Rudraksha Ka Mahatav Jane
Rudraksha Ka Mahatav Jane पौराणिक मान्यतानुसार भगवान शंकर के नेत्रो से आंसू कि बुँदे टपकी, जो पृथ्वी पर गिरकर रुद्राक्ष के रूप में परिवर्तित हो गए। शंकर (रूद्र )कि आँखों (अश्रु )से उतपन्न होने के कारण ही इस वृक्ष के फल को रुद्राक्ष कहा गया। रूद्रक्ष भगवान शंकर का प्रिय आभूषण हे। रुद्राक्ष दीर्घायु देने वाला हे यह गृहस्थो को अर्थ और काम प्रदान करता है। तथा श्रद्धालुओ को धर्म और मोक्ष की प्राप्ति कराता है। इसका सिर्फ धार्मिक महत्व ही नही है। यह आयुर्वेदिक दृष्टि से इसमे औषधियगुण भी है। इसे धारण करने से लाभ प्राप्त होता हे।Rudraksha Ka Mahatav Jane
इस रुद्राक्ष को पहनने से शारीरिक व् मानसिक कष्टो व् ग्रहो के दोष से छुटकारा मिलता है। यह मनोबल को बढ़ाता है। व् इसमें सहायक सिद्ध है। रुद्राक्ष में स्वय शंकर जी का निवास है। रुद्राक्ष को धारण करने से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते है समस्त मनोकामनाए पूर्ण होती है। व् रुद्राक्ष कि औषधि बना कर कप निवारक व् वायुविकार नाशक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।इसे विधि पूर्वक पहनने से जल्द प्रभाव दिखाई देता है।Rudraksha Ka Mahatav Jane
रुद्राक्ष निम्नलिखित है। :-
(1) एक मुखी रुद्राक्ष :- यह रुद्राक्ष शुभ फल प्राप्ति के रूप में माना जाता है। यह रुद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरुप माना जाता है। यह रुद्राक्ष सर्वव्यापी व् सिद्धि दायक है। धर्म ,अर्थ ,कम, मोक्ष देने वाला माना जाता है। एक मुखी रुद्राक्ष सूर्य द्वारा शासित है। इससे शुभ फलो कि प्राप्ति होती है। और सभी प्रकार के अशिष्टो का निवारण होता है। यह मनुष्य धारण करता है। तो वह सफलता कि उचाइयो तक पहुँच जाता है।
(2) दो मुखी रुद्राक्ष :- दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक मधुर संबंध बनाये रखते है। व् माता -पिता , माता -पुत्र , पति -पत्नी , पिता -पुत्र ,प्रेमी -प्रेमिका आदि के संबंधो में मधुरता को दृढ़ता मिलती है। क्य़ोंकि यह दो मुखी रुद्राक्ष देवी पार्वती और दिवता शंकर स्वरुप यानि अर्धनारीश्वर रूप है। और यह रुद्राक्ष चंदमा का प्रतिनिधित्व करता है। दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक समाज में सर्वश्रेठ प्रतिस्ठा प्राप्त करते है।
(3) तीन मुखी रुद्राक्ष :- तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि का स्वरूप माना गया है। इसीलिये यह रुद्राक्ष धारक बीमारी जैसे बूद्धि रक्त चाप और रक्त विकारो जैसी समस्यायों से दूर करता है। और इस तीन -मुखी रुद्राक्ष में तीनो शक्तियां यानि ब्रम्हा ,विष्णु, महेश का स्वरूप देखने को मिलता है। तीन मुखी रुद्राक्ष को मंगल ग्रह का प्रतीक भी माना गता है।Rudraksha Ka Mahatav Jane
(4) चार मुखी रुद्राक्ष :–चार मुखी रुद्राक्ष ब्रम्हा का स्वरूप माना जाता है। और यह चारो वेदो का घोतक माना जाता है। वे है। – धर्म ,अर्थ ,काम ,मोक्ष। चार मुखी रुद्राक्ष बुध ग्रह द्वारा शाषित होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले जातक कि बुद्धि में विकास होता है। और यह रुद्राक्ष मनुष्यो के मनोरोगों को हरने वाला है। इसीलिए ऐसे मनोरोगोहारी रुद्राक्ष भी कहते है।
(5) पाँच मुखी रुद्राक्ष :- पंच मुखी रुद्राक्ष खुद कालिगन रूद्र का स्वरूप है। पंच मुखी रुद्राक्ष ब्र्हसपति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाला जातक आयुवर्धक होता है। यह पंच तत्वो का प्रतीक भी है। यह पंच मुखी रुद्राक्ष द्ररिद्र लोगो का नाश करता है। और जो सर्वकल्याण और पुण्यदायक माना गाया है।
(6) छः मुखी रुद्राक्ष :–छः मुखी रुद्राक्ष भगवान कार्तिकेय का स्वरूप माना गया है। और ऐसे शत्रुऔ पर विजय करने वाला रुद्राक्ष माना गया है। और यह शुक्र ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। जो जातक इसे धारण करता है। वह जीवन में प्रेम सफलता काम -शक्ति व् दाम्पत्य जीवन में वृद्धि करता है। और छः मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक को यहचर्म ,नेत्र ,ह्रदय जैसे रोगों से दूर करता है। Rudraksha Ka Mahatav Jane
(7) सप्त मुखी रुद्राक्ष :- सप्त मुखी रुद्राक्ष कामदेव का स्वरूप माना गया है। और इस सप्त मुखी रुद्राक्ष को सप्त ऋषियो का प्रतीक माना है। और यह सप्त मुखी रुद्रसख अपने प्रतिनिधित्व ग्रह शनि के जरिये असर दिखाने का काम भी करता है। और जो जातक आप्त मुखी रुद्राक्ष धरन करते है। वे मृत्य तुल्य कष्टो से अष्टसिद्धि पाते है। और इस रुद्राक्षकों धारण करने से रोग निवारक सिध होता है।
(8) आठ मुखी रुद्राक्ष :- आठ मुखी रुद्राक्ष विनायक का स्वरूप माना गया है। और इस रुद्राक्ष को बटुक भैरव का रूप भी माना गया है। आठ मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक को यह राहु दोषो से दूर रखता है। व् शमन करता है। इस रुद्राक्ष को धरन करने से असाध्य रोगो से रक्षा करता है। और यह रुद्राक्ष का प्रतिनिधित्व करता है।
(9) नौ मुखी रुद्राक्ष :- नौ मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक में प्रतिनिधि भैरव सम्मान बल आता है। इसे धारण करने से अशुभ केतु के दोषो का भी नाश होता है। यह रुद्राक्ष नव् शक्तियो से संम्पन भगवती माँ दुर्गा का स्वरूप है। इस रुद्राक्ष के धरन करने से मन में शांति व् एक नई किरण पैदा होती है।
(10) दस मुखी रुद्राक्ष :- दस मुखी रुद्राक्ष भगवान विष्णु का स्वरुप माना जाता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने वाले जातक को अनेक प्रकार के भूतो ,विचारो ,आदि का भय नही होता है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से सुख, ,शांति व् समृद्धि आती है। व् सभी प्रकार कि बाधा दूर हो जाती है।
(11) ग्यारह मुखी रुद्राक्ष :- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष साक्षात् रूद्र का रूप माना गया है। यह ग्यारह रुद्रो और बजरंगवली का स्वरुप मानते है। इसे धारण करने से सांसारिक ऎश्वर्य और संतान सुख कि प्राप्ति होती है। स्वय शिव इस रुद्राक्ष को धारण किये हुए है।Rudraksha Ka Mahatav Jane
(12) बारह मुखी रुद्राक्ष :– बारह मुखी रुद्राक्ष रुद्राक्ष को धारण करने वाले जातक को शस्त्र और जानवरो का भय नही रहता है। और इसॆ आदित्य रुद्राक्ष भी कहते है। इसे धारण करने वाले जातक को सूर्य से होने वाले रोगो से बचाव होता है। और सभी बाधाओ से छुटकारा मिलता है। यह रुद्राक्ष मकर और मेष लग्न के जातको के लिए विशेष लाभकारी होता है।
(13) तेरह मुखी रुद्राक्ष :– तेरह मुखी रुद्राक्ष में तेरह धारियां होती हैं | तेरह मुखी रुद्राक्ष भगवान इंद्र का स्वरूप माना जाता है, इसके धारण करने से इंद्र प्रसन्न होते हैं, जिससे ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है | यह रुद्राक्ष सभी प्रकार के अर्थ तथा सिद्धियों की पूर्ति करता है, जिससे हर प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तथा यश की प्राप्ति होती है | इसको धारण करने से हर प्रकार के भोगों की प्राप्ति होती है तथा सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं | तेरह मुखी रुद्राक्ष के देवता कामदेव हैं, इसी कारण तेरह मुखी रुद्राक्ष काम और रस-रसायन तथा धातुओं तथा अर्थ को सिद्धि देने वाला माना गया है |
(14)चौदह मुखी रुद्राक्ष :–चौदह मुखी रुद्राक्ष स्वय शिव का प्रिय रुद्राक्ष है। यह रुद्राक्ष हनुमान का भी स्वरुप है। इसमे हनुमान जी कि शक्तिया निहित है। और पौराणिक मान्यतानुसार यह रुद्राक्ष चौदहविदिया ,चौदहलोक , चौदह इंद्र ,का प्रतीक है। जो जातक इस रुद्राक्ष को धारण करते है। उन्हें सभी पापो से छुटकारा मिल जाता है। और मनुष्य को परम पद कि प्राप्ति होती है। Rudraksha Ka Mahatav Jane
(15) पंद्रह मुखी रुद्राक्ष :–पंद्रह मुखी रुद्राक्ष पंद्रह तिथियों से संबन्धित है। इसे धारण करने से अपने सभी उदयमो में सफलता मिलती है। तथा शरीर में ऊर्जा पर्वतहित होती है।रुद्राक्ष को पहनने वाला तीव्र बूढी प्राप्त करता है। सभी कठिनाइयों से दूर रहता है।
(16) सोलह मुखी रुद्राक्ष :-सोलह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाला मनुष्य अनुसंधान क्षेत्रो में जित का भगीदारी होता है। यह रुद्राक्ष हरी शंकर रूपम है। और यह विष्णु के साथ -२ शिव का प्रतीक है। जो रुग्ण है। परिवार में प्य़ार का माहोल बना रहता है। सभी बीमारी से दूर रखता है। फेफड़ो कि बीमारी होने पर इस रुद्राक्ष को रखा जाता है।
(17)सत्तरह मुखी रुद्राक्ष:- सत्तरह मुखी रुद्राक्ष माता कायत्री का रूप है। देवी दुर्गा का छठा कायत्री रूप है। अतः रुद्राक्ष पहनने से सत्तरह वर्ष तक कोई परेशनी नही आती है। अधर्म का फल मिलता है। व् काम,अर्थ ,मोक्ष कि प्राप्ति होती है। भय से मुक्ति , संतति भाग्य कि प्राप्ति होती है। मार्ग में आने वाली सभी बढ़ाये दूर होती है।
(18) अठारह मुखी रुद्राक्ष :- अठारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वालें जातक पृथ्वी पर स्वस्थ्य और शक्तिशा- ली होते है। व् इसे पहनने से सभी प्रकार के क्षेत्रो में जीत हासिल होती है। व् माँ द्वारा धरती पर रुद्राक्ष आशीर्वाद के रूप में है। तथा इसमे पुरे अठारह आदर्श समाहित है। तथा जो महिला इसे धारण करती है। वह गर्भपात करते समय स्वथ्य व् बच्चे को भी किसी प्रकार का संक्रमण नही होता है। व् शिशु सुन्दर वच्चे आदर्श वाला होता है।
(19) उन्नीस मुखी रुद्राक्ष :-उन्नीस मुखी रुद्राक्ष में भगवान शिव का गठन है। तथा इसीलिए सभी देवी – देवताओ में नारायण के उच्चतम है। रुद्राक्ष पहनने वाले व्यक्ति का सामना कोई नही क्रर सकता है। तथा धन में अत्यधिक वद्धि होती है।अच्छा स्वास्थ्य व् सफल व्यवसाय प्रदान होता है। उन्नीस मुखी रुद्राक्ष विष्णु का आशीर्वाद है। व् इसे पहनने से मुक्ति मिलती है। Rudraksha Ka Mahatav Jane
(20) बीस मुखी रुद्राक्ष :-बीस मुखी रुद्राक्ष ब्रम्हा का स्वरूप है। नो ग्रहो के लिए युवा कार्यक्रमो में यह रुद्राक्ष बहुत लाभकारी सिद्ध हुए है। इस रुद्राक्ष में आठ इंद्रियों को अपने आप में निहित करने कि क्षमता है। तथा जो लोग बीस मुखी रुद्राक्ष पहनते है। उसकी ताकत दोगुनी हो जाती है। तथा वः समाज में अपनी सत्ता स्थापित कर लेता है।
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