जानिए गणेश चतुर्थी का महत्व ,पूजन विधि एवं उपाय – Ganesh Chaturthi.

Ganesh Chaturthi. गुरु माँ  निधि जी श्रीमाली ने बताया है  की सनातन धर्म में भगवान गणेश की उपासना का विशेष महत्व है। भगवान गणेश की उपासना प्रथम देवता के रूप में की जाती है। बता दें कि प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा को गाजे-बाजे के साथ भगवान गणेश को घर लाया है और विधिवत उपासना की जाती है। गुरु माँ  निधि जी श्रीमाली के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से साधक को सुख, समृद्धि, बल एवं बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। Ganesh Chaturthi.

गणेश चतुर्थी तिथि 2023  

गुरु माँ  निधि जी श्रीमाली के अनुसार 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से चतुर्थी तिथि  आरंभ हो रही है, जो अगले दिन यानी 19 सितंबर को 1 बजकर 42 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसलिए उदयातिथि को आधार मानकर गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनाई जाएगी और इस दिन से ही गणेशउत्सव की शुरुआत हो जाएगी। गणेश प्रतिमा की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 7 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक है.  Ganesh Chaturthi.

बन रहे हैं 2 शुभ योग

गुरु माँ  निधि जी श्रीमाली  के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं। जिसमें इस दिन वैधृति योग बन रहा है और दूसरा दोपहर 1 बजकर 48 मिनट तक स्वाति नक्षत्र रहेगा फिर उसके बाद विशाखा नक्षत्र शुरू होगा, जो देर रात तक रहेगा। इन योगों को ज्योतिष में विशेष माना जाता है। साथ ही इन योगों में पूजा करने का दोगुना फल प्राप्त होता है। Ganesh Chaturthi.

गणेश चतुर्थी का महत्व 

गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेशजी को समर्पित होता है। इस दिन घर-घर में गणेशजी बैठाए जाते हैं। घरों के अलावा जगह-जगह पर पंडाल सजाए जाते हैं। इसके बाद 11 वें दिन अनन्त चतुर्दशी के दिन बप्‍पा को पूरे गाजे-बाजे के साथ विदा कर दिया जाता है। यानी मूर्ति विसर्जन कर दिया जाता है। गणेश भगवान को विदाई देने के साथ ही भक्त अगले साल उनके जल्दी आने की कामना करते हैं। । मान्यता है जो भी व्यक्ति सच्चे मन से बप्पा की पूजा- अर्चना करता है, उनके सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है उनके पूजन से घर में सुख समृद्धि और वृद्धि आती है Ganesh Chaturthi.

गणेश चतुर्थी कथा 

गुरु माँ  निधि जी श्रीमाली के अनुसार एक बार महादेव जी भोगावती नदी पर स्नान करने गए उनके चले जाने के बाद पार्वती माता ने अपने तन की मेल से एक पुतला बनाया और उसमें प्राण डाले। उसका नाम ‘गणेश’ रखा। पार्वती माता ने उससे कहा कि एक मुगदल लेकर द्वार पर बैठ जाओ और जब तक मैं नहा रही हूं किसी को अंदर मत आने देना।

भोगावती पर से स्नान करने के बाद जब भगवान शिव जी आए तो गणेश जी ने उन्हें द्वार पर ही रोक लिया शिवजी ने बहुत समझाया पर गणेश जी नहीं माने। इसको शिव जी ने अपना अपमान समझकर उस पर क्रोध किया और त्रिशूल से उसका सिर धड़ से अलग कर के भीतर चले गए। जब माता पार्वती को पता चला कि शिव जी ने गणेश जी का सिर काट दिया है तो वे बहुत कुपित हुई।

गणेश जी के मूर्छित होने से पार्वती माता अत्यंत दुखी हुई और उन्होंने अन्न, जल का त्याग कर दिया। पार्वती जी की नाराजगी दूर करने के लिए शिव जी ने गणेश जी के हाथी का मस्तक लगाकर जीवनदान दिया। तब देवताओं ने गणेश जी को तमाम शक्तियां प्रदान की और प्रथम पूज्य बनाया। यह घटना भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुई थी इसलिए यह तिथि पुण्य पर्व ‘गणेश चतुर्थी’ के रूप में मनाई जाती है।

मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन व्रत पालन कर गणेश चतुर्थी व्रत कथा को सुनने अथवा पढ़ने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन मे कष्टों का निवारण होता है। गणेश चतुर्थी व्रत कथा व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली और जीवन में सुख समृद्धि लाने वाली बताई गई है। Ganesh Chaturthi.

 गणेश चतुर्थी पूजन विधि 

गणेश चतुर्थी के दिन सबसे पहले आप सूर्य उदय होने से पहले नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। अब पूजा का संकल्प लेते हुए भगवान श्री गणेश का स्मरण करते हुए अपने कुलदेवता का मनन करें। अब पूजा स्थल के स्थान पर पूर्व की दिशा में मुंह करके आसन पर बैठ जाए। अब एक चौकी पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाकर उसके ऊपर एक थाली में चंदन, कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। थाली पर बने स्वास्तिक के निशान के ऊपर भगवान श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करते हुए पूजा शुरू करें। पूजा करने के बाद इस मंत्र का जाप करें। गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥ Ganesh Chaturthi.

 भगवान श्री गणेश का आवाहन करते हुए चौकी पर रखें प्रतिमा के सामने ऊं गं गणपतये नम: का मंत्र का जाप करते हुए जल डालें। अब गणेश जी को हल्दी, चावल, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, दूर्वा,जनेऊ, मिठाई, मोदक, फल, माला और फूल अर्पित करें। अब भगवान श्री गणेश के साथ-साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी पूजा करें। पूजा में धूप दीप करते हुए सभी की आरती करें। आरती करने के बाद 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। जिसमें से 5 लड्डू भगवान श्री गणेश की मूर्ति के पास रखें। बाकी लड्डू को ब्राह्मण और अन्य लोगों को प्रसाद के रूप में दें वितरण कर दें। पूजा के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद लें। पूजा करने के बाद इस मंत्र का जाप जरूर करें। Ganesh Chaturthi.

गणेश चतुर्थी पूजा में इन बातों का रखें ध्यान

  • गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा में भूलकर भी गणेश जी को तुलसी दल अर्पित ना करें.
  • गणेश पूजा के समय पीले या सफेद वस्त्र ही धारण करें. काले रंग का कपड़ा भूलकर भी ना पहनें
  • घर में गणेश जी की बहुत बड़े आकार की प्रतिमा न स्थापित करें.
  • नदी की मिट्टी से बनी गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित करना काफी शुभ माना जाता है.
  • इस दिन चन्द्रमा को अर्घ्य दिए बिना गणेश चतुर्थी व्रत का समापन न करें परंतु इस बात का ध्यान भी रखें कि आज के दिन चंद्रदर्शन वर्जित होता है. Ganesh Chaturthi.

गुरु माँ  निधि जी श्रीमाली  के अनुसार बताये गए गणेश चतुर्थी के उपाय 

  1. गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को पूजन में घी और गुड़ का भोग लगाएं और पूजा में लाल वस्त्र और लाल चंदन का भी प्रयोग करें। फिर 17 बार दूर्वा अर्पित करते समय ॐ गं गणपतये नमो नमः मंत्र का जप करें। इसके बाद गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। पूजा करने के बाद घी और गुड़ गाय को खिला दें और गरीब व जरूरतमंद को दान करें। ऐसा करने से धन संबंधित समस्या दूर होगी और आपकी हर समस्या का हल निकल आएगा।
  2. गणेश चतुर्थी पर शिव चतुर्थी का संयोग भी बना हुआ है इसलिए इस दिन भगवान गणेश के साथ भगवान शिव की भी पूजा अर्चना करें। भगवान गणेश को दोपहर के समय गेंदे के फूल, मोदक, सिंदूर, 11 दूर्वा और गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें। फिर प्रदोष काल में पास के शिवालय में जाकर शिवलिंग की पूजा अर्चना करें। ऐसा करने से आपके हर कार्य सिद्ध होते हैं और नौकरी व व्यवसाय में उन्नति के योग बनते हैं।
  3. गणेश चतुर्थी के दिन महिलाएं गुड़, घी, नमक, दूर्वा, पूआ आदि चीजों को पहले सास ससुर या माता को दें। वहीं पुरुष इन चीजों को पहले गणेशजी को अर्पित करें। ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होगी और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होगा। साथ ही पारिवारिक जीवन अच्छा रहेगा और सभी कष्ट धीरे धीरे दूर होंगे।
  4. गणेश चतुर्थी को हाथी का हरा चारा खिलाएं। गणेश मंदिर जाकर अपनी परेशानियों के लिए प्रार्थना करें।
  5. गणेश चतुर्थी के दिन दूर्वा की 11 गांठ बना लें और फिर उनको भगवान गणेश के माथे से लगाकर चरणों में अर्पित कर दें। इसके बाद गणेशजी को गंध, दीप, फूल, धूप, मिष्ठान आदि चीजें अर्पित करें और गणेश चालीसा का सुबह शाम पाठ करें। यह प्रक्रिया आप अनंत चतुर्दशी तक करते रहें। ऐसा करने से धन संबंधित समस्याओं से मुक्ति मिलती है और भगवान गणेश सभी विघ्नों को दूर करते हैं। Ganesh Chaturthi.

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