माँ शैलपुत्री
नवरात्रि का त्यौहार भारत में बडे ही धूम-धाम से मनाया जाता हैं। ( Navratri Day 1 Maa Shailputri ) नवरात्रि 9 दिनों का एक बडा त्यौहार है। जिसमें देवी नवदुर्गा की पूजा-अर्चना बडे ही उत्साह के साथ की जाती है। नवरात्री एक संस्कृत शब्द है। जिसमें नव का अर्थ है “नौ दिन” तथा रात्रि का अर्थ हैं “रात” । नवरात्रि त्यौहार के आखिरी दिन विजयदशमी व दशहरा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता हैं। इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। नवरात्रि पर्व के दौरान पूरे पांरपरिक तथा रीति रिवाज के अनुसार देवी दुर्गा मां के अवतारों की पूजा की जाती है। माता दुर्गा के 9 रूपों के नाम हैं – शैलपुत्री, ब्रहमचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्ंकदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्विदात्री। नवरात्रि पर्व प्रत्येक वर्ष 5 बार मनाया जाता हैं।
नवरात्रा का पहला दिन ( Navratri Day 1 Maa Shailputri )
(Navratri Day 1 Maa Shailputri) नवरात्र का पहला दिन माँ भगवती के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। इसलिए उन्हे पार्वती व हेमवती के नाम से भी जाना जाता हैं। माँ शैलपुत्री का वाहन वृषभ है, इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल व बाएं में कमल पुष हैं। भक्तगण माँ शैलपुत्री की आराधना कर मन वांछित फल प्राप्त करते हैं। माँ दुर्गा को मातृ शक्ति यानी करूणा और ममता का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है। अतः इनकी पूजा में सभी तीर्थो नदियों, समुदों, नवग्रहों, दिग्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों आमंत्रित होती है। कलश स्थापना के समय इन सभी का आव्हान किया जाता है ओर विराजने के लिए प्रार्थना की जाती है। माँ शैलपुत्री की आराधना से मूलाधार चक्र जागृत होता हैं, यहीं से योग साधना का आंरभ भी माना जाता है।
कलश में सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी ओर मुद्रा सादर भेंट की जाती है। पांच पल्लवों से कलश को सुशोभित किया जाता हैं। इस प्रकार कलश के नीचे सात प्रकार के अनाज ओर बोये जाते हैं ओर दशमी तिथि को इन्हे काटा जाता है।
पहले नवरा़त्र पर प्रसाद व वस्त्रों का रंग(Color to wear on First Day of Navratri)
पहले नवरात्र को आप पूजा के समय पीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें। इस दिन मंगल शांति की पूजा लाभकारी होती हैं। पहले नवरा़ित्र के दिन माँ शैलपुत्री को गाय का शुद्व घी अर्पित करने से आरोग्य का आर्शीवाद मिलता हैं तथा शरीर निरोगी रहता है।
जाने नवरात्रि की प्रथम देवी माँ शैलपुत्री की पहले दिन क्यों की जाती हैं पूजा (Know why we worship Navratri Day 1 Maa Shailputri )
पंडित एन एम श्रीमाली के अनुसार नवरात्रि के पावन पर्व पर माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-उपासना विधि-विधान से की जाती है। देवी दुर्गा के नौ रूप होते है। दुर्गाजी पहले स्वरूप शैलपुत्री के नाम से जानी जाती है।
नवरात्र-पूजन के प्रथम दिन इन्हीं की पूजा ओर उपासना की जाती हैं। इस प्रथम की उपासना में योगी अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रांरभ होता है।नवरा़ित्र का हर्षोल्लास (Exitement of Navratri)
नवरात्रि के त्यौहार पर भक्त दिन में एक बार भोजन करके या कुछ लोग फल या मात्र पानी पीकर उपवास करते है। वहीं उत्तर भारत में कई जगहों पर नवरात्रि के नौवें दिन कन्यापूजन भी नवरात्रि के दौरान लोग करते हैं। इस पूजा में 9 छोटी कन्याओं को देवी माँ के नौ रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है ओर साथ ही उन्हे हलवा, पुरी मिठाईयां खाने में दिया जाता है। इसी प्रकार भारत के पूर्वी राज्यों में जैसे पश्चिम बंगाल में जगह-जगह दुर्गा मां के पंडाल बनाए जाते है। जहां भक्त दर्शन के लिए पहुंचते है। वहां पर माता दुर्गा की पूजा करते है और उनसे सुख शांति की कामना करते है। कई जगहों पर पांरपरिक नृत्य और गीत के कार्यक्रम भी आयोजित होते है। इस दौरान उस आयोजन में हजारों की संख्या में लोग पहुंचते है। भारत के पश्चिमी राज्यों में नवरा़ित्र का एक अलग ही रंग दिखता है। जहां शाम के समय लोग डांडिया खेलते है।
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