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जानिए शिव पुराण का महत्व , पढ़ने के फायदे , नियम एवं उपाय – Shiv Puran

जानिए शिव पुराण का महत्व , पढ़ने के फायदे , नियम एवं उपाय – Shiv Puran

Shiv Puran गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की शिव पुराण (Shiv Puran) में भगवान शिव की महिमा का गुणगान किया गया है। इस पुराण का संबंध शैव मत से माना जाता है। इसमें भगवान शिव को प्रसन्न करने की पूजा विधियों और ज्ञान से भरे आख्यान भी सम्मिलित हैं। हिंदू धर्म में भगवान शिव त्रिदेवों में से एक हैं और इन्हें संहार का देवता भी माना जाता है। भगवान शिव को महेश, महाकाल, नीलकंठ, रुद्र आदि नामों से भी पुकारा जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान शिव महान योगी थे और इसीलिये उन्हें आदियोगी की संज्ञा भी दी जाती है। हिंदू शास्त्रों में भगवान शिव को एक ऐसे देवता के रुप में वर्णित किया गया है जो बहुत दयालु और भोले हैं और भक्तों की एक सच्ची पुकार पर प्रसन्न हो जाते हैं। हालांकि जब भगवान शिव क्रोध में आते हैं तो सारी सृष्टि कांपने लगती है। Shiv Puran

शिव पुराण का महत्व

पूरे भारत वर्ष के साथ पूरी दुनिया में भगवान शिव के जितने भक्त हैं वो भगवान शिव से सुख और शांति की कामना करते हैं। भगवान शिव के भक्तों के लिये शिव पुराण का बड़ा महत्व है। इस पुराण में शिव भगवान की महिमा की गई है। इस पुराण में शिव जी को वात्सल्य, दया और करुणा की मूर्ति के रुप में महिमामंडित किया गया है। इस पुराण का पाठ करने से भक्तों के अंदर भी ऐसे ही गुणों का संचार होता है। यानि भक्तों का चरित्र भी भगवान शिव की ही तरह बनने लगता है। जो भक्त शिव पुराण का विधि पूर्वक पाठ करते हैं वो जीवन-मरण के चक्र से भी मुक्ति पा जाते हैं। इसलिये हिंदू धर्म में शिव पुराण को बहुत अहम माना जाता है। Shiv Puran

शिवपुराण किसने लिखी है  

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार महाभारत और श्रीमद्भगवतगीता सहित 18 पुराणों व उपपुराणों की रचना करने वाले महाऋषि वेदव्यास द्वारा शिवपुराण की रचना की गई है जो कि देवभाषा वैदिक संस्कृत में लिखी गई है तथा शिवपुराण में कुल 28 हज़ार श्लोक हैं जिनमे महादेव का वर्णन किया गया है। सनातन धर्म में सभी पुराणों में शिवपुराण को सर्वोच्च दर्जा दिया गया है. Shiv Puran

 शिव पुराण में कितने भाग/अध्याय हैं?

वर्तमान में सनातन काल शिव भक्ति के साहित्य संजय शिव पुराण के कुछ अंशों को लेकर विवाद हो रहा है। इसके अध्यायों या खंडों की संख्या के संबंध में अस्पष्टता देखी जाती है। शिव पुराण के अंशों को संहिता कहा जाता है। एक मत के अनुसार शिव पुराण में छह अध्याय हैं, जो विद्याश्वर संहिता, रुद्र संहिता, शत्रुद्र संहिता, कोटिरुद्र संहिता, उमा संहिता और कैलाश संहिता हैं।

एक अन्य मत में शिव पुराण सात अध्यायों से बना है, इस मत में वायु संहिता के अतिरिक्त अध्याय का उल्लेख है। एक तीसरा मत है, जिसके अनुसार शिव पुराण में आठ अध्याय हैं। हालाँकि, सभी विभिन्न मतों में, पहले छह अध्यायों का क्रम समान रहता है। आइए जानते हैं शिव पुराण के विभिन्न अध्यायों या खंडों के बारे में। Shiv Puran

शिव पुराण अध्याय 1 – विद्याश्वर संहिता

शिव पुराण अध्याय 1 को विद्याश्वर संहिता के नाम से जाना जाता है। विद्याश्वर संहिता में शिव पुराण पढ़ने के नियम, शिव पूजा के नियम, शिवरात्रि व्रत के नियम और शिवलिंग की पूजा करने के नियम सहित रुद्राक्ष धारण करने के नियम और शिव से संबंधित दान और उनका महत्व मिलता है। इस अध्याय में कहा गया है कि सूतजी प्रयाग में मुनियों के साथ धर्म का चिंतन कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त विद्याेश्वर संहिता के मुख्य भाग इस प्रकार हैं।

– शिव पुराण का परिचय

– साधन पर विचार, सावन का महीना, शिव भजन और योग के माध्यम से शिव की प्राप्ति जैसे विषयों पर ध्यान।

– शिव लिंग और शिव के साकार रूप की पूजा विधि, रहस्य और महत्व

– पंचाक्षर मंत्र ॐ नमः शिवाय का महत्व

– शिव लिंग की स्थापना कैसे करें, वैदिक मंत्रों से शिव पूजन कैसे करें। ऐसे विषय शिवपुराण – विद्याश्वर संहिता के अध्याय 1 में बताए गए हैं।

शिव पुराण अध्याय 2 – रुद्र संहिता

महाशिव पुराण के दूसरे अध्याय, रुद्र संहिता में कुल पाँच खंड हैं। इनमें सृष्टि खंड, सती खंड, पार्वती खंड, कुमार खंड और युद्ध खंड शामिल हैं।

शिव पुराण अध्याय 3 – शारुद्रसंहिता

शिव पुराण के तीसरे अध्याय को शारुद्रसंहिता के नाम से जाना जाता है। शतरुद्र संहिता में भगवान शिव के विभिन्न रूपों और उनका गहन वर्णन मिलता है। इस संहिता में शिव के उन सभी अवतारों का वर्णन किया गया है, जिनमें उन्होंने जगत के उद्धार के लिए कार्य किया है।

शिव के पांच अवतारों का वर्णन है, जिनके नाम साघेजात, वामदेव, तत्पुरुष, अघोर और ईशान हैं।

इसमें शिव के अर्धनारीश्वर रूप के बारे में भी बहुत विस्तार से जानकारी है।

इसमें नंदी के जन्म और अभिषेक से उसके विवाह की कहानी है।

शिव के महाकाल अवतार सहित शिव के ग्यारह रुद्र अवतारों का वर्णन शिव पुराण की शत्रुद्रसंहिता में भी मिलता है। Shiv Puran

शिव पुराण अध्याय 4 – कोटिरुद्र संहिता

शिवपुराण के चौथे अध्याय को कोटिरुद्रसंहिता के नाम से जाना जाता है। कोटिरुद्रसंहिता में शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व और उनकी पूजा विधि से संबंधित पूरी जानकारी मिलती है।

– 12 ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति कैसे हुई, 12 ज्योतिर्लिंग स्तोत्रों के अर्थ सहित, 12 ज्योतिर्लिंगों के श्लोक आदि की जानकारी कोटिरुद्रसंहिता से ही प्राप्त होती है।

काशी विश्वनाथ की कथा, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति, काशी की उत्पत्ति, काशी विश्वनाथ के मन्त्र, काशी विश्वनाथ के रहस्य कोटिरुद्रसंहिता में मिलते हैं।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कथा, मल्लिकार्जुन का अर्थ और मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा कैसे करें जैसी जानकारी भी शिव पुराण के कोटिरुद्रसंहिता भाग में मिलती है।

महाकाल ज्योतिर्लिंग की कथा, महाकाल ज्योतिर्लिंग का अर्थ, महाकाल के जन्म की कथा का उल्लेख देव व्यास के शिव पुराण में भी मिलता है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग, घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग और वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग सहित अन्य सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों की उत्पत्ति से जुड़ी कथा भी हमें कोटिरुद्र संहिता से उपलब्ध है।

भगवान शंकर की आराधना से विष्णु को सुदर्शन चक्र प्राप्त होने की कथा का भी उल्लेख मिलता है। कोटिरुद्रसंहिता में भगवान विष्णु द्वारा शिव पूजा के लिए पढ़े जाने वाले शिव सहस्रनाम के सूत्र, विधि और लाभ की जानकारी भी मिलती है। इसमें भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत और मंत्रों की जानकारी भी दी गई है। साथ ही कोटिरुद्रसंहिता में भी शिवरात्रि व्रत की विधि और शिवरात्रि की महिमा का उल्लेख है। Shiv Puran

शिव पुराण अध्याय 5 – उमा संहिता

उमा संहिता भगवान शिव की भक्ति और पूजा के फल के बारे में जानकारी देती है। शिव पुराण उमासंहिता के अध्याय 5 में पाप और पुण्य से संबंधित प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं। शिव पुराण में माता उमा के प्रकट होने और शुंभ निशुंभ के वध की विस्तृत कथा भी उपलब्ध है।

साथ ही स्वर्ग की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को कर्म कैसे करने चाहिए और दान, पुण्य से संबंधित सभी उपाय, ये विभिन्न विवरण उमासंहिता से हैं।

– उमा संहिता में पापों को दूर करने और गलतियों के पश्चाताप के उपायों का भी उल्लेख है। प्राणायाम, भौहों के मध्य में अग्नि का ध्यान, मुँह से श्वास लेना और जीभ को टेढ़ी करके जीभ की घंटी को छूना, मृत्यु को जीतकर अमरत्व प्राप्त करने के लिए चारों मापनीय साधनाओं का ज्ञान भी इसी से प्राप्त होता है। शिव पुराण।

यहीं तक सीमित नहीं, देवी उमा, महालक्ष्मी, सरस्वती और काली अवतार से जुड़ी कथा हिंदी साहित्य के शिवपुराण के पांचवें अध्याय में भी मिलती है।

शिव पुराण अध्याय 6 – कैलाश संहिता

कैलाश संहिता में शिव भक्ति के विभिन्न नियमों की जानकारी मिलती है। वैराग्य को धारण करने और शिव की भक्ति में लीन होने से पहले कैलास संहिता से शिव की पूजा करने के नियमों का ज्ञान होता है। इसमें संन्यास ग्रहण करने की शास्त्रीय विधि की भी जानकारी मिलती है। कैलाश संहिता में भी गणपति की पूजा, तत्व शुद्धि, सावित्री की पूजा आदि का जिक्र है।

शिव पुराण अध्याय 7 – वायु संहिता

वायु संहिता शिव पुराण का अंतिम भाग है, लेकिन वायु संहिता के दो खंड हैं:

शिव पुराण अध्याय – 7 वायु संहिता पूर्व खंड

वायु संहिता के पूर्ण खंड में, हम सूतजी, संतों और ब्रह्मा या सर्वोच्च व्यक्ति के बीच प्रश्न और उत्तर पाते हैं। ऋषियों के जवाब में, ब्रह्मा ने रुद्र (भगवान शिव) को सर्वोच्च व्यक्ति के रूप में संदर्भित किया। इसके अलावा, वायु संहिता के इस खंड में हमें अर्धनारीश्वर के भजन और स्रोत और माँ दुर्गा द्वारा शुंभ निशुंभ के वध की कहानी भी देखने को मिलती है।

शिव पुराण अध्याय – 7 वायु संहिता उत्तर खंड

वायु संहिता के इस खंड में वायुदेव सूतजी और अन्य ऋषियों के प्रश्नों के उत्तर देते हैं। शिव पुराण भाग 7 वायु संहिता उत्तर खंड में उपमन्युद्वार श्रीकृष्ण को पाशुपत अस्त्र का वर्णन मिलता है।

इसमें माता शिव के उमा ब्रह्म रूप की सर्वव्यापकता का भी वर्णन है। शिव पुराण के इस भाग में शिव के व्रत, हवन और हवन यज्ञ से जुड़ी जानकारियां भी मिलती हैं। Shiv Puran

 शिव पुराण पढ़ने के नियम

शिव पुराण पढने के कुछ नियम हमने नीचे बताए हैं.

  • शिव पुराण पढने के पहले आपको अपने तन और मन को शुद्ध करना चाहिए.
  • शिव पुराण पढने से पहले स्वच्छ वस्त्र धारण करे. और स्वच्छ आसन का इस्तेमाल करे. इसके बाद शिव पुराण पढने से पहले अपने आसपास गंगाजल का छिडकाव करे. इसके बाद भगवान शिव के प्रति श्रद्धा रखते हुए. शिव पुराण का पाठ करे.
  • शिव पुराण का पाठ करने वाले जातक को व्रत जरुर रखना चाहिए. उस दिन आप चाहे तो फलाहार कर सकते हैं.
  • शिव पुराण पढने वाले व्यक्ति को किसी अन्य व्यक्ति की चुगली आदि नही करना चाहिए. ऐसा करने से आपको शिव पुराण पढने का पूर्ण फल प्राप्त नही होता हैं.
  • शिव पुराण पढने वाले जातक को नशा आदि करने से बचना चाहिए. गलत खानपान से दूर रहे. मांस-मदिरा आदि का सेवन करने से बचे.
  • शिव पुराण पढने वाले जातक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. तथा जमीन पर सोना चाहिए. Shiv Puran

शिव पुराण पढ़ने के फायदे

  • शिव पुराण पढने के कुछ फायदे हमने नीचे बताए हैं.
  • शिव पुराण पढने से जातक की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं.
  • जातक के जीवन से कष्ट दूर होते हैं.
  • भगवान शिव सबके मन की जल्दी इच्छा पूरी करते हैं. इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहां जाता हैं. अगर आप शिव पुराण का पाठ करते हैं. तो भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं. और आपके जीवन में सुख प्रदान करते हैं.
  • ऐसा माना जाता है की जो लोग नि:संतान होते हैं. ऐसे लोगो को शिव पुराण का पाठ करना चाहिए. इससे नि:संतान दंपति को संतान की प्राप्ति होती हैं.
  • शिव पुराण का पाठ करने से वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं. और दंपति के वैवाहिक जीवन में सुधार आता हैं.
  • ऐसा भी माना जाता है की शिव पुराण पढने से मनुष्य के पाप कट जाते हैं. और मनुष्य को पूण्य की प्राप्ति होती हैं.
  • जो हमेशा शिव पुराण का पाठ करता हैं. उसे मोक्ष की प्राप्ति होती हैं. और भगवान शिव के आशीर्वाद की प्राप्ति होती हैं.
  • शिव पुराण पढने से घर में सुख शांति बनी रहती हैं. पारिवारिक मनमुटाव दूर हो जाते हैं. परिवार के सदस्यों को जीवन में सफलता मिलती हैं. Shiv Puran

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार शिव पुराण के उपाय 

संतान सुख के लिए करे यह उपाय

जौ द्वारा की हुई शिव की पूजा स्वर्गीय सुख की वृद्धि करने वाली है,ऐसा शिवपुराण का कथन है। गेहूं से बने हुए पकवान से की हुई शंकरजी की पूजा निश्चय ही बहुत उत्तम मानी गई है। गेहूं के दानों से पूजा करने पर संतान की वृद्धि होती है।

शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए करें ये उपाय

शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव पर अखंड चावल चढ़ाने से उपासक को लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।शिवजी के ऊपर भक्तिभाव से एक वस्त्र चढ़ाकर उसके ऊपर चावल रखकर समर्पित करना और भी उत्तम माना गया है। शिवजी पर तिल अर्पित करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होते है,एवं शनिजन्य दोषों से मुक्ति के लिए भगवान शिव पर काले तिल अर्पित करने चाहिए।

सुख-समृद्धि के लिए करें ये उपाय

यदि मूंग से पूजा की जाए तो भगवान शिव मनुष्य को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। कंगनी द्वारा सर्वाध्यक्ष परमात्मा शिव का पूजन करने से उपासक के धर्म,अर्थ और काम-भोग की वृद्धि होती है तथा वह पूजा समस्त सुखों को देने वाली होती है।

स्वास्थ्य लाभ के लिए करें यह उपाय

यदि कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से कमजोर है तो शिवपुराण में इसके लिए भी विशेष उपाय बताया गया है। रोजाना भगवान शिव का अभिषेक गाय के घी से करें। इससे उस व्यक्ति की कमजोरी दूर होती है। वहीं शहद से भगवान शिव का अभिषेक करने से टीबी के रोगियों का भी इलाज हो सकता है। Shiv Puran

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