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Kundali Vishleshan Via Video Call

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Description

Kundali Vishleshan

ज्योतिष शास्त्र मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है भारत मे जब भी कोई जनम लेता है याँ लेती है तो उसका भविष्य उसकी कुंडली के द्वारा निर्धारित किया जाता है. इस शास्त्र से ही हम किसी के प्रारब्ध और भविष्य के बारे में कुछ जान सकते हैं। हर व्यक्ति का जन्म उसके प्रारब्ध के अनुसार ही होता है और इस जन्म के लेखे-जोखे के अनुसार ही अगला जन्म होता है। प्रायः इसी तरह यह जीवन चक्र चलता रहता है।ज्योतिष शास्त्र जो खगोलीय शास्त्र पर आधारित है हमारे भविष्य कथन में बहुत सहायक सिद्ध होता है। इसमें कोई संशय नहीं है कि खगोल शास्त्र की तरह ज्योतिष भी विज्ञान है परंतु इसमें कुछ अपवाद भी हैं। यह एक संभावनाओं का शास्त्र अधिक है। कोई भी भविष्यवाणी पूर्ण सत्यता से करना असंभव तो नहीं पर काफी कठिन है। जहां एक ओर कुंडली में ग्रहों की स्थिति दृष्टि, दशा, गोचर आदि के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है वहीं ज्योतिषी की छठी इंद्री अर्थात अंतज्र्ञान तथा उसकी ईश्वरीय शक्ति भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। कुछ ज्योतिषी केवल कुंडली से ही देख कर बता देते हैं तो कुछ कुंडली के प्रत्येक पहलू को अच्छी तरह परख कर बताते हैं। कुंडली आपको आपकी ज़िंदगी के भीनया पड़ाव के बारे मे बताती है जैसे की: शादी, आर्थिक स्तिथि, पढ़ाई और ऐसी ही पड़ाव के बारे मे जानकारी दी जाती है|  कुंडली के शुभ अशुभ फलदायक ग्रहो की महादशा, अन्तर्दशा, योगिनी दशा आदि भी भविष्य फल की दशा और दिशा तथा समय निर्धारित करते है। गोचर में भ्रमण कर रहे ग्रहो के कारण भी भविष्यफल प्रभावित होता है गोचर पर भी विचार करना आवश्यक है। जातक के कर्म जन्म के बाद शुभ या अशुभ कैसे है इससे भी जातक का भविष्यफल निर्धारित होता है। जिस भाव का फल कथन करना है उसके विषय में कुछ बातो पर विचार कर लेना उचित होता है जैसे- भाव की राशि, भावेश , भाव में बेठे ग्रह, भाव-भावेश पर अन्य ग्रहों की शुभ-अशुभ दृष्टि। भविष्यफल देखते समय कुंडली के विशेष योग, राजयोग आदि देखता भी आवश्यक होता है क्योंकि इनसे फल एकदम बदल सकता है।सभी शुभ-अशुभ विशेष योगो पर विचार करना कर लेना उचित रहता है। ग्रहों का बल, ग्रह स्थिति, ग्रहो का एक दूसरे के साथ शुभ-अशुभ योग सम्बन्ध भी देख लेना आवश्यक है।

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