|माँ कुष्मांडा |
नवरात्र के चैथे दिन करें माँ कुष्मांडा की पूजा Navratri Day 4 Maa Kushmanda
माँ दुर्गा का चतुर्थ रूप माँ कूष्मांडा हैं। अपनी मन्द हंसी से अपने उदर से अण्ड अर्थात ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कुष्मांडा माँ के नाम से जाना जाता है। कुष्मांडा माँ के शरीर की चमक भी सूर्य के समान ही है। कोई और देवी देवता इनके तेज और प्रभाव की बराबरी नहीं कर सकतें। माता कुष्मांडा तेज की देवी है। इन्ही के तेज और प्रभाव से दसों दिशाओं को प्रकाश मिलता है। कहां जाता है कि सारे ब्रह्माण्ड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में जो तेज है। वो माँ कुष्मांडा की देन है ।
पंडित एन एम श्रीमाली के अनुसार माँ कुष्मांडा की उपासना से भक्तों के कष्ट नष्ट हो जाते हैं। इनकी आराधना से मनुष्य त्रिविध ताप से मुक्त होता है। माँ कुष्मांडा सदैव अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि रखती है। इनकी पूजा आराधना से हृदय को शांति व जातकों धन की प्राप्ति होती हैं। इस दिन भक्त का मन ‘अनाहत’ चक्र में स्थित होता है। अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और शांत मन से कुष्मांडा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा करनी चाहिए।
|ऐसे करे माँ कुष्मांडा की पूजा Navratri Day 4 Maa Kushmanda |
पंडित निधि श्रीमाली के अनुसार जो जातक कुण्डलिनी जागृत करने की इच्छा से देवी आराधना में समर्पित हैं। उन्हें दुर्गा पूजा के चोथे दिन माता कुष्मांडा की सभी प्रकार से विधिवत पूजा अर्चना करनी चाहिए। जिससे माँ कुष्मांडा प्रसंन होती है। फिर मन को ‘अनाहत’ में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके बाद साधना में बैठना चाहिए। इस प्रकार जो जातक प्रयास करते हैं। उन्हें माँ कुष्मांडा सफलता प्रदान करती हैं। नवरात्र के चोथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा का विधान उसी प्रकार है। जिस प्रकार देवी ब्रह्मचारिणी और चन्द्रघंटा की पूजा की जाती है। इस दिन सबसे पहले कलश व उसमें उपस्थित देवी देवता की पूजा करें। इसके बाद माता के परिवार में शामिल देवी देवता की पूजा करें। जो देवी कि प्रतिमा के दोनों तरफ विरजामन है। इनकी पूजा के पश्चात माँ कुष्मांडा की पूजा करे। इस दिन हो सके तो बड़े माथे वाली तेजस्वी विवाहित महिला की पूजा करे। उसे भोजन में दही, हलवा खिलाएं। इसके बाद फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान दें। इससे मां कुष्मांडा प्रसन्न होती है। जातकों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
करें नवरात्रा के चैथे दिन माँ कुष्मांडा की पूजा, होगी धन की बारिश
Navratri Day 4 Maa Kushmanda नवरात्रि के चोथे दिन मां दुर्गा के चोथे स्वरूप माता कुष्मांडा की पूजा की जाती है। माना जाता है कि जब चारों तरफ अंधेरा था। तब मां कुष्मांडा ने ही ब्रह्मांड की रचना की थी। इसलिए इन्हें सृष्टि की आदि स्वरूपा व आदिशक्ति भी कहते हैं। मां कुष्मांडा का वाहन शेर है। देवी की आठ भुजाएं हैं। इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता हैं। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। मां कुष्मांडा के आठवें हाथ में जप माला है। कुष्मांडा को संस्कृत भाषा में कुम्हड़ कहा जाता है। बलियों में मां को कुम्हड़े की बलि सर्वाधिक प्रिय है। ये भी एक कारण है। जिससे मां कूष्मांडा कहलाती है। मां की भक्ति से धन की बारिश होती है। नवरात्रि के चैथे दिन इस मंत्र का जाप करने से माँ कुष्मांडा प्रसन्न होकर भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाकर रखती हैं।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कुष्मांडा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमरू।।
माँ कुष्मांडा की आराधना से दूर होते हैं रोग Navratri Day 4 Maa Kushmanda
पंडित एन एम श्रीमाली के अनुसार नवरात्रा के चोथे दिन माँ कुष्मांडा की आराधना से दुख, दर्द, रोग दूर होते है। पुराण में माँ कूष्मांडा को आदिशक्ति के रूप में बताया गया है। आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि मां की सच्चे मन से भक्ति और आराधना करने से कई तरह के रोग मिट जाते है।
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