मौनी अमावस्या 2025 – Mouni Amavasya 2025

Mouni Amavasya मौनी अमावस्या का महत्व


मौनी अमावस्या का व्रत हर वर्ष माघ मास की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा। आइए जानाते है गुरु माँ निधि जी श्रीमाली से कि इस दिन मौन व्रत रखने का महत्व क्या है और इसका पालन कैसे किया जाता है

इस दिन मौन व्रत रखने का महत्व क्या है और इसका पालन कैसे किया जाता है।

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली बताते है की मौनी अमावस्या का व्रत हर वर्ष माघ मास की अमावस्या तिथि पर रखा जाता है। इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष 2025 में यह व्रत 29 जनवरी को रखा जाएगा, और इसी दिन महाकुंभ मेले में दूसरा अमृत स्नान भी होगा। धार्मिक ग्रंथों में अमावस्या तिथि को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन गंगा स्नान, दान और पितरों की पूजा के लिए समर्पित होता है। प्रत्येक अमावस्या का अपना विशेष महत्व होता है, लेकिन मौनी अमावस्या को इनमें सबसे खास माना गया है। इस दिन मौन रहकर व्रत करने की परंपरा है। इसे जप, तप और साधना के लिए सबसे उपयुक्त समय माना गया है।

Mouni Amavasya मौनी अमावस्या पर मौन रखने का कारण

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली बताते है की मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का विधान है। साधक इस दिन मौन रहकर व्रत करते हैं, जो मुख्यतः आत्मसंयम और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। यह व्रत साधु-संतों के द्वारा भी किया जाता है, क्योंकि मौन रहकर मन को नियंत्रित करना और ध्यान में एकाग्रता लाना सरल हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार, मौन व्रत से व्यक्ति के भीतर आध्यात्मिक उन्नति होती है। इसके माध्यम से वाणी की शुद्धता और मोक्ष की प्राप्ति संभव है। यह व्रत आत्मिक शांति और साधना में गहराई लाने का एक सशक्त माध्यम है।

Mouni Amavasya
मौनी अमावस्या व्रत के नियम

  • इस दिन प्रातःकाल गंगा स्नान करना आवश्यक है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो पवित्र नदी के जल से स्नान करने का प्रयास करें।
  • पूरे दिन मौन रहकर ध्यान और जप करें।
  • व्रत के दौरान किसी प्रकार का बोलना वर्जित है। तिथि समाप्त होने के बाद व्रत पूर्ण करें।
  • व्रत खोलने से पहले भगवान राम या अन्य इष्ट देव का नाम अवश्य लें

मौनी अमावस्या Mouni Amavasya का महत्व

मौनी अमावस्या का व्रत आत्मसंयम, शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। यह व्रत मन और वाणी को शुद्ध करता है और आत्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को करने से समाज में मान-सम्मान में वृद्धि होती है और साधक की वाणी में मधुरता आती है। साथ ही, यह व्रत व्यक्ति के आंतरिक और बाहरी जीवन में संतुलन लाने में सहायक होता है।
मौनी अमावस्या का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्म-नियंत्रण और ध्यान के माध्यम से मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।

मौनी अमावस्या का उपाय
मौनी अमावस्या के दिन आप प्रयागराज के संगम पर जाएं. इस समय महाकुंभ मेला भी लगा है. उस दिन अखाड़ों का अमृत स्नान होगा. मौनी अमावस्या को संगम में स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें. अपने पितरों के लिए जल से तर्पण करें. इस छोटे से उपाय से सुख, सौभाग्य, संतान, हरि कृपा प्राप्त होगी और पितरों का आशीर्वाद भी मिलेगा.


स्नान से पूरी होंगी 5 बड़ी मनोकामनाएं
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली कहते है की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग पूरे माघ माह में प्रयागराज के संगम यानी गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करते हैं. उनकी 5 बड़ी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यदि आप संगम में पूरे माघ माह में स्नान करेंगे तो आपको सुख, सौभाग्य, धन, संतान और मोक्ष की प्राप्ति होगी

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