Astro Gyaan, Astro Gyaan|Astrology Tips|Featured, Astro Gyaan|Astrology Tips|Featured|Jeevan Mantra, Astro Gyaan|Astrology Tips|Featured|Jeevan Mantra|jems and stone|Numerology|Palm Reading

हिन्दू धर्म में 4 धाम यात्रा का महत्व एवं जानिए घर बैठे किस तरह प्राप्त करे 4 धाम यात्रा के बराबर लाभ – Importance of 4 Dham Yatra

Importance of 4 Dham Yatra

हिन्दू धर्म में 4 धाम यात्रा का महत्व एवं जानिए घर बैठे किस तरह प्राप्त करे 4 धाम यात्रा के बराबर लाभ – Importance of 4 Dham Yatra

Importance of 4 Dham Yatra  गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार  जब गंगाजी ने पृथ्वी पर आने की इच्छा प्रकट की, तो धरती गंगा के प्रवाह को सहन करने में असमर्थ थी। इसलिए गंगा ने स्वयं को 12 भागों में बांटा। इन्हीं में से एक है अलकनंदा, जो बाद में भगवान विष्णु का निवास- स्थल बना और जिसे अब बद्रीनाथ के नाम से जाना जाता है, जो प्रमुख चार धामों में गिना जाता है। Importance of 4 Dham Yatra

चार धाम यात्रा का महत्व

इन चारों स्थानों पर दिव्य आत्माओं का निवास है। इन चारों ही धाम को बहुत पवित्र स्थान माना जाता है। बद्रीनाथ को जहां सृष्टि का आठवां वैकुंठ कहा जाता है। जहां भगवान विष्णु छह महीने निद्रा में रहते हैं और छह महीने जागते हैं। वहीं. केदारनाथ को भगवान शंकर के आराम करने का स्थान बताया गया है। केदारनाथ में दो पर्वत है नर और नारायण। विष्णु के 24 अवतारों मे से एक नर और नारायण ऋषि की यह तपोभूमि है। इन्हें के तप से प्रसन्न होकर केदारनाथ में शिवजी ने दर्शन दिए थे। Importance of 4 Dham Yatra

क्यों बनाए गए चार धाम
ग्रंथों के अनुसार प्राचीन तीर्थ स्थलों पर जाने से पौराणिक ज्ञान बढ़ता है। देवी-देवताओं से जुड़ी कथाएं और परंपराएं मालूम होती हैं। प्राचीन संस्कृति को जानने का मौका मिलता है। मंदिर के पंडित और आसपास रहने वाले लोगों से संपर्क होता है, जिससे अलग-अलग रीति-रिवाजों को जानने का अवसर मिलता है। भगवान और भक्ति से जुड़ी मान्यताओं की जानकारी मिलती है। जिसका लाभ दैनिक जीवन की पूजा में मिलता है। इसलिए चार धामों को अलग-अलग दिशाओं में स्थापित किया गया है। Importance of 4 Dham Yatra

किस धाम की क्या विशेषता है

बद्रीनाथ धाम

यह तीर्थ बद्रीनाथ के रूप में भगवान विष्णु को समर्पित है। ये अलकनंदा नदी के किनारे बसा है। माना जाता है इसकी स्थापना मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने की थी। इस मन्दिर में नर-नारायण की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है, जो कि अचल ज्ञान ज्योति का प्रतीक है। यहां पर श्रद्धालु तप्तकुण्ड में स्नान करते हैं। यहां पर वनतुलसी की माला, चने की कच्ची दाल, गिरी का गोला और मिश्री आदि का प्रसाद चढ़ाया जाता है। बद्रीनाथ मंदिर के कपाट अप्रैल के आखिरी या मई के शुरुआती दिनों में दर्शन के लिए खोल दिए जाते हैं। लगभग 6 महीने तक पूजा के बाद नवंबर के दूसरे सप्ताह में मंदिर के पट फिर से बंद कर दिए जाते हैं। Importance of 4 Dham Yatra

रामेश्वर धाम

रामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में समुद्र के किनारे स्थित है। जो कि भगवान शिव को समर्पित है। यहां शिवजी की पूजा लिंग रूप में की जाती है। जो कि बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर शंख आकार द्वीप है। माना जाता है कि भगवान राम ने ही इस रामेश्वरम् शिवलिंग की स्थापना की थी।

पुरी धाम

यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर में तीन मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा है। ये तीर्थ पुराणों में बताई गई 7 पवित्र पुरियों में एक है। यहां हर साल रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस आयोजन में दुनियाभर से भगवान श्रीकृष्ण के भक्त आते हैं। यहां मुख्य रूप से भात का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

द्वारिका धाम

गुजरात के पश्चिमी सिरे पर समुद्र के किनारे बसी द्वारिका पुरी को चार धामों में से एक माना गया है। ये भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित तीर्थ है। ये तीर्थ पुराणों में बताई गई मोक्ष देने वाली सात पुरियों में से एक है। माना जाता है कि इसे श्रीकृष्ण ने बसाया था। स्थानीय लोगों और कुछ ग्रंथों के अनुसार असली द्वारका तो पानी में समा गई, लेकिन कृष्ण की इस भूमि को आज भी पूज्य माना जाता है। इसलिए द्वारका धाम में श्रीकृष्ण स्वरूप का पूजन किया जाता है।

 गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार जिस प्रकार वेदों, मंत्रों में ईश्वर का वास माना जाता है, उसी तरह देश के चार प्रमुख तीर्थ धामों में भी ईश्वर की उपस्थिति मानी जाती है। यूँ तो देश के चारों कोनो में स्थित जगन्नाथ, रामेश्वरम, द्वारिका और बद्रीनाथ को चार धामों में शामिल किया गया है. लेकिन उत्तराखंड में मौजूद यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ तीर्थों को उत्तराखंड के चार धाम माना जाता है, जिनका दर्शन करने के लिए देश-दुनिया के लाखों श्रद्धालु आते हैं और उनका सुख-सौभाग्य प्राप्त करते हैं। भारतीय धर्मग्रंथों में कहा गया है कि जो लोग इन धामों के दर्शन करते हैं, उनका न सिर्फ इस जन्म का सारा पाप धुल जाता है, बल्कि वे जीवन-मरण के बंधन से भी मुक्त हो जाते हैं। कहते हैं यही वह स्थान है, जहां धरती और स्वर्ग एक हो जाते हैं।  Importance of 4 Dham Yatra

घर बैठे पूजन कर 4 धाम के बराबर मिले लाभ  Importance of 4 Dham Yatra

जो भक्त, धर्मालु किसी कारणवश चार धाम यात्रा नहीं कर सकते हैं, वे तीर्थ- विशेष के आराध्यों का आह्वान और षोडशोपचार पूजन कर, घर बैठे ही लाभान्वित हो सकते हैं। उन्हें वे सारे लाभ मिलेंगे, जो वहां पहुंचे तीर्थ यात्रियों को मिलेंगे।

गंगोत्री

महापूजन विधान सुंदर मंडप बनाएं। बीच में एक चौकी पर पीला या सफेद गोटे वाला आसन बिछाएं, चावल से अष्टदल बनाएं। अष्टदल पर गंगा यंत्र रखें या किसी पात्र में गंगाजल रखें। पंचदेव का पंचोपचार पूजन करें, ज्योति जलाएं, गणेशजी, शिवजी, दुर्गा, सूर्य और विष्णु जी का नवग्रह पूजन करें। षोडशमातृका पूजन करें। निम्न मंत्रों से गंगाजी का ध्यान करें-

पुंडरीक चिरा कृष्णेश विध्यात्मिका, कुष्टा भय तोया विस्ताराकृता शशिशेखरखिल नदीदिति सेविता, ध्येय करना भाग सा ॐ इमं मे गंगेची हयमेधा मुदय रचामवस्युराचके, अक्षय करे देवि चंद्रचूड़ प्रियेनथे।

निजरूप समासाद्य यागच्छम आह्वान करें अक्षत चढ़ाते जाए- ऊं रुद्राय नमः, ॐ हरये नमः, ॐ ब्रह्मणे नमः, ॐ सूर्याय नमः, ऊँ हिमाचलाय नमः, ऊँ मैनाय नमः, ॐ भागीरथाय नमः, ऊँ अपापतये नमः ॐ नंदिन्यै नमः, ॐ नलिन्यै नमः, ॐ जानव्यै नमः, ऊ मालत्यै नमः, ॐ मलापहन्त्र्यै नमः, ॐ विष्णु पादान्ज से भूत्यै नमः, ॐ त्रिपथगामिन्यै नमः, ॐ भगीरथ्यै नमः, ॐ मीनाय नमः, ऊँ कुमार्य नमः, ॐ मंडूकाय नमः, ॐ मकराय नमः ॐ हंसाय नमः, ऊँ कारंडाय नमः, कं चक्रवाजकाय नमः, ॐ सारसाय नमः, ऊं भविमादि अष्टगंगापुत्रेभ्यो नमः । और इसके बाद षोडशोपचार पूजन करें। Importance of 4 Dham Yatra

यमुनोत्री

महापूजन विधान पूर्व में पूजन की सभी तैयारी ठीक उसी तरह, जैसे गंगोत्री के लिए की गई। उसके बाद निम्न मंत्रों से यमुनाजी का ध्यान करें- ऊं श्यामाम्भोज नेत्रां सघनघन रुचि रत्नमंजीर कूजकांचीकेयूर युक्ता, कनक मणि मये

विति कुडले । भाचील नील वस्त्रा स्फुर दमल चलद्धारभारा मनोहां, ध्याये मार्तंड पुत्री तकिरण चोदीप्तदीपभिराममाऊं में मंडुकादि परतत्वात पीठ देवताभ्यो नमः, ॐ नमो भगवत्यै कलिन्द नदिन्यै सूर्यकन्यायै यम भगिन्यै, श्री कृष्ण प्रियायै यूथी भूतायें पद्म पीठाय नमः। आह्नान करें अक्षत चढाते जाएं- ऊ जाह्नव्यै नमः ॐ विरजायै नमः, ॐ कृष्णायै नमः, ऊ चंद्रभागायै नमः ॐ सरस्वत्यै नमः ॐ गोमत्ये नमः, ॐ कौशिक्ये नमः ॐ देण्ये नमः, ऊं सिंघवे नमः ॐ गोदावर्ये नमः ॐ वेदस्मृत्ये नमः। Importance of 4 Dham Yatra

केदारनाथ

महापूजन विधान पूर्व में पूजन की सभी तैयारी ठीक उसी तरह, जैसे गंगोत्री के लिए की गई। उसके बाद श्री केदारनाथ ज्योतिर्लिंग स्वरूप में घर के मंदिर में ध्यान मंत्र और आवाहन के साथ पूजन प्रारंभ करें। शुद्ध-साफ आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठें। पूजा सामग्री पास रखें। शमी या पीपल के पेड़ की जड़ या शुद्ध जगह से ली गई मिट्टी लें। भस्म लगाकर रुद्राक्ष की माला पहनें। प्राणायाम करें।

दीप जलाएं, संकल्प करें- भूमि प्रार्थना करें- ॐ हां पृथिव्यै नमः। गंगाजल द्वारा थोड़ी सी मिट्टी का शिवलिंग बनाएं- ॐ महेश्वराय नमः। मिट्टी की छोटी सी गोली बनाकर लिंग के ऊपर रखें। यह कह कहलाता है। कांस्य पात्र में बिल्व पत्र रखकर, निम्न मंत्र के साथ लिंग स्थापित करें- ॐ शूलपाणये नमः हे केदारेश्वर शिवः इह प्रतिष्ठितो भवः ।

ध्यान करें ऊं नमः शिवाय, ही ऊं नमः शिवाय हीं. ॐ महादेवाय हूं, ऊं नमो नीलकंठाय ऊं ही ग्लो नमः शिवाय ॐ नमो भगवते महारुद्राया 

आह्वान मंत्र: ॐ तत्पुरुषाय विद्वहे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात् समयसि ॐ महादिपाच तटे रमत सम्पूज्य मान सतत मुनीद /सुरा सुरेश महोरगाये केदार मीठ शिव मेकमीडेन समयानि पुष्य समयम Importance of 4 Dham Yatra

बद्रीनाथ

महापूजन विधान :- मंत्र के साथ घर के मंदिर में भगवान विष्णु बदरी का ध्यान करें। आह्वान करें। विष्णु-लक्ष्मी-कुबेर सहित श्री विग्रह को चौकी पर पीला आसन बिछा कर स्थापित करें। मंडप बनाएं। स्वस्तिवाचन, मंगलपाठ करें। पंचदेव पूजन करें। दाई ओर दीप जलाएं, बाई ओर कलश स्थापित करें। गणेशजी, सूर्य, शिव, अग्नि, अंबा, नवग्रह पूजन करें, श्री गंगा-यमुनाजी का पूजन करें, श्री केदारनाथजी का षोडश मातृका पूजन करें।

ध्यान मंत्र: विष्णु शरदचंद कोटिसदृशं ख स्थांग गछा सम्भोजम् दधतं सिता लिय कांत्या जगन्मोहनम् आवागढ़ हार कुंडल महामौलि स्फुरतकंकणम् श्रीवत्साकमुदार- कौस्तुभधरं वदे मुनीदेः स्तुतमा

आह्वान मंत्र गोलोक धमाधिपते रमापते / दामोदर विष्णु दीनवत्सल / राधापते माधव सात्वता पते / सिहासने अस्मिन मम सम्मुखे भव: /श्री बद्री विशाल  भगवन आह्वान समर्पयामि और षोडशोपचार  पूजन करें। Importance of 4 Dham Yatra

 

Connect our all social media platforms:- Click Here

Related Posts