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जानिए वट सावित्री व्रत का महत्व , पूजन विधि एवं उपाय – Importance of Vat Savitri fast

Importance of Vat Savitri fast

जानिए वट सावित्री व्रत का महत्व , पूजन विधि एवं उपाय – Importance of Vat Savitri fast

Importance of Vat Savitri fast गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की  वट सावित्री व्रत इस व्रत को महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए रखती है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है।ज्येष्ठ अमावस्या तिथि 18 मई 2023 को रात 09 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ होगी और 19 मई 2023 को रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहेगी. उदयातिथि के अनुसार अमावस्या पर वट सावित्री व्रत 19 मई 2023 को रखा जाएगा   इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। देश के कुछ हिस्सों में वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है।  Importance of Vat Savitri fast

वट सावित्री व्रत का महत्व

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार वट सावित्री का व्रत पत्नी अपने पति की लंबी उम्र की कामने के लिए रखती हैं। ऐसी मान्यताएं है कि इस व्रत को करने से पति पर आए सारे कष्ट दूर होते हैं।   इस व्रत के प्रभाव से देवी सावित्री के पतिधर्म को देखकर मृत्यु के देवता यमराज ने उनेके पति सत्यावान को पुन: जीवनदान दिया था। इसके अलावा इस व्रत को रखने से दांपत्य जीवन में आ रही समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है। वट सावित्री व्रत के दिन वट यानी बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। क्योंकि, इस वृक्ष की जटाओं ने सावित्री के मृत पति के शरीर को सुरक्षित रखा था जब तक कि सावित्री अपने पति के प्राण वापस लेकर नहीं आयीं। Importance of Vat Savitri fast

सावित्री – सत्यवान  कथा

राजर्षि अश्वपति की केवल एक ही बेटी थी सावित्री। सावित्री की शादी वनवासी राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से की गई। सत्यवान और सावित्री का जीवन अच्छा चल रहा था कि एक दिन नारद जी का आगमन उनके महल में हुआ। उन्होंने बताया कि सत्यवान कम उम्र में ही मर जाएगा। ऐसे में सावित्री ने हिम्मत नहीं हारी और सत्यवान के साथ भगवान की अराधना करने लगी। वह सभी महलों के सुख त्याग कर वन में उनके परिवार की सेवा करते हुए समय बिता रही थी कि अचानक एक दिन जंगल में सत्यवान मूर्च्छित होकर गिर पड़े। सावित्री समझ गई कि यमराज सत्यवान के प्राण हरने आए हैं।  तीन दिन तक बिना कुछ खाए उपवास करती रही और यमराज से प्रार्थना करने लगी कि उसके पति के प्राण छोड़ दें। इस पर भी जब यमराज नहीं मानें तब सावित्री उनके पीछे-पीछे ही जाने लगीं। कई बार मना करने पर भी वह नहीं मानीं, तो सावित्री के साहस और त्याग से यमराज प्रसन्न हुए और कोई तीन वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने सत्यवान के दृष्टिहीन  माता-पिता के नेत्रों की ज्योति मांगी, उनका छिना हुआ राज्य मांगा और अपने लिए 100 पुत्रों का वरदान मांगा। तथास्तु कहने के बाद यमराज समझ गए कि सावित्री के पति को साथ ले जाना अब संभव नहीं। इसलिए उन्होंने सावित्री को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद दिया और सत्यवान को छोड़कर वहां से अंतर्धान हो गए। उस समय सावित्री अपने पति को लेकर वट वृक्ष के नीचे ही बैठी थीं। Importance of Vat Savitri fast

इसीलिए इस दिन महिलाएं अपने परिवार और जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना करते हुए वट वृक्ष को भोग अर्पण करती हैं, उस पर धागा लपेट कर पूजा करती हैं। 

वट सावित्री व्रत विधि

  • वट सावित्री व्रत वाले दिन सुहागिन महिलाएं प्रात: जल्दी उठें और स्नान करें। 
  • स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। शृंगार जरूर करें। 
  • साथ ही इस दिन पीला सिंदूर लगाना शुभ माना जाता है। 
  • इस दिन बरगद के पेड़ के नीचे सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें। 
  • बरगद के पेड़ में जल डालकर उसमें पुष्प, अक्षत, फूल और मिठाई चढ़ाएं। 
  • सावित्री-सत्यवान और यमराज की मूर्ति रखें। बरगद के वृक्ष में जल चढ़ाएं। 
  • वृक्ष में रक्षा सूत्र बांधकर आशीर्वाद मांगें। 
  • वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें। 
  • इसके बाद हाथ में काले चना लेकर इस व्रत का कथा सुनें। 
  • कथा सुनने के बाद पंडित जी को दान देना न भूलें। 
  • दान में आप वस्त्र, पैसे और चने दें। 
  • अगले दिन व्रत को तोड़ने से पहले बरगद के वृक्ष का कोपल खाकर उपवास समाप्त करें।  Importance of Vat Savitri fast

वट सावित्री व्रत में क्या करें
1. वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए सामग्री की व्यवस्था पहले ही कर लें, तो अच्छा रहेगा. व्रत वाले दिन परेशानी नहीं होगी.

2. व्रत के लिए सुहागन महिलाएं स्वयं के श्रृंगार या सुहाग की सामग्री खरीद लें क्योंकि यह व्रत अखंड सुहाग के लिए ही रखा जाता है. व्रत वाले दिन इनका उपयोग करें.

 वट सावित्री व्रत में भीगे हुए चने खाकर ही पारण करते हैं. पारण के समय 11 भीगे चने बिना चबाए खाने होते हैं.

4. इस दिन आपको वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा करनी है और उसमें 7 बार कच्चा सूत लेपटना होता है. वट वृक्ष की कम से कम 7 बार और अधिक से अधिक 108 बार परिक्रमा करते हैं.

 व्रती को पूजा के समय वट सावित्री व्रत कथा पढ़नी चाहिए या सुननी चाहिए. कथा सुनने से व्रत का महत्व पता चलता है.

6. अपने कपड़े और श्रृंगार की वस्तुओं में लाल रंग का उपयोग करना चाहिए. लाल रंग को सुहाग का प्रतीक माना जाता है. Importance of Vat Savitri fast

वट सावित्री व्रत में क्या न करें
1. इस दिन आपको काले, सफेद या नीले रंग की चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए. इनको नकारात्मकता का प्रतीक मानते हैं.

2. काले, सफेद या नीले रंग की साड़ी भी न पहनें. इस दिन इन रंग की वस्तुओं के उपयोग से भी बचें तो अच्छा है.

3. यह व्रत सुहाग के लिए रख रही हैं, तो इस दिन संयमित व्यवहार करें. जीवनसाथी के साथ वाद विवाद से बचें.

4. इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए. मन में किसी के प्रति घृणा, द्वेष आदि न रखें. Importance of Vat Savitri fast

गुरु माँ निधि जी श्रीमाली द्वारा बताये गये वट सावित्री व्रत के कुछ विशेष उपाय Importance of Vat Savitri fast 

  1. कच्चा धागा लेकर वट वृक्ष के 5 से 7 बार परिक्रमा करे 
  2. काली गाय, जिस पर कोई दूसरा निशान न हो, का पूजन कर 8 बूंदी के लड्डू खिलाकर उसकी परिक्रमा करें तथा उसकी पूंछ से अपने सिर को 8 बार झाड़ दें।
  3. यदि कोई व्यक्ति अपने घर के पारिवारिक झगड़ों से परेशान है तो ऐसे व्यक्ति को प्रतिदिन बरगद के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान कर उनकी आराधना करनी चाहिए. ऐसा करने से जल्द ही घर के पारिवारिक झगड़े और कलह खत्म होती है.
  4. यदि किसी व्यक्ति के घर में कोई सदस्य लंबे समय से बीमार चल रहा है और उसकी बीमारी का पता भी नहीं चल पा रहा है तो ऐसे में अमावस्या की रात को सोते समय बरगद की जड़ मरीज के सिरहाने तकिए के नीचे रख देना चाहिए. ऐसा करने से उस व्यक्ति को जल्द ही स्वास्थ्य लाभ होगा.
  5. सावित्री मंत्र को जाप करने से आपकी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं और आपके घर की खुशी और समृद्धि बढ़ सकती है। मंत्र :- ओम नमो ब्रह्मणा सह सावित्री इहागच्छ इह तिष्ठ सुप्रतिष्ठिता भव। सत्यवत्सावित्रीप्रीत्यर्थं च वटसावित्रीव्रतमहं करिष्ये  Importance of Vat Savitri fast

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