भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व , मुहूर्त , पूजन विधि एवं उपाय – Bhadrapada Purnima
Bhadrapada Purnima गुरु माँ निधि जी श्रीमाली ने बताया है की पूर्णिमा तिथि का हिंदू धर्म में अधिक महत्व है। भाद्रपद मास की पूर्णिमा से ही श्राद्ध पक्ष आरंभ हो जाता है। इसलिए भाद्रपद ही पूर्णिमा और भी ज्यादा महत्वपूर्ण रहती है। ऐसी मान्यता है कि ,भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। भाद्रपद पूर्णिमा तिथि के साथ ही पितृपक्ष आरंभ हो रहा है Bhadrapada Purnima
भाद्रपद पूर्णिमा 2023 मुहूर्त
भाद्रपद पूर्णिमा तिथि की शुरुआत-28 सितंबर 2023 को शाम 06 बजकर 49 मिनट से शुरू.
भाद्रपद पूर्णिमा तिथि का समापन-29 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 26 मिनट पर.
स्नान-दान मुहूर्त
सुबह 04.36 – सुबह 05.25 पर
सत्यनारायण पूजा
सुबह 06.13 -सुबह 10.42 पर
चंद्रोदय समय
शाम 06.18 Bhadrapada Purnima
भाद्रपद पूर्णिमा महत्व
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार कलयुग में सत्यनारायण देव की उपासना से व्यक्ति को धन और सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है. भाद्रपद पूर्णिमा पर व्रत कर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने या सुनने से इंसान मोक्ष को प्राप्त करता है. व्यक्ति समस्त भौतिक सुखों को प्राप्त कर बैकुंठ लोक में जाता है. नारायण पुराण के अनुसार भाद्रपद पूर्णिमा पर उमा-महेश्वर का व्रत भी किया जाता है. इस दिन मां पार्वती और भोलेनाथ की उपासना करने से कई जन्मों के पाप और दोष का नाश होता है. Bhadrapada Purnima
भाद्रपद पूर्णिमा पर बन रहे 5 शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग – अमृत सिद्धि योग – 29 सितंबर 2023 की रात 11 बजकर 18 मिनट से लेकर 30 सितंबर 2023 की सुबह 06 बजकर 13 मिनट तक
वृद्धि योग – 28 सितंबर 2023 की रात 11 बजकर 55 मिनट से 29 सितंबर 2023 की रात 08 बजकर 03 मिनट पर
ध्रुव योग – 29 सितंबर 2023 की रात 08 बजकर 03 मिनट से 30 सितंबर 2023 की शाम 04 बजकर 27 मिनट पर
अमृत सिद्धि योग – 29 सितंबर 2023 की रात 11 बजकर 18 मिनट से 30 सितंबर 2023 की सुबह 06 बजकर 13 मिनट पर
शुक्रवार – शुक्रवार और पूर्णिमा दोनों मां लक्ष्मी को प्रिय है, ऐसे में धन प्राप्ति के लिए इस दिन को पुण्यफलदायी माना जा रहा है. Bhadrapada Purnima
पूर्णिमा व्रत पूजा विधि
इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें. अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें. सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें. पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है. इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें. भगवान सत्यनारायण की विधिविधान पूर्वक पूजा-अर्चना कर कथा सुनें. भगवान सत्यनारायण को पंजीरी, पंचामृत और चूरमें का भोग लगाएं. इसके बाद प्रसाद अपने आसपास के लोगों में वितरित करें. पूर्णिमा के दिन जरूरतमंदों को अपनी समर्थ अनुसार दान जरूर करें.
भाद्रपद पूर्णिमा की कथा
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार वृत्रासुर के वध के बाद सभी राक्षस डरकर समुद्र में जाकर छुप गए। ऐसे में देवताओं के लिए इन्हें मार पाना कठिन हो गया। राक्षस रात को जल से निकलकर ऋषि मुनियों को खा जाया करते थे। ऐसे में देवताओं ने भगवान विष्णु के निर्देश पर अगस्त्य मुनि से सहायता मांगी। अगस्त मुनि ने अंजुली में समुद्र का सारा जल लिय और उसे पूरा पी गए। इससे जल में छुपे राक्षस दिखने लगे और देवताओं ने उन्हें मार डाला।इसके बाद जल में रहने वाले जीव व्याकुल हो उठे।
देवताओं ने कहा कि भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को पितृपक्ष आरंभ होने से पहले सभी आपको जल देंगे। आपने जो अपने पेट में समुद्र को रखा हुआ है उसे मुक्त कर दीजिए। अगस्त मुनि ने समुद्र को मुक्त कर दिया। और इसके बाद से अगस्त मुनि के नाम से भाद्र शुक्ल पूर्णिमा के दिन अगस्त मुनि और उनकी पत्नी लोपामुद्रा के साथ अन्य ऋषियों के नाम से तर्पण किया जाता है और जल दिया जाता है। ऋषि तर्पण के बाद अगले दिन यानी आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से श्राद्ध पक्ष आरंभ होता है Bhadrapada Purnima
गुरु माँ निधि जी श्रीमाली के अनुसार पूर्णिमा के उपाय
- पूर्णिमा तिथि के दिन पितरों की आत्म की शांति के दिन यानी 29 सितंबर को एक कटोरी ले और उसमें गंगा जल अपने हाथ में लेकर 5 से 7 बार पितरों का नाम लेते हुए थोड़ दें। इसके बाद थोड़ा मनन करें और फिर इस जल को किसी पौधे में डाल दें या फिर घर में छिड़क दें।
- माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए पू्र्णिमा के दिन माता को लाल रंग के पुष्प और इत्र चढ़ाए। साथ ही श्री सूक्तम स्तोत्र या फिर कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
- इस दिन अपने पितरों के नाम से किसी ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को धान दें।
- घर में परिवार के सदस्यों के मध्य लड़ाई झगड़ा होता है तो सावन पूर्णिमा तिथि के दिन स्नान आदि के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके पश्चात सफेद चंदन का तिलक माथे पर लगाएं।
- भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी की साथ में पूजा करने से साधक को जीवन में आ रही सभी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है। Bhadrapada Purnima
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