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ग्रह – नक्षत्रो की सटीक जानकारी – Information About Planets

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ग्रह नक्षत्रो की सटीक, जानकारी Information About Planets

Information About Planets गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की देवी दुर्गा के 9 रूपों की उपासना के साथ 22 मार्च से हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2080 की शुरुआत होगी। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर लोग घरों में घट स्थापना कर देवी मां से आशीर्वाद के साथ नए साल का स्वागत करते है । दुनिया में कई धर्मों और देशों के लोग अलग अलग दिन नया साल मनाते हैं। Information About Planets

भारतीय खगोलविदों ने वैज्ञानिक पद्धति से हिंदू नववर्ष के विक्रम संवत का निर्धारण किया।  ‘सैकड़ों साल बीत जाने के बाद भी भारतीय काल गणना वर्ष, माह, तिथि, ग्रह-नक्षत्र का सटीक आकलन करती है। यह कालगणना पूर्णतः विज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित है। कभी अंग्रेजी कैलेंडर (ग्रिगोरियन कैलेंडर) 10 महीनों का होता था। इसके कारण हर साल क्रिसमस का समय बदल जाता था। इसी तरह की गड़बड़ियो के कारण यूरोपियन देशो ने विक्रम संवत में 12 महीनो की व्यवस्था की Information About Planets

सूर्य और चंद्रमा से होती है गणना

विश्व में सबसे पहले भारतीय पंचांग में प्रत्येक वर्ष 12 माह की व्यवस्था शुरू की गयी इसमें वर्ष की गणना सूर्या के आधार पर होती है और माह का निर्धारण चंद्रमा की गति से होती है

नक्षत्रो के आधार पर महीनो के नाम

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली  के अनुसार हिन्दू पंचांग में महीनो के नाम वैज्ञानिक पद्दति पर रखे गए है चंद्रमा पूर्णिमा इ दिन जिस नक्षत्र में होते है उसी के आधार पर उस महीने का नाम रखा गया है जैसे चित्रा में होने पर चैत्र , विशाखा में होने पर वैशाख , श्रवण में होने पर श्रावण  , और फाल्गुनी में होने पर फाल्गुन | और अंग्रेजी महीनो के नाम राजा रानी , देवता के नाम पर रखा गया है

चैत्र माह में 15 दिन बाद नववर्ष मनाने का कारण

फाल्गुन महिना समाप्त होने के बाद छात्र की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा लग जाती है माना जाता है की कृष्ण पक्ष के दौरान 15 दिन चंद्रमा घटता रहता है इस वजह से आकाश में अँधेरा छाने लगता है सनातन धर्म का आधार अँधेरे से उजाला की ओर बढ़ने से रहा है इसी वजह से चैत्र में 15 दिन बाद जब शुक्ल पक्ष लगता है तब चंद्रमा का आकार बढने के साथ आकश में उजाला छाने लगता है इसी कारण शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नववर्ष मनाया जाता है Information About Planets

किस आधार पर अधिकमास की शुरुआत

पंचांग के निर्धारण में कालगणना एकदम सटीक की गई थी। इस गणना के अनुसार चंद्रमा का बारह राशियों में भ्रमण 354 दिन में पूरा होता है। इस आधार पर 29 दिन में चंद्रमा एक राशि का भ्रमण कर लेता है। इसी आधार पर बारह महीनों का विभाजन हुआ। सूर्य और चंद्रमा की गति के अंतर से हर साल दस दिन का अंतर आता है इसके लिए अधिमास  की शुरुआत की गयी है Information About Planets

विक्रम संवत की शुरुआत

  गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य के समय शुरू हुआ। विक्रमादित्य ने शकों पर विजय के उपलक्ष्य में विक्रम संवत आरंभ किया। उनके राज्य में वाराहमिहिर जैसे खलोगविद थे। उनकी गणना के बाद ईसा से 57 वर्ष पूर्व विक्रम संवत की शुरुआत की गई।

 चैत्र प्रतिपदा में हुए अनेक कार्य

  1. चैत्र प्रतिपदा के दिन ही ब्रम्हाजी ने सृष्टि का निर्माण किया था
  2. इसी दिन सतयुग की शुरुआत हुई और इसी दिन को काल चक्र का प्रथम दिवस माना गया है
  3. भगवन राम द्वारा बाली का वध
  4. भगवान् झुलेलाल की जयंती
  5. चैत्र प्रतिपदा को ही युधिष्ठिर राजा बने
  6. आर्य समाज की स्थापना

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