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Sharad Purnima शरद पूर्णिमा 2018 – महत्व, तिथि और पूजा की विध‍ि

|शरद पूर्णिमा |

 शरद पूर्णिमा आ गई, लेकर यह संदेश
तन मन आंगन गेह का करो स्वच्छ परिवेश

शरद पूर्णिमा sharad purnima हिन्दुओं का प्रसिद्द त्यौहार है। शारदीय नवरात्र के बाद पड़ने वाली पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। आश्विन शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है। वैसे तो हर माह पूर्णिमा होती है। लेकिन शरद पूर्णिमा का महत्व कुछ और ही है। इस बार शरद पूर्णिमा 23 अक्टूबर, दिन मंगलवार को है। हिंदू पुराणों के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिंमा की रात को चांद पूरी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है। माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत गिरता है। ये किरणें सेहत के लिए काफी लाभदायक है।
जाने कैसे मनाए शरद पूर्णिमा sharad purnima

पंडित एन एम श्रीमाली के अनुसार इस दिन प्रातः काल स्नान करके आराध्य देव को सुंदर वस्त्राभूषणों से सुशोभित करके आवाहन, आसान, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से उनका पूजन करना चाहिए। रात्रि के समय गौदुग्ध (गाय के दूध) से बनी खीर में घी तथा चीनी मिलाकर अर्द्धरात्रि के समय भगवान को अर्पण (भोग लगाना) करना चाहिए। पूर्ण चंद्रमा के आकाश के मध्य स्थित होने पर उनका पूजन करें। खीर का नैवेद्य अर्पण करके, रात को खीर से भरा बर्तन खुली चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करें। सबको उसका प्रसाद दें। पूर्णिमा का व्रत करके कथा सुनानी चाहिए। कथा सुनने से पहले एक लोटे में जल तथा गिलास में गेहूं, पत्ते के दोनों में रोली तथा चावल रखकर कलश की वंदना करके दक्षिणा चढ़ाए। फिर तिलक करने के बाद गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर कथा सुनें। फिर गेहूं के गिलास पर हाथ फेरकर मिश्राणी के पांव स्पर्श करके गेहूं का गिलास उन्हें दे दें। लोटे के जल का रात को चंद्रमा को अर्घ दें।

जानिए शरद पूर्णिमा sharad purnima क्यों है खास

धर्म ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिमा sharad purnima के दिन श्री कृष्ण गोपियों के साथ रास लीला भी करते है। इसके साथ ही माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रात के समय भ्रमण में निकलती है। यह जानने के लिए कि कौन जाग रहा है और कौन सो रहा है। उसी के अनुसार मां लक्ष्मी उनके घर पर ठहरती है। इसीलिए इस दिन सभी लोग जगते है । जिससे कि मां की कृपा उन पर बरसे और उनके घर से कभी भी लक्ष्मी न जाएं। वहीं दूसरी ओर अगर शरद पूर्णिमा को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो माना जाता है। इस दिन से मौसम में परिवर्तन होता है। शीत ऋतु की शुरूआत होती है। sharad purnima इस दिन खीर खानें को माना जाता है कि अब ठंड का मौसम आ गया है। शरद पूर्णिमा का चांद सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इसका चांदनी से पित्त, प्यास, और दाह दूर हो जाते है। दशहरे से शरद पूर्णिमा तर रोजाना रात में 15 सो 20 मिनट तक चांदनी का सेवन करना चाहिए। यह काफी लाभदायक है। साथ ही चांदनी रात में त्राटक करने से आपकी आंखों की रोशनी बढ़ेगी। इसके साथ ही इसी दिन वैद्य लोग अपनी जडी-बूटी और औषधियां इसी दिन चांद की रोशनी में बनातें है। जिससे यह रोगियों को दुगुना फायदा दें।

जाने शरद पूर्णिमा पर चंद्र संबंधी दोष दूर करने के उपाय राशि अनुसार

पंडित एन एम श्रीमाली के अनुसार चंद्रमा मन का कारक होता है। चंद्रमा का प्रभाव विभिन्न राशियों पर अलग-अलग पड़ता है। sharad purnima शरद पूर्णिमा के दिन राशि अनुसार उपाय करने से चंद्र संबंधी दोष दूर होते हैं। इसके साथ ही बिगड़े काम बनने की संभावना बढ़ती है। राशि अनुसार उपाय इस प्रकार हैं-

मेष- शरद पूर्णिमा पर मेष राशि के लोग कन्याओं को खीर खिलाएं इसके साथ ही चावल को दूध में धोकर बहते पानी में बहाएं। ऐसा करने से आपके सारे कष्ट दूर हो सकते हैं।

वृष- शरद पूर्णिमा पर वृष राशि में चंद्रमा उच्च का होता है। यह राशि शुक्र की राशि है एवं राशि स्वामी शुक्र प्रसन्न होने पर भौतिक सुख-सुविधाएं प्रदान करते हैं। शुक्र देवता को प्रसन्न करने के लिए इस राशि के लोग दही और गाय का घी मंदिर में दान करें।

मिथुन- इस राशि का स्वामी बुध, चंद्र के साथ मिल कर आपकी व्यापारिक एवं कार्य क्षेत्र के निर्णयों को प्रभावित करता है। उन्नति के लिए आप दूध और चावल का दान करें तो उत्तम रहेगा।

कर्क- आपके मन का स्वामी चंद्रमा है। जो कि आपका राशि स्वामी भी है। इसलिए आपको तनाव मुक्त और प्रसन्न रहने के लिए मिश्री मिला हुआ। दूध मंदिर में दान देना चाहिए।

सिंह- आपका राशि का स्वामी सूर्य है। शरद पूर्णिमा के अवसर पर धन प्राप्ति के लिए मंदिर में गुड़ का दान करें। आपकी आर्थिक स्थिति में परिवर्तन हो सकता है।

कन्या- इस पवित्र पर्व पर आपको अपनी राशि के अनुसार 3 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को भोजन में खीर खिलाना विशेष लाभदायी रहेगा।
तुला- इस राशि पर शुक्र का विशेष प्रभाव होता है। इस राशि के लोग धन और ऐश्वर्य के लिए धर्म स्थानों यानी मंदिरों पर दूध, चावल व शुद्ध घी का दान दें।

वृश्चिक- इस राशि में चंद्रमा नीच का होता है। सुख-शांति और संपन्नता के लिए इस राशि के लोग अपने राशि स्वामी मंगल देव से संबंधित वस्तुओं, कन्याओं को दूध व चांदी का दान दें।

धनु- इस राशि का स्वामी गुरु है। इस समय गुरु उच्च राशि में है और गुरु की नौवीं दृष्टि चंद्रमा पर रहेगी। इसलिए इस राशि वालों को शरद पूर्णिमा के अवसर पर किए गए दान का पूरा फल मिलेगा। चने की दाल पीले कपड़े में रख कर मंदिर में दान दें।

मकर- इस राशि का स्वामी शनि है। गुरु की सातवी दृष्टि आपकी राशि पर है। जो कि शुभ है। आप बहते पानी में चावल बहाएं। इस उपाय से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।

कुंभ- इस राशि के लोगों का राशि स्वामी शनि है। इसलिए इस पर्व पर शनि के उपाय करें तो विशेष लाभ मिलेगा। आप दृष्टिहीनों को भोजन करवाएं।

मीन- शरद पूर्णिमा के अवसर पर आपकी राशि में पूर्ण चंद्रोदय होगा। इसलिए आप सुख, ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाएं।

 

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