मांगलिक दोष निवारण
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जिस जातक की जन्म कुंडली में लग्न/चंद्र कुण्डाल्यादि मंगल ग्रह लग्न से लग्न में (प्रथम), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी स्थित हो, तो उसे मांगलिक कहते हैं। मांगलिक कुंडली का मिलान : वर,तथा कन्या दोनों की ही कुंडली मांगलिक हों तो विवाह शुभ और दाम्पत्य जीवन आनंदमय रहता है। एक सादी और दूसरी कुंडली मांगलिक नही होनी चाहिए। शास्त्रकारों का कहना है कि जहाँ तक हो मांगलिक से मांगलिक का संबंध करें। िफर भी मांगलिक एवं अमांगलिक पत्रिका हो, दोनों परिवार पूर्ण संतुष्ट हों अपने पारिवारिक संबंध के कारण तो भी यह संबंध श्रेष्ठ नहीं है, ऐसा नहीं करना चाहिए। जीवन साथी के चयन के लिऐ गुण-मिलान की चर्चा होती है,तो इसके तहत मांगलिक विचार पर खासतौर से ध्यान दिया है, मांगलिक दोष के कारण महत्वपूर्ण निर्णय अटक जाते है। मांगलिक कुंडली का निर्णय बारिकी से किया जाता है, क्योकि शास्त्रोँ मै मांगलिक दोष निवारण के कई तरीके उपलब्ध है. कुंडली से भयभीत होने कि जरूरत नही है यह दोष नही है वल्कि इसी मंगल के प्रभाव से जातक कर्मठ, प्रभावशाली, धैर्यवान तथा सम्मानीय बनता है . मंगल की स्थिति से रोजी रोजगार एवं कारोबार मे उन्नति एवं प्रगति होती है तो दूसरी ओर इसकी उपस्थिति वैवाहिक जीवन के सुख बाधा डालती है. वैवाहिक जीवन में शनि को विशेष अमंगलकारी माना गया है.कुछ स्थितियों में इसका दोष स्वत: दूर हो जाता है अन्यथा इसका उपचार करके दोष निवारण किया जाता है (Manglik dosh ka upchar). मंगल यंत्र विशेष परिस्थिति में ही प्रयोग करें। इसे देरी से विवाह, संतान उत्पन्न की समस्या, तलाक, दाम्पत्य सुख में कमी एवं कोर्ट केस इत्यादि में ही प्रयोग करें। मांगलिक दोष निवारण 1- रोजाना हनुमान चालीसा का जाप करना चाहिए, तथा हनुमान भगवान के मंत्र ‘ओउम श्री हनुमते नमः’ का रोजाना जाप करने से और हर मंगलवार को हनुमान मंदिर जाकर प्रभु के दर्शन करने से लाभ होता है। मंदिर में हनुमान जी के आगे दीपक जलाकर, भोग लगाकर उस प्रसाद को सभी में बांटना चाहिए। 2- हर मंगलवार को उपवास रखें। 3- तुलसीदास जी रामचरितमानस के सुंदर कांड का 40 दिनों तक पाठ करें। 4- दिन में 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें। 5- लाल कपड़ा दान करके भी मंगल दोष को खत्म किया जा सकता है। 6- ज्योतिष से संपर्क कर हनुमान साधना करने पर विचार करें। इस अराधना में त्रिकोणीय मंगल यंत्र और मंगल स्तोत्र का होना आवश्यक होता है। यह मंगल ग्रह के लिए एक विशिष्ट प्रार्थना होती है। 7- बंदरों व कुत्तों को गुड व आटे से बनी मीठी रोटी खिलाएं | 8- आटे की लोई में गुड़ रखकर गाय को खिला दें | 9- मांगलिक वर अथवा कन्या को अपनी विवाह बाधा को दूर करने के लिए मंगल यंत्र की नियमित पूजा अर्चना करनी चाहिए। 10- मंगल दोष द्वारा यदि कन्या के विवाह में विलम्ब होता हो तो कन्या को शयनकाल में सर के नीचे हल्दी की गाठ रखकर सोना चाहिए और नियमित सोलह मंगलवार पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना चाहिए | 11- यदि मंगली दंपत्ति विवाहोपरांत लालवस्त्र धारण कर तांबे के पात्र में चावल भरकर एक रक्त पुष्प एवं एक रुपया पात्र पर रखकर पास के किसी भी हनुमान मन्दिर में रख आये तो मंगल के अधिपति देवता श्री हनुमान जी की कृपा से उनका वैवाहिक जीवन सदा सुखी बना रहता है | घट विवाह भी है उपाय यदि कन्या की कुंडली मै मांगलिक दोष का निवारण नही हो रहा हो, तो उसके उपाय के रूप मे कन्या का प्रथम विवाह अथवा सात फेरे किसी घडे या पीपल के वृक्ष साथ कराए जाने का विधान है ।इस के उपाय के पीछे तर्क यह है कि मंगली दोष का सारा प्रभाव उस घडे अथवा वृक्ष पर होता है, जिससे कन्या का प्रथम विवाह किया जाता है । वर दूसरा पति होने के कारण मंगल के प्रभाव से सुरक्षित हो जाता है ॥घट विवाह शुभ विवाह मुहूर्त और शुभ लग्न के समय ही पुरोहित द्वारा सम्पन्न कराया जाना चाहिये । कन्या का पिता पूर्वाभिमुख बैठकर अपने दाहिने तरफ कन्या को बिठाऐ॥ कन्या का पिता घट विवाह का संकल्प ले ।नवग्रह,गणेश पूजन ,शांति पाठ आदि करे ।घट कि षोडषोचार से पूजा करे ।शाखोचार,हवन,सात फेरे और विवाह कि अन्य रस्में निभाये ।बाद मे कन्या घट को उठाकर ह्र्दय से सटाकर भुमि पर छोड दे जिससे घट फूट जाये ।इसके बाद देवताओ का विसर्जन करे और ब्राह्मणो को दक्षिणा दे बाद मे चिरंजीवी वर से कन्या का विवाह करे॥ यदि वर मांगलिक हो तो विवाह से ठीक पूर्व वर का विवाह तुलसी के पौधे के साथ या जल भरे घट (घड़ा) अर्थात कुम्भ से करवाएं। मंगल दोष शांति के विशेष दान :- लाल वस्त्र धारण करने से व किसी ब्रह्मण को मंगल की निम्न वस्तु का दान करने से जिन मे – गेहू, गुड, माचिस, ताम्बा, स्वर्ण, गौ, मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य तथा भूमि दान करने से मंगल दोष दूर होता है | लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेट कर नदी में प्रवाहित करने से मंगल जनित अमंगल दूर होता है | मांगलिक दोष निवारण पूजा मांगलिक दोष निवारण पूजा किसी भी मंदिर में की जा सकती है हालांकि धार्मिक स्थानों पर इस पूजा को करने से इसके फल अधिक अवश्य हो जाते हैं। किसी भी प्रकार के दोष के निवारण के लिए की जाने वाली पूजा को विधिवत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उस दोष के निवारण के लिए निश्चित किये गए मंत्र का एक निश्चित संख्या में जाप करना तथा पूजा के आरंभ वाले दिन पंडित पूजा करवाने वाले जातक के साथ भगवान शिव के शिवलिंग के समक्ष बैठते हैं तथा शिव परिवार की विधिवत पूजा करने के पश्चात मुख्य पंडित यह संकल्प लेता है कि वह और उसके सहायक पंडित उपस्थित जातक के लिए मांगलिक दोष के निवारण मंत्र का जाप एक निश्चित अवधि में करते तथा इस जाप के पूरा हो जाने पर पूजन, हवन तथा कुछ विशेष प्रकार के दान आदि करते। जाप के लिए निश्चित की गई अवधि सामान्यतया 7 से 8 की दिन होती है। संकल्प के समय मंत्र का जाप करने वाली सभी पंडितों का नाम तथा उनका गोत्र बोला जाता है तथा इसी के साथ पूजा करवाने वाले जातक का नाम, उसके पिता का नाम तथा उसका गोत्र भी बोला जाता है तथा इसके अतिरिक्त जातक द्वारा करवाये जाने वाले मांगलिक दोष के निवारण मंत्र के इस जाप के फलस्वरूप मांगा जाने वाला फल भी बोला जाता है जो साधारणतया जातक की कुंडली में मांगलिक दोष का निवारण होता है। इस संकल्प के पश्चात सभी पंडित अपने जातक के लिए मांगलिक दोष निवारण मंत्र का जाप करना शुरू कर देते हैं (Manglik dosh ka upchar) तथा प्रत्येक पंडित इस मंत्र के जाप को प्रतिदिन लगभग 8 से 10 घंटे तक करता है। निश्चित किए गए दिन पर जाप पूरा हो जाने पर इस जाप तथा पूजा के समापन का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जो लगभग 2 से 3 घंटे तक चलता है। सबसे पूर्व शिव परिवार के अन्य सदस्यों की पूजा फल, फूल, दूध, दहीं, घी, शहद, शक्कर, धूप, दीप, मिठाई, हलवे के प्रसाद तथा अन्य कई वस्तुओं के साथ की जाती है तथा इसके पश्चात मुख्य पंडित के द्वारा मांगलिक दोष के निवारण मंत्र का जाप पूरा हो जाने का संकल्प किया जाता है जिसमे यह कहा जाता है कि मुख्य पंडित ने अपने सहायक अमुक अमुक पंडितों की सहायता से इस मंत्र की संख्या का जाप निर्धारित विधि तथा निर्धारित समय सीमा में सभी नियमों का पालन करते हुए किया है पूजा से विधिवत प्राप्त होने वाला सारा शुभ फल जातक को प्राप्त होना चाहिये। इस बात ध्यान दे, कि मांगलिक दोष निवारण (Manglik dosh ka upchar) के लिए की जाने वाली पूजा जातक की अनुपस्थिति में भी की जा सकती है तथा जातक के व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न होने की स्थिति में इस पूजा में जातक की तस्वीर का प्रयोग किया जाता है जिसके साथ साथ जातक के नाम, उसके पिता के नाम तथा उसके गोत्र आदि का प्रयोग करके जातक के लिए इस पूजा का संकल्प किया जाता है। इस संकल्प में यह कहा जाता है कि जातक किसी कारणवश इस पूजा के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने में सक्षम नहीं है जिसके चलते पूजा करने वाले पंडितों में से ही एक पंड़ित जातक के लिए जातक के द्वारा की जाने वाली सभी प्रक्रियाओं पूरा करने का संकल्प लेता है तथा उसके पश्चात पूजा के समाप्त होने तक वह पंडित ही जातक की ओर से की जाने वाली सारी क्रियाएं करता है जिसका पूरा फल संकल्प के माध्यम से जातक को प्रदान किया जाता है।
मांगलिक दोष की पूजा हमारे विद्वान पंडितो द्वारा करवाई जाती है| पूजा करवाने हेतु न्यौछावर राशि 8000/-
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