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जानिए महामृत्युंजय मंत्र की महिमा , सावधानियाँ एवं लाभ – Mahamrityunjaya Mantra

जानिए महामृत्युंजय मंत्र की महिमा , सावधानियाँ एवं लाभ – Mahamrityunjaya Mantra

Mahamrityunjaya Mantra गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार  भगवान शिव के कई स्वरूपों का वर्णन किया गया है. इसमें से भगवान शिव का एक स्वरूप महामृत्युंजय स्वरूप भी है. इस स्वरूप में भगवान शिव हाथों में अमृत लेकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. ऐसे में महामृत्युंजय मंत्र के जाप से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है. Mahamrityunjaya Mantra

भगवान शिव की आराधना करने से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है और इनके मंत्रों का जाप करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं. धार्मिक ग्रथों में भगवान शिव के कई स्वरूपों का वर्णन किया गया है. इसमें से भगवान शिव का एक स्वरूप महामृत्युंजय स्वरूप भी है. इस स्वरूप में भगवान शिव हाथों में अमृत लेकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. ऐसे में महामृत्युंजय मंत्र के जाप से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है. आइए जानते हैं पंडित शैलेंद्र पांडेय से कि क्या है महामृत्युंजय मंत्र की महिमा और इसका जाप करते समय किन सावधानियों का पालन करना चाहिए. Mahamrityunjaya Mantra

महामृत्युंजय मंत्र की महिमा:

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली कहते हैं कि भगवान शिव के अनेक स्वरूपों में एक महामृत्युंजय स्वरूप भी है. इसलिए महादेव को मृत्युंजय भी कहा जाता है. वहीं महामृत्युंजय मंत्र में भगवान शिव के महामृत्युंजय स्वरूप से आयु की रक्षा प्रार्थना की गई है. इस मंत्र के छोटे और लंबे दो स्वरूप हैं. मंत्र के इन दोनों स्वरूपों का जाप करने से व्यक्ति हमेशा सुरक्षित रहता है. महामृत्युंजय मंत्र का प्रयोग कई तरह से किया जाता है. इसका प्रयोग सामान्य रूप और विशेष रूप से भी कर सकते हैं. ज्योतिष के अनुसार, कुंडली के कई विशेष दोष को दूर करने में ये मंत्र ही कारगर सिद्ध हो सकता है. Mahamrityunjaya Mantra

महामृत्युंजय मंत्र 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥

महामृत्युंजय मंत्र का हिंदी अर्थ 

हिंदी में इसका अर्थ है- हम त्रिनेत्र को पूजते हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं। जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं।  Mahamrityunjaya Mantra

महामृत्युंजय मंत्र का जाप कैसे करें 

  • रुद्राक्ष जपमाला की मदद से भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र  का 108 बार जाप करें। मंत्र उच्चारण करते हुए शिवलिंग पर फूल चढ़ाएं और दूध से अभिषेक करें।
  • सर्वोत्तम परिणामों के लिए महामृत्युंजय मंत्र का 1.25 लाख बार जाप करने की सलाह दी जाती है। लेकिन इसे एक दिन में करना संभव नहीं है। इसलिए इस मंत्र का दिन में 1000 बार जाप करने का प्रयास करना चाहिए। इस प्रकार 125 दिन में कुल सवा लाख मंत्र का जाप पूरा हो जाएगा।
  • मंत्र का जाप प्रात:काल में ही करना चाहिए। दोपहर के समय इस मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।
  • भगवान शिव की कृपा पाने के लिए एक बर्तन में पानी रखकर संकल्प करें।
  • भगवान शिव को दीपम, जल, फूल, बेलपत्र, फल और अगरबत्ती अर्पित की जाती है और महामृत्युंजय मंत्र के पाठ के बाद हवन किया जाता है। मंत्र जाप के बाद हर बार हवन करना जरूरी नहीं है।
  • मंत्र के कर्ता को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी मांसाहारी भोजन का सेवन न करें। Mahamrityunjaya Mantra

महामृत्युंजय मंत्र जप में जरूरी है सावधानियां  

महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम फलदायी है, लेकिन इस मंत्र के जप में कुछ सावधानियां रखना चाहिए जिससे कि इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके और किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना न रहे। 

अतः जप से पूर्व निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-

1. जो भी मंत्र जपना हो उसका जप उच्चारण की शुद्धता से करें।

2. एक निश्चित संख्या में जप करें। पूर्व दिवस में जपे गए मंत्रों से, आगामी दिनों में कम मंत्रों का जप न करें। यदि चाहें तो अधिक जप सकते हैं।

3. मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें।

4. जप काल में धूप-दीप जलते रहना चाहिए।

5. रुद्राक्ष की माला पर ही जप करें।

6. माला को गौमुखी में रखें। जब तक जप की संख्या पूर्ण न हो, माला को गौमुखी से बाहर न निकालें।

7. जप काल में शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र पास में रखना अनिवार्य है।

8. महामृत्युंजय के सभी जप कुशा के आसन के ऊपर बैठकर करें।

9. जप काल में दुग्ध मिले जल से शिवजी का अभिषेक करते रहें या शिवलिंग पर चढ़ाते रहें।

10. महामृत्युंजय मंत्र के सभी प्रयोग पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें।

11. जिस स्थान पर जपादि का शुभारंभ हो, वहीं पर आगामी दिनों में भी जप करना चाहिए।

12. जपकाल में ध्यान पूरी तरह मंत्र में ही रहना चाहिए, मन को इधर-उधर न भटकाएं।

13. जपकाल में आलस्य व उबासी को न आने दें।

14. मिथ्या बातें न करें।

15. जपकाल में स्त्री सेवन न करें।

16. जपकाल में मांसाहार त्याग दें।  Mahamrityunjaya Mantra

महामृत्युंजय मंत्र से लाभ

1. रु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार, यदि किसी पर अकाल मृत्यु का योग है, तो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराना चाहिए. यह काफी लाभदायक हो सकता है.

2. यदि आप किसी ऐसे रोग से पीड़ित हैं, जिससे राहत नहीं मिल रही है, तो आपको महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराना चाहिए.

3. महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से ग्रह दोष या ग्रहों से होने वाली पीड़ा भी दूर हो सकती है.

4. महामृत्युंजय मंत्र पाप से मुक्ति के लिए भी किया जाता है

5. धन हानि से बचने, प्रॉपटी या जमीन जायदाद से संबंधित विवादों में सफलता के लिए भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराया जाता है.

6. आपके परिवार में अशांति का माहौल रहता है, घर के सदस्य हमेशा परेशान रहते हैं, गृह क्लेश रहता है, तो इनके शमन के लिए भी महामृत्युंजय मंत्र जाप कराया जा सकता है.

7. किसी को राज पक्ष से सजा का डर सता रहा होता है या कोई अनजाना भय होता है, तो उससे बचने के लिए भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप कराया जाता है. Mahamrityunjaya Mantra

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