शनि गृह का परिचय
शनि सूर्य देव के पुत्र और यमराज के भाई है| ये नीलवर्ण एवं नपुंसक गृह है | परन्तु उनकी अपने पिता से बनती नहीं है | इनकी गति अत्यंत धीमी होती है इसलिए इनको शनेश्वर , सनीचर , शनैःचर भी कहा जाता है |
शनि गृह का नाम सुनते ही प्राय भय पैदा होने लगता है जबकि शनि लोकतान्त्रिक पद्धति के पालक तथा संसार की हर चल और अचल वास्तु से सम्बन्ध रखने के कारण येआमजन का गृह है ज्योतिष में शनि को न्यायप्रिय गृह माना गया है | यह किसी के साथ अन्याय नहीं करते है बल्कि भाग्य और उस व्यक्ति के कर्मो के अनुसार उसे वैभव या दंड प्रदान करते है |नवग्रह मंडल में शनिको सेवक का पद प्राप्त है| ये पश्चिम दिशा के स्वामी है | शनि गृह को मकर और कुम्भ राशि का अधिपत्य प्राप्त है | बुध , शुक्र और राहु शनि के मित्र है | इनकी महा दशा 19 वर्ष की होती है |ये विशेष रूप से आयु के कारक गृह है | इनकी सप्तम दृष्टि के अतिरिक्त तृतीय और दशम स्थान पर भी विशेष दृष्टि रहती है|तृतीय , षष्ट , अष्टम , दशम और द्वादश भाव का शनि को कारक माना गया है|आगामी 15 मई को शनि जयंती है | इस दिन की गयी उपासना का विशेष महत्त्व है | जो लोग शनि की साढ़ेसाती और ढय्या से प्रभावित हो या शनि देव जिन्हे प्रतिकूल प्रभाव दे रहे हो वे शनि जयंती पर इनके मंत्र जाप , दान एवं पूजा करके लाभान्वित हो सकते है |
शनि देव जयंती कब है (When is shani jayanti)
शनि जयंती आगामी 15 मई को है|
शनि देव जयंती पे केसे करे शनि को प्रसन्न
शनि की साढ़े साती एवं ढैया
शनि की साढ़े साती और ढैया कब होती है इस बारे में विचार करते है | शनि गृह क्योकि सूर्य से बहुत दूर है इसलिए यह 30 वर्ष में अपनी परिक्रमा पूर्ण करता है | अतः प्रत्येक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहता है | इसलिए शनि जब अपनी राशि से पहले वाली राशि में आता है तब ही शनि की साढ़े साती शुरू हो जाती है एवं अगली राशि ( जन्मराशि जिसमे चन्द्रमा स्थित हो ) से निकल नहीं जाता है तब तक रहती है यदि आपकी राशि मकर है तो आपका चन्द्रमा मकर राशि में है | आपको शनि की साढ़े साती आपसे जब पहले की राशि यानि धनु राशि में जब शनि आएगा तब से शुरू हो जायेगी यह शनि ढाई वर्ष धनु और ढाई वर्ष आपकी राशि यानि मकर राशि में रहेगा और ढाई वर्ष कुम्भ राशि में रहेगा यानि आपसे पहले वाली राशि धनु आपकी राशि मकर और आपसे अगली राशि यानि कुम्भ राशि में में जब तक शनि रहेगा तब तक आपको शनि की साढ़े साती लगी रहेगी | इसके आलावा जब शनि जन्मराशि से चतुर्थ और अष्टम स्थान में आता है तो शनि की ढैया शुरू होती है | शनि की साढ़े साती और ढैया शुभ है या अशुभ यह मूल्यांकन शनि गृह व्यक्ति के कर्मो के आधार पर करते है क्युकी शनि देव न्यायाधीश है और व्यक्ति के कर्मानुसार फल प्रदान करते है इसलिए यदि किसी व्यक्ति के कर्म अच्छे किये हुए है और उसकी राशि में शनि गृह उच्च का है तो वह साढ़े साती और ढैया में भी ओर अधिक वैभव और यश प्राप्त करता है | और यदि व्यक्ति के कर्म बुरे है और शनि नीच का है तो शनि की साढ़े साती और ढैया का दुष्प्रभाव उसे भगतना ही पड़ेगा | शनि यदि किसी की राशि में वक्री है तो उस वयक्ति को भी अचानक कुछ शनि वक्री के प्रभावों का सामना करना पड़ता ही है | अतः शनि जयंती पर उन्हें प्रसन्न करने के कुछ विशेष उपाय करने चाहिए
शनि जयंती पे क्या करे (what to do on shani jayanti)
इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहन कर के मंदिर जाकर शनि देव जी को तिल्ली के तेल का दीपक करे और अगर शनि मंदिर आसपास न हो तो हनुमान जी के दर्शन करे इससे शनि देव प्रसन्न होते है | काली वस्तुओ का दान करे जैसे काळा तिल, काले वस्त्र आदि | शनि जयंती पर शनि चालीसा का पाठ अवश्य करे इससे शनि के दोष मुक्ति मिलती है | काली गाय को गुड़ खिलाये | किसी भिखारी जिसके चप्पल टूट गए है पाँव है उसे चप्पल का दान करे |
शनि जयंती पर पूजन विधि (shani jayanti puja vidhi)
शनि पूजा के लिए एक चौकी ले | और उस पर काला कपड़ा बिछा दे उस पर काले उड़द का अष्ट दल बना कर शनि पूजन पैकेट में उपलब्ध सामग्री को निकल कर उस पर रख दे इस पूजन पैकेट में शनि का छल्ला , शनि माला , शनि यन्त्र , काले घोड़े की नाल , शनि पेन्डेन्ट , काले तिल , तीली का तेल आदि सामग्री है | शनि यन्त्र पर तीली द्वारा अभिषेक करे | और यह अभिषेक शनि के बीज मंत्र का जाप करते हुए करे | जब शनि के जाप पूर्ण हो जाए तो फिर हनुमान चालीसा का पाठ करे अंत में रुद्राभिषेक करके शनि यन्त्र को अपने पूजा कक्ष में रख दे और शनि पेन्डेन्ट को और शनि छल्ले को धारण कर ले और घोड़े की नाल को घर के मुख्य द्वार के ऊपर सामने की तरफ लगा दे | शनि जयंती पर शनि की साढ़े साती और ढैया जिन्हे लगी हुई है उन्हें यह पूजन विधि अवश्य करनी चाहिए |
शनि जयंती पर शनि गृह का बीज मंत्र
ॐ शं शनिश्चराय नमः