भगवान् शिव को क्यों चढ़ाये जाते है भांग और धतूरा जानिए इसके पीछे के भाव – Sawan 2023
Sawan 2023 देवों के देव महादेव शिव जी को भांग, धतूरा, बेलपत्र और जल अर्पित किया जाता है। शिव जी की पूजा के लिए इन चीजों का होना अनिवार्य है। कहते हैं कि भगवान शिव को सावन का महीना बहुत पसंद है। शिव जी की पूजा करने से रुके हुए सभी काम पूरे हो जाते हैं। Sawan 2023
भगवान शिव को भांग और धतूरा क्यों चढ़ाया जाता है।
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया था. इसमें कई सारी चीजें निकली जो देवताओं और असुरों में बंटीं. एक वक्त ऐसा आया जब हलाहल यानी विष निकला. पूरी सृष्टि को बचाने के लिए देवताओं के आग्रह पर शिव ने उसे अपने गले उतार लिया. इससे भोलेनाथ का कंठ नीला पड़ गया था. इसी के बाद शिव का नाम नीलकंठ पड़ा. विष शिव भगवान के मस्तिष्क तक चढ़ने लगा, वह व्याकुल हुए और अचेत होकर लेट गए. देवी-देवताओं को शिव की इस स्थिति संशय की स्थिति में डाल दिया. देवीभगवत पुराण के मुताबिक आदिशक्ति का प्रकट हुईं और भोलेनाथ को बचाने के लिए जड़ी-बूटियों और जल से अभिषेक का उपचार बताया. आदि शक्ति के कहने अश्विनी कुमार ने भांग, धतूरा, बेल आदि औषधियों से भोलेबाबा की व्याकुलता को दूर किया. उनके सिर पर भांग, धतूरा और बेल पत्र रखा गया और निरंतर जलाभिषेक किया गया. इससे धीरे-धीरे शिव के मस्तिष्क का ताप कम हो गया. उसी समय से भोले बाबा को भांग और धतूरा चढ़ाया जाने लगा. Sawan 2023
औषधि का काम करते हैं भांग और धतूरा
धतूरा को गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने कनक और सुश्रुत ने उन्मत्त नाम से संबोधित किया. आयुर्वेद की मानें तो अल्पमात्रा में इसके उपयोग से अनेक रोग ठीक हो जाते हैं. धतूरे को राहु का कारक माना गया है, इसलिए भगवान शिव को धतूरा अर्पित करने से राहु से संबंधित दोष जैसे कालसर्प, पितृदोष दूर हो जाते हैं. वहीं शास्त्रों में बेलपत्र के तीन पत्तों को रज, सत्व और तमोगुण का प्रतीक माना गया है. सीमित मात्रा में इन तीनों को सामान रूप लिया जाए तो यह औषधि का कार्य करते हैं.
जो त्याज्य है वो शिव का
भगवान शिव को धतूरा और भांग चढ़ाने के पीछे भी एक भाव यह भी है कि ये चीजें त्याज्य श्रेणी (जिनका कुछ उपयोग) में आती हैं. भगवान शिव संदेश देते हैं कि मैं उनके साथ भी हूं जो समाज द्वारा त्याग दिए जाते हैं. इसलिए धतूरा भगवान शिव को चढ़ाया जाता है. Sawan 2023
भगवान् शिव को भांग और धतूरा चढ़ाने के पीछे के भाव
- शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाने का मतलब यही कि अपने मन से कड़वाहट निकालने का संकल्प लेना
- भगवान शिव श्रंगार के रूप में धतूरा और बेल पत्र स्वीकारते हैं। शिवजी का यह उदार रूप इस बात की ओर इशारा करता है कि समाज जिसे तिरस्कृत कर देता है, शिव उसे स्वीकार लेते हैं। शिव पूजा में धतूरे जैसा जहरीला फल चढ़ाने के पीछे भी भाव यही है कि व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक जीवन में बुरे व्यवहार और कड़वी बाते बोलने से बचें। स्वार्थ की भावना न रखकर दूसरों के हित का भाव रखें। तभी अपने साथ दूसरों का जीवन सुखी हो सकता है।
- भगवान शिव को धतूरा प्यारा होने की बात में भी संदेश यही है कि शिवालय में जाकर शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाकर मन और विचारों की कड़वाहट निकालने और मिठास को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए। ऐसा करना ही भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए सच्ची पूजा होगी। Sawan 2023
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