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जानिए कौन कौनसी वस्तुओ को भगवान् शिव की पूजा में वर्जित माना जाता है – Sawan 2023

जानिए कौन कौनसी वस्तुओ को भगवान् शिव की पूजा में वर्जित माना जाता है – Sawan 2023

Sawan 2023 गुरु माँ निधि  जी श्रीमाली ने बताया है की भगवान शिव की उपासना के लिए सावन का महीना सबसे उपयुक्त है। सावन में  भगवान शिव का जलाभिषेक करने से साधक रोग, दोष और कष्टों से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। पूरे सावन माह में विधि विधान से शिव जी  की पूजा-अर्चना की जाती है. सभी लोग उनकी पूजा में कम से कम गाय का दूध, गंगाजल, बेलपत्र, भांग और धतूरा चढ़ाते हैं. लेकिन कई बार लोग अनजाने में शिव जी की पूजा में ऐसी वस्तुएं भी चढ़ा देते हैं, जो उनके लिए वर्जित मानी गई हैं. शिव पूजा में भूलवश भी उन वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए. देवताओं को उनकी प्रिय वस्तुएं ही अर्पित करते हैं,  भगवान् शिव के पूजन में वर्जित वस्तुए चढ़ाने से शिव पूजन का फल नहीं मिलता है और शिव जी नाराज हो सकते हैं। Sawan 2023

गुरु माँ निधि  जी श्रीमाली  के अनुसार भगवान शिव को पूजा में न चढ़ाएं ये 8 वस्तुएं 

1. तुलसी का पत्ता
भगवान शिव की पूजा में तुलसी का पत्ता नहीं चढ़ाते हैं क्योंकि एक बाद एक जलंधर नाम का मशहूर था जिसकी पत्नी का नाम वृंदा था। उस असुर से हर कोई परेशान रहता था। लेकिन उस राक्षस की पत्नी वृंदा बेहद पतिव्रता स्त्री थी इसलिए उसके तप के कारण उसके पति जलंधर की हत्या कोई नहीं कर पा रहा था। लेकिन एक दिन भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण करके उसकी पत्नी वृंदा के पतिव्रता धर्म को तोड़ दिया। वृंदा को यह बात मालूम पड़ते ही उसने स्वयं को अग्नि के हवाले कर दिया। माना जाता है कि जहां वृंदा ने अग्नि में आत्मदाह किया था वहां से तुलसी का पौधा उग आया। तब वृंदा ने भोलेनाथ की पूजा में तुलसी का उपयोग न करें का श्राप दे दिया। इस कारण तभी से भगवान शिव की पूजा में तुलसी के पत्ते का इस्तेमाल शुभ नहीं माना गया है। Sawan 2023

2. नारियल या श्रीफल
शिव पूजा में नारियल या श्रीफल वर्जित है. श्रीफल का संबंध माता लक्ष्मी से है और वे भगवान विष्णु की पत्नी हैं. इस वज​ह से भगवान शिव को नारियल अर्पित नहीं करते हैं. तथा 

 शिवलिंग पर चढ़ाई जाने वाली सारी चीज़ें निर्मल होनी चाह‍िए। यानी क‍ि जिसका सेवन ना किया जाए। नारियल पानी देवताओं को चढ़ाने के बाद ग्रहण किया जाता है इसीलिए शिवलिंग पर नारियल पानी चढ़ाना वर्जित है। लेकिन श‍िवजी की प्रत‍िमा पर नारियल चढ़ाया जा सकता है। 

3. सिंदूर या कुमकुम
लोग भूलवश​ माता पार्वती के साथ शिव जी को भी सिंदूर या कुमकुम लगा देते हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि ​कुमकुम को सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है और इसका जुड़ाव सौभाग्य से होता है। यहां तक कि विवाहित स्त्रियां भी कुमकुम का इस्तेमाल करती हैं और भगवान शिव को वैरागी माना जाता है, इसलिए उनका स्त्रियों से जुड़ी सामग्रियों के साथ कोई संबंध नहीं होता है। Sawan 2023

इसी वजह से शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ाई जाती है। इसके साथ ही कुमकुम को स्त्री तत्व माना जाता है इसलिए भी इसे शिवलिंग पर नहीं अर्पित किया जाता है। कुमकुम ऐसी सामाग्री है जो हल्दी से बनती है  Sawan 2023

4. हल्दी
शिवलिंग भगवान शिव की शक्ति का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियोचित यानी स्त्रियों से संबंधित माना जाती है. इसलिए भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती. भोलेनाथ के अलावा अन्य सभी देवी-देवताओं की पूजा में हल्दी अर्पित की जाती है. इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि शिवलिंग दो भागों से मिलकर बना होता है. एक भाग शिवलिंग होता है और दूसरा भाग जलाधारी माता पार्वती का प्रतीक है इसलिए जलाधारी पर हल्दी चढ़ाई जा सकती है Sawan 2023

5. शंख
श‍िवल‍िंग पर भूलकर भी शंख से जल न चढ़ाएं। हालांक‍ि प्रत्‍येक पूजा में इसका प्रयोग क‍िया जाता है। देवी-देवताओं को इससे जल भी चढ़ाया जाता है। लेक‍िन भोलेनाथ की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं क‍िया जाता है। गुरु माँ निधि  जी श्रीमाली  के अनुसार शंखचूड़ एक महापराक्रमी दैत्‍य था। उसका वध श‍िवजी ने किया था तो इसल‍िए शंख का जल शिव पूजा में न‍िषेध है। यही वजह है क‍ि भोलेनाथ को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है। Sawan 2023

6. केतकी का फूल
शिव जी केतकी के फूल को अपनी पूजा में स्वीकार नहीं करते हैं. इसका कारण है कि एक बार ब्रह्म जी और विष्णु जी में इस बात को लेकर विवाद हो गया कि दोनों में कौन सर्वश्रेष्ठ है.इसके बाद भगवान शिव ने एक ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति की और कहा कि जो इस ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत खोज लेगा, वह श्रेष्ठ कहा जाएगा. ब्रह्मा जी ज्योतिर्लिंग का आरंभ खोजने नीचे की ओर गए तो वहीं विष्णु जी उसके अंत की खोज में ऊपर की ओर. ब्रह्माजी के साथ एक केतकी फूल भी नीचे आ रहा है. जब ब्रह्मा जी को ज्योतिर्लिंग का छोर नहीं मिला तो उन्होंने शिव के समक्ष झूठ बोल दिया कि उन्हें उसका एक सिरा मिल गया है और अपने इस झूठ में केतकी के फूल को भी शामिल कर गवाह बना लिया. ब्रह्म देव के झूठ से शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्मा जी का पांचवा से धड़ से अलग कर दिया. वहीं केतकी के फूल को शाप दिया कि आज के बाद शिव पूजा में तुम्हें वर्जित माना जाएगा.  Sawan 2023

7. ये फूल भी हैं वर्जित
शिव पूजा में केवड़े का फूल, कनेर, कमल और लाल रंग के फूल वर्जित हैं. शिव जी को सफेद रंग वाले फूल चढ़ाने चाहिए.

8. तिल और टूटे अक्षत्
गुरु माँ निधि  जी श्रीमाली  के अनुसार शिव पूजा में तिल और टूटे अक्षत् का उपयोग नहीं करते हैं. माना जाता है कि तिल की उत्पत्ति भगवान विष्णु के मैल से हुई थी, वहीं अक्षत् का अर्थ क्षति से रहित अर्थात् आप जो भी चावल अक्षत् के रूप में चढ़ाते हैं, वह पूरा होना चाहिए, टूटा हुआ नहीं. Sawan 2023

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इस साल अधिकमास होने के कारण श्रावण मास 2 महीने तक रहेगा अर्थात भगवान् शिव की भक्ति के लिए अधिक समय मिलेगा 19 साल बाद ऐसा संयोग बनने से श्रावण मास का महत्व ओर अधिक बढ़ गया हर साल की तरह इस साल भी हमारे संस्थान में महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है अगर आप भी भगवान् शिव की कृपा पाना चाहते है तो इस महारुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर अपने नाम से रुद्राभिषेक करवाए यह रुद्राभिषेक गुरु माँ निधि जी श्रीमाली एवं हमारे अनुभवी पंडितो द्वारा विधि विधान से एवं उचित मंत्रो उच्चारण के साथ सम्पन्न होगा आज ही रुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर भगवान् शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करे एवं किसी भी अन्य दिन किसी भी प्रकार की पूजा , जाप एवं भगवान् शिव के महामृत्युंजय का जाप करवाना चाहते है तो हमारे संस्थान में संपर्क करे
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