद्ध माना जाता है| यानि सभी पितरों का श्राद्ध हम उस दिन कर सकते है| जिसकी अकाल मृत्यु हुई है, रोग से मृत्यु हुई है| या फिर उनके देहांत की तिथि हमे मालूम नहीं है| वह उनकी हमको चतुदर्शी की अमावस्या की तिथि पर उनका श्राद्ध करना चाहिए| इसके अलावा हम नवरात्री के प्रथम दिन नानश्राद्ध करते है| यानि श्राद्ध के अंतिम दिन श्राद्ध समाप्त हो जाता है| और नवरात्री का आरम्भ हो जाता है| उस दिन हम हमारे नाना का श्राद्ध करते है| वह तिथि नानश्राद्ध के लिए ही मानी गयी है| उसको हम स्थानीय भाषा में आजा भी कहते है| यह तिथि अशुभ नहीं शुभ मानी जाती है| इसीलिए नवरात्री के प्रथम दिन हम हमारे नाना का श्राद्ध करते है| यानि वह नानंश्राद्ध की तिथि है| SHRADDH PAKSH

पितृपक्ष का हमारे जीवन में क्या महत्व है

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पितृपक्ष का अपने आप में बहुत महत्व है| देवताओं के आव्हान से पहले हमे पितरों का आव्हान करना जरूरी होता है| क्योकि पितरों के आव्हान से देवता स्वतः ही प्रसन्न हो जाते है| इसलिए हमे हमारे पितरो को अवश्य तृप्त करना चाहिए उनकी तृप्ति के लिए पिण्डदान, हवन, तर्पण और उत्तम पुरुष को भोजन अवश्य करवाना चाहिए| और इस श्राद्धपक्ष में उनका श्राद्ध अवश्य किया जाना चाहिए| यदि ऐसा नहीं होता है| तो हम पितृदोष के भागी बन जाते है| SHRADDH PAKSH

पितृदोष क्या है ?

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पितृदोष हमे तब लगता है जब हमारे परिवार के किसी निकट व्यक्ति की मृत्यु अकाल रूप से हो जाती है| यानि वो जल्दी ही मृत्यु को ग्रसित हो जाता है| यानि अकाल मृत्यु होती है| वो रोग से ग्रसित हो रहा है| या फिर दुर्घटना से उसकी मृत्यु  हुई है या फिर एक और पितृदोष का महत्वपूर्ण कारण ये होता है की हमने उसकी मृत्यु के पश्चात उनका पिण्डदान, तर्पण और उनका श्राद्ध नहीं किया होता है| तो हम पितृदोष के भागीबन जाते है तब हमे कई समस्याओ का सामना करना पड़ता है| जिन व्यक्तियों को पितृदोष होता है| उनके जीवन में सन्तान संबंधी समस्या होती है| धन संबंधी समस्या होती है| आर्थिक, शारीरिक, मानसिक हर तरफ  उन्हें संकट का सामना करना पड़ता है| उनके जीवन में समस्याओ का अम्बार लग जाता है| क्युकी पितृ उन पर प्रसन्न नहीं होते है| और वे पितृदोष के भागी बन जाते है| SHRADDH PAKSH

पितृदोष के क्या कोई निवारण है , और हमे पितृदोष के निवारण के लिए क्या करना चाहिए

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अब श्रीमाली जी बताती है की पितृदोष के निवारण के लिए हमे श्राद्ध पक्ष में उनका विधि पूर्वक श्राद्ध करना चाहिए| और यदि श्राद्ध पक्ष नहीं चल रहा है| और हम पितृदोष से बहुत अधिक परेशान है| तो हमे त्रिपिंडी करवानी चाहिए इस त्रिपिंडी नामक पूजा के अंदर हम पितरो याद करते है| हवन करते है उनका तर्पण करते है| और विधि पूर्वक हम उनका आव्हान करते है| इससे हमारे पितरों की शांति हो जाती है| और हमे पितृदोष से भी मुक्ति मिल जाती है| एक पितृदोष का बहुत ही सरल और उपयुक्त समाधान है की हमे पितृदोष निवारण यन्त्र को अपने पूजा कक्ष में स्थापित कर लेना चाहिए| जिस भी व्यक्तियों को पितृदोष है| और वह त्रिपिंडी नहीं करवा पा रहा है| या फिर वह अपने पितरों की शांति के हवन पिण्डदान या तर्पण नहीं कर पा रहा है तो उसे उस समय तुरंत ही पितृदोष निवारण यन्त्र को अपने पूजा कक्ष में स्थापित कर देना चाहिए| और उसके सामने हाथ जोड़कर अपने पितरों का आव्हान करना चाहिए| अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए| इससे उसे काफी हद तक पितृदोष से मुक्ति मिल जाएगी| SHRADDH PAKSH

श्राद्धपक्ष के दौरान हम क्या क्या दान करे या उपाय करे जिससे हमको पितृदोष से मुक्ति मिल जाए

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श्रीमाली जी बताती है की श्राद्ध पक्ष में हमे काले तिल का दान करना चाहिए इससे हमारे परिवार पर यदि कोई बहुत बड़ा संकट है| तो वह टल जायेगा और पितृ हमारी समस्याओ का समाधान कर लेंगे| और हमे आशीर्वाद प्राप्त होगा पितरों का इसके अलावा हमको धन का या स्वर्ण का भी दान करना चाहिए यदि कोई व्यक्ति पितृपक्ष में स्वर्ण का दान करता है| तो वह बहुत ही उचित कर रहा है बहुत ही अच्छा रहता है| इससे पितृ बहुत ही अधिक प्रसन्न होते है| और यदि वह स्वर्ण का दान नहीं कर सकता है तो अपनी श्रद्धापूर्वक उसे धन का दान करना चाहिए| इसके साथ ही पितरों को भी सर्दी गर्मी का ऐहसास होता है| इसीलिए पितरों की शांति के लिए हमे श्राद्ध पर वस्त्रो  दान  ऊनी वस्त्रो को या गर्मी से जुड़े सूती वस्त्रो का हमे जरूर दान करना चाहिए| यह दान हम किसी भी ब्राह्मण को या किसी भी जरूरतमंद व्यक्तियों को कर सकते है| ऐसा करने से हमे हमारे पितृ प्रसन्न होते है| और हमे आशीर्वाद प्रदान करते है| और हमे पितृदोष से भी मुक्ति मिल जाती है| पितृपक्ष में हमको इसके अलावा पितृश्रुत का पाठ करना चाहिए रक्षाश्रुत का पाठ करना चाहिए| और पितृ दोष निवारण स्त्रोत का भी हमे पाठ करना चाहिए| तो मित्रो मैने आज आपको बताया की पितृदोष क्या होता है| हमे इसका निवारण कैसे करना है| तो आप पितृदोष से ग्रसित है| तो आपको श्राद्धपक्ष में अपने पितृ को अवश्य तर्पण करना चाहिए| उनका पितृदोष का निवारण करना चाहिए| जो मेरे द्वारा बताये गये दान है| वह आप अवश्य करे और अपने पितरों को अवश्य याद करे| SHRADDH PAKSH

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