गुरु विचार
Guru Vichar गुरु गृह विहानो का प्रीतिक है समाज में शिक्षक, प्राघ्यापक , प्रवचनकार , साधू सन्यासीयो पर गुरु का प्रभाव अधिक होता है | गुरु का अर्थ है गु = अज्ञान रु = नाशक यानि अज्ञान का नाशक | अज्ञानरूप , अंधकार ,अज्ञानता गुरु के उपदेश से या उनके सनिह्य से ज्ञानरूपता यानि प्रकाश में विलिन हो जाता है यानि के अज्ञान की समाप्ति और ज्ञान की प्राप्ति गुरु के बिना संभव ही नही है ज्ञान के स्वामित्व के कारण ही गुरु को दोनों का मंत्री कहा गया है | गुरु का वूर्ण पिल्ला गोरा है | गुरु के अधिकार के व्यक्ति धन संपदा का संचय नही करते तथा न ही उसकी फ़िक्र करते है | कांसे धातु पर गुरु का अधिकार माना गया है | गुरु को ईशान कोण का अधिपत्य है | गुरु के अधिपत्य वाले व्यक्तियों का शरीर मोटा सुद्रढ़ वूर्ण पिला गोरा होता है | कुंडली में गुरु बलवान हो तो व्यक्ति विहान ,बुद्धिमान,लेखक , व्यवहार से उदाजित , दुसरो की परवाह न करने वाला खुद तकलीफ सहकर भी दुसरो की तकनीकी दूर करने वाला होता है | सामाजिक कार्यो में ध्यान देने वाला होता है |कानून का जानकर व अगिनत भाषाओ को जानने वाला होता है | रुपया , पैसा , कपडे , खाने -पिने के मामले में बेफिक्र होते है | गुरु अगर 1,3,5,7,9,11, में हो तो गुरु से ही खुद का व्यवसाय करता है | कुंडली में गुरु अगर स्त्री राशी 2,4,6,8,10,12,में हो तो गुरु में नोकरी करता है लेकिन बाद में स्वयं का व्यापर करता है | किन्तु दशम स्थान का गुर जीवनभर नोकरी ही करता है | guru vichar
सामान्यत : मेष , मिथुन , सिंह , धनु , और मीन राशियो में गुरु उतम फल देता है | तुला , वृश्चिक , मकर व कुम्भ में मध्यम फल मिलता है तथा वृषभ , कन्या और कर्क में अशुभ फल मिलता है | गुरु धनु और मीन राशी का स्वामी है |
गुर के सूर्य , चंद्र , मंगल मित्र है , बुध , शुक्र शत्रु है | गुरु की 5,7,9 हिन्ट होती है | अंक 3 का स्वामी गुरु है |गुरु मुख्य रूप से ज्ञान , शुख , धन व अनुशासन का अधिष्ठता है | गुरु के प्रभाव वश व्यक्ति अनुशासन में रहता है व दुसरो से भी अपेक्षा रखता है | मह्त्वकंसी होते है | सामाजिक राजनेतिक ,धार्मिक तथा अघ्ययन में विशेष हानि होती है | अशुभ गुर के प्रभाववश वाले कवी धनाभाव , संतान पीड़ा , अज्ञानता , अनेतिकता तथा अनुशासनहीनता के कारण व्यक्ति कष्ट पाता है| अशुभ गुरु के प्रभाववश कफ ,जिगर के रोग , जलोदर , पाचन क्रिया के रोग तथा वसा यानि fat से उत्पन रोग होने के chance ज्यादा होते है | guru vichar
Guru Vichar ( गुरु की महादशा )
गुरु की महादशा 16 साल की होती है | गुरु जब चंद्रमा से दुसरे, पाचवे , सातवे , नवमे व ग्यार्वे भाव में भ्रमण करता है तो भ्रम परिणाम देता है अगर कोई किसी गुरु गृह के दोष से पीड़ित है अथवा गुरु की महादशा से गुजर रहा हो तो एसे जातक विष्णु भगवन की पूजा आराधना करनी चाहिए , पीपल की पूजा करे , गुरु यंत्र पेंडेंट धारण करे | 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करे , पिली वस्तुओ का दान करे , पुखराज धारण करे | भोजन में केसर का प्रयोग करे | नाभि पर केसर लगये केसर का तिलक करे | मंदिर में सेवा करे , श्री यन्त्र की पूजा करे , केले का व्रक्ष लगाये | guru vichar
Note: Daily, Weekly, Monthly and Annual Horoscope is being provided by Pandit N.M.Shrimali Ji, almost free. To know daily, weekly, monthly and annual horoscopes and end your problems related to your life click on (Kundli Vichleshan) or contact Pandit NM Shrimali Whatsapp No. 9929391753, E-Mail- [email protected]