Pandit NM Shrimali – Best Astrologer in India

जानिए श्रावण मास रुद्राभिषेक का महत्व ,नियम , लाभ एवं रुद्राष्टाध्यायी पाठ का महत्व – Rudrabhishek

जानिए श्रावण मास रुद्राभिषेक का महत्व ,नियम , लाभ एवं रुद्राष्टाध्यायी पाठ का महत्व – Rudrabhishek

Rudrabhishek अभिषेक शब्द का शाब्दिक अर्थ है – स्नान कराना। रुद्राभिषेक का अर्थ है भगवान रुद्र का अभिषेक अर्थात शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। गुरु माँ निधि जी श्रीमाली  ने बताया है की  यह पवित्र-स्नान रुद्ररूप शिव को कराया जाता है। वर्तमान समय में अभिषेक, रुद्राभिषेक के रुप में ही विश्रुत है। अभिषेक के कई रूप तथा प्रकार होते हैं। शिव जी को प्रसंन्न करने का सबसे श्रेष्ठ तरीका है रुद्राभिषेक करना अथवा श्रेष्ठ ब्राह्मण विद्वानों के द्वारा कराना। वैसे भी अपनी जटा में गंगा को धारण करने से भगवान शिव को जलधाराप्रिय माना गया है।Rudrabhishek

रुद्राभिषेक का महत्व
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली  के अनुसार रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी होता है. सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका: अर्थात् सभी देवताओं की आत्मा में रुद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रुद्र की आत्मा में हैं. रुद्राभिषेक में भगवान शिव के रुद्र अवतार की पूजा होती है. यह भगवान शिव का प्रचंड रूप होता है.

कहा जाता है कि रुद्राभिषेक से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है और व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं से मुक्ति मिलती है. साथ ही परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है. Rudrabhishek

सावन में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व 

भगवान शिव जी को प्रसन्न करने के लिए सावन महीना में रुद्राभिषेक की पूजा का बड़ा महत्व है। रुद्राभिषेक यूं तो कभी भी किया जाए यह बड़ा ही शुभ फलदायी माना गया है। लेकिन सावन में इसका महत्व कई गुणा होता है। शिवपुराण के रुद्रसंहिता में बताया गया है कि सावन के महीने में रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी है। रुद्राभिषेक में भगवान शिव का पवित्र स्नान कराकर पूजा-अर्चना की जाती है। यह सनातन धर्म में सबसे प्रभावशाली पूजा मानी जाती है जिसका फल तत्काल प्राप्त होता है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होकर भक्तों के सभी दुखों का अंत करते हैं और सुख-शांति और समृद्धि प्रदान करते हैं। सावन माह में रुद्राभिषेक पूजा करवाने से जातक की कुंडली में मौजूद विभिन्न ग्रह दोष शांत होते हैं। रुद्राभिषेक की पूजा प्रशिक्षित पंडितों द्वारा ही करानी चाहिए। यह माह मनोकामना,आकांक्षाओं और मनवांछित फल की पूर्ति का समय होता है। रुद्राभिषेक की पूजा से जीवन के नकारात्मक हालात भी बदल जाते है। Rudrabhishek

इन तिथियों पर कर सकते हैं रुद्राभिषेक :-

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली  के अनुसार   रुद्राभिषेक आप सावन सोमवार,प्रदोष व्रत और शिवरात्रि पर बिना विचार कर सकते हैं। हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया,पंचमी,षष्ठी,नवमी,द्वादशी तथा त्रयोदशी तिथिऔर कृष्ण पक्ष की  प्रतिपदा,चतुर्थी,पंचमी,अष्ट्मी,एकादशी,द्वादशी तथा अमावस्या तिथि को रुद्राभिषेक करना मंगलकारी माना जाता है क्योंकि देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं। महादेव कभी माँ गौरी के साथ होते हैं,तो कभी कैलाश पर विराजते हैं,तो रुद्राभिषेक तभी करना चाहिए जब शिव जी का निवास मंगलकारी हो। Rudrabhishek

कहां करना चाहिए रुद्राभिषेक

– यदि किसी मंदिर में जाकर रुद्राभिषेक करेंगे तो बहुत उत्तम रहेगा।

– किसी ज्योतिर्लिंग पर रुद्राभिषेक का अवसर मिल जाए तो इससे अच्छी कोई बात नहीं।

– नदी किनारे या किसी पर्वत पर स्थित मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना सबसे ज्यादा फलदायी है।

– कोई ऐसा मंदिर जहां गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित हो वहां पर रुद्राभिषेक करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

– घर में भी रुद्राभिषेक किया जा सकता है।

– शिवलिंग न हो तो अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक कर सकते हैं।

ध्यान रखें कि रुद्राभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए। तांबे के पात्र में जल का तो अभिषेक हो सकता है लेकिन तांबे के साथ दूध का संपर्क उसे विष बना देता है इसलिए तांबे के पात्र में दूध का अभिषेक वर्जित होता है। Rudrabhishek

रुद्राभिषेक करने का सही तरीका और नियम

  • यदि आप घर पर रुद्राभिषेक करते हैं तो सबसे पहले आप शिवलिंग को पूजा स्थल की उत्तर दिशा में रखें और भक्त का मुख पूर्व दिशा की तरफ हो।
  • अभिषेक के लिए सबसे पहले गंगाजल डालें और रुद्राभिषेक शुरू करें।
  • फिर आचमनी से गन्ने का रस, शहद, दही, दूध यानी पंचामृत समेत जितने भी तरल पदार्थ हैं, उनसे शिवलिंग का अभिषेक करें।
  • भगवान शिव का अभिषेक करते समय महामृत्युंजय मंत्र, ओम नमः: शिवाय या रुद्राष्टकम मंत्र का जाप करते रहें।
  • शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं और फिर पान का पत्ता, बेलपत्र आदि सभी चीजें शिवजी को अर्पित करें।
  • भगवान शिव के भोग के लिए व्यंजन बनाकर रखें। उन सभी व्यंजनों को शिवलिंग पर अर्पित करें।
  • इसके बाद भगवान शिव के मंत्र का 108 बार जप करें और फिर पूरे परिवार के साथ भगवान शिव की आरती उतारें। Rudrabhishek

शिव रुद्राभिषेक मंत्र 

ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥

ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय्‌ ॥

तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥

वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥

सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्‌भवाय नमः ॥

नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥

यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥

त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥

सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥

विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥ Rudrabhishek

विभिन्न  वस्तुओं से भगवान शिव का अभिषेक और इससे मिलने वाले लाभ 

दूध से अभिषेक

भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने का विशेष महत्व है। सावन के महीने के प्रत्येक दिन भगवान शिव का अभिषेक गाय के दूध और विशेषकर सावन के सोमवार को अवश्य ही करना चाहिए। भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने से व्यक्ति को संतान प्राप्ति करने की इच्छा पूरी होती है।

दही से अभिषेक

महादेव का दही से अभिषेक करना विशेष लाभकारी माना गया है। अगर शिवलिंग का दही से अभिषेक किया जाय तो जातक के कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है। इसके अलावा दूध से अभिषेक करने से व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

गंगाजल  से  शिवजी का अभिषेक

भगवान शिव ने अपनी जटाओं में मां गंगा को धारण कर रखा है। ऐसे में जो भक्त सावन के महीने में शिवजी का अभिषेक गंगाजल से करता है शिवजी की विशेष कृपा प्राप्ति होती है। गंगाजल से अभिषेक करने पर व्यक्ति जीवन और मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है।

शहद से अभिषेक

भगवान शिव का रुद्राभिषेक शहद से करने का विशेष महत्व होता है। जो शिव भक्त सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव का अभिषेक शहद से करता है उसको जीवन में हमेशा मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा शहद से अभिषेक करने पर व्यक्ति की वाणी में पैदा दोष खत्म हो जाता है और स्वभाव में विनम्रता आती है।

घी से अभिषेक

अगर भगवान शिव का अभिषेक शुद्ध देसी घी से किया जाय तो व्यक्ति की सेहत अच्छी रहती है। अगर कोई व्यक्ति किसी बीमारी की वजह से लंबे से ग्रसित है तो सावन के महीने में भगवान शिव का अभिषेक घी से अवश्य ही करना चाहिए।

इत्र से अभिषेक

भगवान शिव का अभिषेक इत्र से भी जाता है। जो जातक किसी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं उन्हें भगवान शिव का अभिषेक इत्र से करना चाहिए। इत्र से अभिषेक करने पर जातक के जीवन में शांति आती है।

गन्ने के रस से शिवजी का अभिषेक

व्यक्ति के जीवन से आर्थिक परेशानियां खत्म करने के लिए शिवजी का अभिषेक गन्ने के रस करना लाभ देने वाला होता है। इससे व्यक्ति पैसे की किल्लत की समस्या से बाहर निकल आता है।

शुद्ध जल से अभिषेक

पुण्य लाभ और शिव कृपा पाने के लिए शुद्ध जल से अभिषेक करने का विशेष महत्व होता है। 

सरसों के तेल से अभिषेक

जिन जातकों की कुंडली में किसी भी प्रकार का दोष होता है उन्हे शिव का अभिषेक सरसों के तेल से करना चाहिए। इससे पाप ग्रहों का कष्ट कुछ कम हो जाता है और शत्रुओं का नाश व पराक्रम में इजाफा होता है। Rudrabhishek

श्रावण मास में रुद्राष्टाध्यायी पाठ का महत्व 

वेद में भगवान शिव को ‘रुद्र’ कहा गया है क्योंकि वे दु:ख को नष्ट कर देते हैं   इस समय भगवान शिव के मनभावन श्रावणमास में सभी शिवमन्दिरों में रुद्राभिषेक या रुद्री पाठ की बहार देखने को मिलती है । शिवभक्त सावन मास में शिवलिंग पर रुद्राध्यायी के मन्त्रों से दूध या जल का अभिषेक करते हैं, लेकिन कहा जाता है कि रुद्राष्टाध्याय का पाठ करते हुए शिवाभिषेक किया जाय जो व्यक्ति के जन्मजन्मांतरों के पापों का नाश हो जाता हैं ।

रुद्राष्टाध्यायी के आठ अध्याय

1- रुद्राष्टाध्यायी के प्रथम अध्याय को ‘शिवसंकल्प सूक्त’ कहा जाता है, इसमें साधक का मन शुभ विचार वाला होना चाहिए । यह अध्याय गणेशजी को समर्पित हैं, इस अध्याय का पहला मन्त्र श्रीगणेश का प्रसिद्ध मन्त्र है—‘गणानां त्वा गणपति हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपति हवामहे निधिनां त्वा निधिपति हवामहे । वसो मम ।।

2- रुद्राष्टाध्यायी का द्वितीय अध्याय भगवान विष्णुजी को समर्पित हैं, इसमें 16 मन्त्र ‘पुरुष सूक्त’ के हैं जिसके देवता विराट् पुरुष हैं । सभी देवताओं का षोडशोपचार पूजन पुरुष सूक्त के मन्त्रों से ही किया जाता है, और इसी अध्याय में महालक्ष्मीजी के मन्त्र भी दिए गए हैं ।

3- तृतीय अध्याय के देवता इन्द्र हैं, इस अध्याय को ‘अप्रतिरथ सूक्त’ कहा जाता है । इसके मन्त्रों के द्वारा इन्द्र की उपासना करने से शत्रुओं और प्रतिद्वन्द्वियों का नाश होता है ।

4- चौथा अध्याय ‘मैत्र सूक्त’ के नाम से जाना जाता है । इसके मन्त्रों में भगवान सूर्य नारायण का सुन्दर वर्णन व स्तुति की गयी है ।

5- रुद्राष्टाध्यायी का प्रधान अध्याय पांचवा है, इसमें 66 मन्त्र हैं । इसको ‘शतरुद्रिय’, ‘रुद्राध्याय’ या ‘रुद्रसूक्त’ कहते हैं । शतरुद्रिय यजुर्वेद का वह अंश है, जिसमें रुद्र के सौ या उससे अधिक नामों का उल्लेख हैं और उनके द्वारा रुद्रदेव की स्तुति की गयी है । भगवान रुद्र की शतरुद्रीय उपासना से दु:खों का सब प्रकार से नाश हो जाता है । दु:खों का सर्वथा नाश ही मोक्ष कहलाता है ।

6- रुद्राष्टाध्यायी के छठे अध्याय को ‘महच्छिर’ कहा जाता है, इसी अध्याय में ‘महामृत्युंजय मन्त्र का उल्लेख है-
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् । त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पतिवेदनम् । उर्वारुकमिव बन्धनादितो मुक्षीय मामुत: ।।

7- सातवें अध्याय को ‘जटा’ कहा जाता है, इस अध्याय के कुछ मन्त्र अन्त्येष्टि-संस्कार में प्रयोग किए जाते हैं ।

8- आठवे अध्याय को ‘चमकाध्याय’ कहा जाता है, इसमें 29 मन्त्र हैं । भगवान रुद्र से अपनी मनचाही वस्तुओं की प्रार्थना ‘च मे च मे’ अर्थात् ‘यह भी मुझे, यह भी मुझे’ शब्दों की पुनरावृत्ति के साथ की गयी है इसलिए इसका नाम ‘चमकम्’ पड़ा । रुद्राष्टाध्यायी के अंत में शान्त्याध्याय के 24 मन्त्रों में विभिन्न देवताओं से शान्ति की प्रार्थना की गयी है तथा स्वस्ति-प्रार्थनामंत्राध्याय में 12 मन्त्रों में स्वस्ति (मंगल, कल्याण, सुख) प्रार्थना की गयी है  Rudrabhishek

हर साल की तरह इस साल भी हमारे संस्थान में महारुद्राभिषेक का आयोजन किया जा रहा है अगर आप भी भगवान् शिव की कृपा पाना चाहते है तो इस महारुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर अपने नाम से रुद्राभिषेक करवाए यह  रुद्राभिषेक गुरु माँ निधि जी श्रीमाली एवं हमारे अनुभवी पंडितो द्वारा विधि विधान से एवं उचित मंत्रो उच्चारण के साथ सम्पन्न होगा आज ही रुद्राभिषेक में हिस्सा लेकर भगवान् शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करे 

जल्द सम्पर्क करे :-  +91 8955658362

Connect our all social media platforms:- Click Here