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जानिए कैसे बने नंदी शिव के गण ,सबसे बड़े भक्त एवं क्या है नंदी के कान में मनोकामना कहने का महत्व – Nandi the biggest devotee of Lord Shiva

जानिए कैसे बने नंदी शिव के गण ,सबसे बड़े भक्त एवं क्या है नंदी के कान में मनोकामना कहने का महत्व – Nandi the biggest devotee of Lord Shiva

Nandi the biggest devotee of Lord Shiva गुरु  माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की आप जब भी किसी शिव मंदिर में गए होंगे, तो मंदिर में प्रवेश करते ही आपको नंदी महाराज की मूर्ति अवश्य दिखेगी। नंदी की इस प्रतिमा का मुंह हमेशा भगवान शिव की प्रतिमा की तरफ रहता है।  भगवान शिव के प्रत्येक मंदिर में नंदी महाराज का होना अनिवार्य   है  दी के बगैर भगवान शंकर के मंदिर की स्थापना नहीं होती है। Nandi the biggest devotee of Lord Shiva

कैसे बने नंदी शिव के गण

गुरु  माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार   शिव की कठिन तपस्या के बाद शिलाद ऋषि ने नंदी को पुत्र के रूप में पाया था, नंदी को उनके पिता ने संपूर्ण वेदों का ज्ञान दिया। एक दिन शिलाद ऋषि के आश्रम में दो दिव्य ऋषि आए, नंदी ने उन दोनों ऋषियों की खूब सेवा की, ऋषि बहुत प्रसन्न हुए उन्होंने शिलाद ऋषि को तो लंबी उम्र का वरदान दिया लेकिन नंदी को नहीं दिया। जब शिलाद ऋषि ने उन दिव्य ऋषियों से इसका कारण जानना चाहा तो, उन्होंने बताया कि नंदी अल्पायु है।

यह सुनकर ऋषि शिलाद चिंतित हो गए, जब नंदी ने पिता से चिंता की वजह पूछी तो उन्होंने उसे सच्चाई बता दी। इस पर नंदी हंसने लगे और कहा कि शिव जी की कृपा से आपने मुझे प्राप्त किया था और वही मेरी रक्षा करेंगे। इसके बाद नंदी ने भुवन नदी के किनारे शिव जी की कठिन तपस्या की।

शिवजी प्रकट हुए तो नंदी ने कहा कि वो उम्रभर उनके सानिध्य में रहना चाहता हूं। नंदी के समर्पण से शिवजी प्रसन्न हुए और उन्हें बैल का चेहरा देकर अपना वाहन बनाकर अपने गण में शामिल कर लिया। साथ ही ये आशीर्वाद भी दिया कि जहां उनका निवास होगा वहां नंदी भी होंगे। Nandi the biggest devotee of Lord Shiva

नंदी के दर्शन और महत्व
– नंदी के नेत्र सदैव अपने इष्ट का स्मरण करते हैं. माना जाता है कि नंदी के नेत्रों से ही शिव की छवि मन में बसती है. 

– नंदी के नेत्रों का अर्थ है कि भक्ति के साथ मनुष्य में क्रोध, अहम, दुर्गुणों को पराजित करने का सामर्थ्य न हो तो भक्ति का लक्ष्य प्राप्त नहीं होता है.

– नंदी पवित्रता, विवेक, बुद्धि और ज्ञान के प्रतीक माने जाते हैं. उनके जीवन का हर क्षण भगवान शिव को समर्पित है. 

– नंदी महाराज मनुष्य को शिक्षा देते हैं कि मनुष्य को अपना हर क्षण परमात्मा को अर्पित करना चाहिए.  Nandi the biggest devotee of Lord Shiva

भगवान शिव के सबसे बड़े भक्त हैं नंदी

जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था उस वक्त भगवान शिव ने हलाहल विष पीकर इस संसार को बचाया था, विष की कुछ बूंदे जमीन पर गिर गई थीं, जिसे नंदी ने जीभ से चाट लिया था, नंदी का ये समर्पण देखकर भगवान शिव ने उन्हें अपने सबसे बड़े भक्त की उपाधि दी और ये आशीर्वाद दिया कि उनके दर्शन से पहले लोग नंदी के दर्शन करेंगे। 

नंदी के कान में मनोकामना

नंदी के दर्शन मात्र से ही मन को असीम शांति प्राप्त होती है. मान्यता है कि शिवजी अधिकतर अपनी तपस्या में ही लीन रहते हैं. भगवान शिव की तपस्या में किसी प्रकार का विघ्न न पड़े इसलिए नंदी चैतन्य अवस्था में रहते हैं. मान्यता है कि अगर अपनी मनोकामना नंदी के कानों में कही जाए,तो वे भगवान शिव तक उसे जरूर पहुंचाते हैं. फिर वह नंदी की प्रार्थना हो जाती है,जिसे भगवान शिव अवश्य पूरी करते हैं. मान्यता ये भी है कि शिवजी ने नंदी को खुद ये वरदान दिया था कि जो भक्त निश्छल मन से तुम्हारे कान में अपनी मनोकामना कहेंगे उस व्यक्ति की सभी इच्छाएं जरूर पूरी हो जाएंगी. Nandi the biggest devotee of Lord Shiva

नंदी और शिव जैसा है आत्‍मा व शरीर का बंधन

जैसे नंदी की नजर शिव की ओर होती है, उसी तरह हमारी नजर भी आत्मा की ओर हो। हर व्यक्ति को अपने दोषों को देखना चाहिए। हमेशा दूसरों के लिए अच्छी भावना रखना चाहिए। नंदी का इशारा यही होता है कि शरीर का ध्यान आत्मा की ओर होने पर ही हर व्यक्ति चरित्र, आचरण और व्यवहार से पवित्र हो सकता है। इसे ही आम भाषा में मन का साफ होना कहते हैं। जिससे शरीर भी स्वस्थ होता है और शरीर के निरोग रहने पर ही मन भी शांत, स्थिर और दृढ़ संकल्प से भरा होता है। इस प्रकार संतुलित शरीर और मन ही हर कार्य और लक्ष्य में सफलता के करीब ले जाता है। Nandi the biggest devotee of Lord Shiva

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