देवशयनी एकादशी :- जानिए कब से कब तक नहीं होंगे शुभ कार्य – Devshayani Ekadashi
Devshayani Ekadashi गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की हिंदू धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व हैं। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है जो देवउठानी एकादशी तक चार महीने तक चलते हैं. चातुर्मास यानी श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक इन चार महीनों में भगवान विष्णु शयनकाल में होते हैं. चातुर्मास सामान्यतया 4 महीने का होता है, लेकिन इस साल अधिक मास होने के कारण चातुर्मास 5 महीने का होगा। देवशयनी एकादशी 29 जून को है। Devshayani Ekadashi
चातुर्मास का महत्व
देवशयनी एकादशी से सभी देवता 4 माह के लिए सो जाते हैं और इस दौरान की अवधि चातुर्मास कहा जाता है। इस दिन से भगवान विष्णु देवोत्थानी एकादशी तक के योग निद्रा में चले जाएंगे। फिर वे देवउठनी एकादशी को योग निद्रा से बाहर आएंगे, तब चातुर्मास का समापन होगा। देवउठनी एकादशी 23 नवंबर को है। इस तरह से चातुर्मास 29 जून से लगेगा और 23 नवंबर को खत्म हो जाएगा। चातुर्मास को सनातन धर्म के अनुयायी बहुत अधिक मानते हैं। जैन धर्म के लिए भी यह 4 महीने बहुत बहुत अधिक महत्व रखते है। Devshayani Ekadashi
चातुर्मास इस बार 5 महीने का क्यों है ?
इस साल यह 5 महीने का होगा, जिसकी शुरुआत 29 जून से हो रही है। वहीं इसका समापन 23 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन होगा। ऐसे में इस इस बार भगवान विष्णु 5 महीने तक योग निद्रा में रहेंगे। इस साल सावन के महीने में अधिक मास लग रहा है, इसलिए सावन एक नहीं बल्कि दो महीने का हो जाएगा। इस प्रकार चातुर्मास का भी एक महीना बढ़कर पांच महीने का हो जाएगा। Devshayani Ekadashi
चातुर्मास के दौरान शुभ कार्यो की मनाही
चातुर्मास में सूर्य दक्षिणायन में विराजमान होते हैं। साथ ही भगवान विष्णु शयन अवस्था में होते हैं। ऐसे में इस अवधि में किए गए मांगलिक कार्यों पर भगवान विष्णु का कृपा नहीं बरसती है। इसलिए इस इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। चातुर्मास के दौरान पूजा पाठ और अनुष्ठान करने का विशेष महत्व होता है। गुरु माँ निधि श्रीमाली जी के अनुसार शादी-विवाह, मुंडन, जनेऊ, गृह प्रवेश, नया वाहन खरीदना, नई प्रोपर्टी खरीदना या फिर नया बिजनेस शुरू करने जैसा कोई शुभ काम नहीं किए जाते हैं। Devshayani Ekadashi
चातुर्मास के दौरान न करें ये काम
- चातुर्मास के दौरान किसी भी तरह का मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है। इसमें शादी-विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण सहित 16 संस्कार शामिल है।
- चातुर्मास के दौरान में तामसिक और राजसिक भोजन करने की मनाही होती है। क्योंकि इन चार मास में भगवान की आराधना करना सबसे अच्छा माना जाता है।
- चातुर्मास के दौरान नीले या फिर काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए। इन मास में हरा, लाल, पीले आदि रंग के वस्त्रों को पहनना शुभ होता है।
- चातुर्मास में किसी भी तरह की यात्रा करने से बचना चाहिए। अगर बेहद जरूरी न है, तो बिल्कुल यात्रा म करें।
- चातुर्मास में पड़ने वाले अश्विन मास में दूध से संबंधी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।
- चातुर्मास के चौथे माह यानी कार्तिक मास में प्याज, लहसुन, दाल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। Devshayani Ekadashi
चातुर्मास के दौरान मनाये जाने वाले व्रत त्यौहार
चातुर्मास के दौरान कई प्रमुख व्रत-त्योहार पड़ते हैं, जिसमें सावन सोमवार, रक्षाबंधन, नागपंचमी, गणेशोत्सव, पितृ पक्ष, नवरात्रि, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधाष्टमी, अनंत चतुर्दशी, कजरी तीज, हरतालिका तीज, ऋषि पंचमी, परिवर्तिनी एकादशी, अनंत चतुर्दशी, गणेश विसर्जन आदि कई मासिक त्योहार भी शामिल हैं Devshayani Ekadashi
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली द्वारा बताये गए चातुर्मास के दौरान किये जाने वाले कुछ उपाय Devshayani Ekadashi
- चातुर्मास में तुलसी की माला से रोजाना दिए गये मंत्र का जाप करने से लाभ मिलता हैं ! मन्त्र : “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” ।
- चातुर्मास में गायों की देखभाल करने और उनके लिए खाने की चीजों का दान करने से देवी देवता अति प्रसन्न होते हैं और उनपर अपनी कृपा बरसाते हैं. भक्तों के जीवन में खुशहाली आती है.
- चातुर्मास के दौरान गरीब और जरूरतमंद लोगों को खाने की वस्तुओं के साथ-साथ चप्पल, छाते, कपड़े आदि दान करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं
- चातुर्मास के समय में भगवान शिव और श्रीहरि विष्णु की पूजा करनी चाहिए. इस दौरान आप विष्णु सहस्रनाम और शिव चालीसा का पाठकरे
- चातुर्मास के दौरान पवित्र नदी में स्नान करे और पूजा पाठ करे Devshayani Ekadashi
Connect our all social media platforms::- Click Here