इस दुनिया मे बारह ज्योतिर्लिंग है और बारह ही राशियां
12 Jyotirling
पंडित एन एम श्रीमाली जी के अनुसार आदि देव भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग हैं तथा सम्पूर्ण आकाश भी 12 राशियों में विभाजित है जिसके स्वामी 9 ग्रह हैं। इन्ही आधार पर इन ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है। आपकी कुंडली के 12 भाव में से प्रत्येक भाव में एक राशि उदित होती है। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग विशेष की पूजा एक विशेष राशि जिस भाव में उदित हो रही है उसके अनुसार करने से अच्छे परिणाम देती है। साथ ही उस राशि में जो ग्रह उच्च या नीच का हो होता है उस ग्रह के अशुभ प्रभाव मिल रहे हैं तो तत्सम्बन्धित राशि के ज्योतिर्लिंग की पूजा से मुक्ति पा सकते हो। अपनी लग्न और राशि अनुसार इन ज्योतिर्लिंगों की पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है या यहाँ तक कि किसी अशुभ ग्रह की दशा में भी उससे सम्बन्धित राशि के लिंग का दर्शन बहुत लाभकारी होता है देवाधिदेव महादेव ही सर्वशक्तिमान हैं. उनकी पूजा का विशेष महत्व है. भगवान भोलेनाथ ऐसे देव हैं जो थोड़ी सी पूजा से भी प्रसन्न हो जाते हैं. संहारक के तौर पर पूज्य भगवान शंकर बड़े दयालु हैं. उनके अभिषेक से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसी प्रकार विभिन्न राशि के व्यक्तियों के लिए शास्त्र अलग-अलग ज्योर्तिलिंगों की पूजा का महत्व बताया गया है. भगवान शंकर के पृथ्वी पर 12 ज्योर्तिलिंग हैं. भगवान शिव के सभी ज्योतिर्लिंगों को अपना अलग महत्व है. शास्त्रों के अनुसार भगवान शंकर के ये सभी ज्योजिर्लिंग प्राणियों को मृत्युलोक के दु:खों से मुक्ति दिलाने में काफी मददगार है 12 Jyotirling
इन सभी ज्योर्तिलिंगों को 12 राशियों से भी जोड़कर देखा जाता है.
पंडित एन एम श्रीमाली जी बतलाते है की किस राशि के व्यक्ति को किस ज्योर्तिलिंग पर पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है.
मेष राशि – सोमनाथ ज्योतिर्लिंग 
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित, यह मंदिर इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। ऋग्वेद में इसका वर्णन मिलता है और कहा जाता है की स्वयं चंद्रदेव ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। शिवपुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी।
मेष राशि वालों को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के सोमनाथ देव की पूजा पंचामृत से करनी चाहिए. गंगाजल, दूध, दही, शहद व घी को मिलाकर पंचामृत का निर्माण किया जाता है. शिव परिवार को पंचामृत अर्पण करने का भी विशेष महत्व है. सोमवार के दिन शिव की पंचामृत पूजा हर मनौती को पूरा करने वाली मानी गई है. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र (काठियावाड़) के वेरावल बंदरगाह में स्थित है जिसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था. इस मंदिर में सोमनाथ देव की पूजा पंचामृत से की जाती है. कहा जाता है कि जब चंद्रमा को शिव ने शाप मुक्त किया तो उन्होंने जिस विधि से साकार शिव की पूजा की थी उसी विधि से आज भी सोमनाथ की पूजा होती है. सोमनाथ मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक व पर्यटन स्थलों में एक है. लोककथाओं के अनुसार यहीं श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था 12 Jyotirling
वृष राशि – मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग 
वृष राशि के व्यक्तियों को मल्लिकार्जुन का ध्यान करते हुए ओम नमः शिवायः मंत्र का जप करते हुए कच्चे दूध, दही, श्वेत पुष्प के साथ मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करना चाहिए. भगवान शिव के प्रकाशमय स्वरूप का मानसिक ध्यान करना चाहिए. ताम्बे के पात्र में दूध भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें, ॐ श्री कामधेनवे नमः का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें, पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवायः का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें, शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें. अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नमरू मंत्र का जाप करे. श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ऐसा तीर्थ है, जहां शिव और शक्ति की आराधना से देव और दानव दोनों को सुफल प्राप्त हुए. शास्त्रों में बताया गया है कि श्री शैल शिखर के दर्शन मात्र से मनुष्य सब कष्ट दूर हो जाते हैं और अपार सुख प्राप्त कर जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है. भगवान शिव का यह पवित्र मंदिर नल्लामलाई की आकर्षक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है. 12 Jyotirling
मिथुन राशि – महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग 
मिथुन राशि वाले जातक को महाकालेश्वर का ध्यान करते हुए ‘ओम नमो भगवते रूद्राय ’ मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए. हरे फलों का रस, मूंग, बेलपत्र आदि से उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. महाकालेश्वर कालों के काल हैं. इनकी पूजा करने वाले को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. इस राशि में जन्म लेने वाले व्यक्ति को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन एवं पूजा करनी चाहिए. महाकालेश्वर के शिवलिंग को दूध में शहद मिलाकर स्नान कराएं और बिल्व पत्र एवं शमी के पत्ते चढ़ायें. शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें. महाकालेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है जो कि क्षिप्रा नदी के किनारे बसा है. स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर मंदिर की अत्यन्त पुण्यदायी महात्मय है. मराठों के शासनकाल में यहां दो महत्वपूर्ण घटनाएं घटी, पहली महाकालेश्वर मंदिर का पुर्निनिर्माण और ज्योतिर्लिंग की पुनर्प्रतिष्ठा तथा दूसरी सिंहस्थ पर्व स्नान की स्थापना. इसके बाद राजा भोज ने इस मंदिर का विस्तार करवाया 12 Jyotirling
कर्क राशि – ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग 
कर्क राशि वाले जातकों को ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. मध्य प्रदेश में नर्मदा तट पर बसा ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का संबंध कर्क राशि से है. इस राशि वाले महाशिवरात्रि के दिन शिव के इसी रूप की पूजा करें. ओंकारेश्वर का ध्यान करते हुए शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं. इसके बाद अपामार्ग और विल्वपत्र चढ़ाएं. श्री ओंकारेश्वर मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में जिले में स्थित है. यह नर्मदा नदी के बीच मन्धाता व शिवपुरी नामक द्वीप पर स्थित है. यह भगवान शिव के बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक है. यह यहां के मोरटक्का गांव से लगभग 12 मील (20 किमी) दूर बसा है. यह द्वीप हिन्दू पवित्र चिन्ह ॐ के आकार में बना है. यहां दो मंदिर स्थित हैं – 1. ओम्कारेश्वर 2. अमरेश्वर. श्री ओम्कारेश्वर का निर्माण नर्मदा नदी से स्वतः ही हुआ है. 12 Jyotirling
सिंह राशि – वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग 
सिंह राशि के जातकों को बाबा वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. ऐसे जातक कारोबार, परिवार, राजनीति या स्वास्थ्य को लेकर परेशान हैं तो उन्हे महाशिवरात्रि में शिवलिंग को जल में दूध, दही, गंगाजल व मिश्री मिलाकर ॐ जटाधराय नमः मंत्र का जाप करते हुए अभिषेक करना चाहिए. झारखण्ड के देवघर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल बैद्यनाथ धाम भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंग में से नौवां ज्योतिर्लिंग है. यह ज्योतिर्लिंग सर्वाधिक महिमामंडित है.यूं तो यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं लेकिन सावन में यहां भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है. सावन में यहां प्रतिदिन करीब एक लाख भक्त ज्योतिर्लिग पर जलाभिषेक करते हैं. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यह ज्योतिर्लिंग लंकापति रावण द्वारा यहां लाया गया था.
कन्या राशि – भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग 
कन्या राशि वाले जातकों को भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. महाराष्ट्र में भीमा नदी के किनारे बसा भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग कन्या राशि का ज्योर्तिलिंग हैं. इस राशि वाले भीमाशंकर को प्रसन्न करने के लिए दूध में घी मिलाकर शिवलिंग को स्नान कराएं. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है. भारत के बारह ज्योतिर्लिंग में भीमाशंकर का स्थान छटवां है जो महाराष्ट्र के पूणे से लगभग 110 किमी दूर सहाद्रि नामक पर्वत पर स्थित है. श्रावण के महीने में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के दर्शन का महत्व बहुत बढ़ जाता है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से व्यक्ति को समस्त दु:खों से छुटकारा मिल जाता है. यह मंदिर अत्यंत पुराना और कलात्मक है. भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से बनी एक प्राचीन और नयी संरचनाओं का समिश्रण है.
तुला राशि – रामेश्वर ज्योतिर्लिंग 
तुला राशि वाले जातकों को रामेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. तमिलनाडु स्थित भगवान राम द्वारा स्थापित रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का संबंध तुला राशि से है. भगवन राम ने सीता की तलाश में समुद्र पर सेतु निर्माण के लिए इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी. महाशिवरात्रि के दिन इनके दर्शन से दांपत्य जीवन में प्रेम और सद्भाव बना रहता है. जो लोग इस दिन रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन नहीं कर सकें वह दूध में बताशा मिलाकर शिवलिंग को स्नान कराएं और आक का फूल शिव को अर्पित करें. रामेश्वरम/ रामलिंगेश्वर ज्योतिर्लिंग हिन्दुओं के चार धामों में से एक धाम है. यह तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित है. श्री रामेश्वर तीर्थ तमिलनाडु प्रांत के रामनाड जिले में है. मन्नार की खाड़ी में स्थित द्वीप जहां भगवान राम का लोक-प्रसिद्ध विशाल मंदिर है. श्री रामेश्वर जी का मंदिर एक हजार फुट लम्बा, छः सौ पचास फुट चौड़ा तथा एक सौ पच्चीस फुट ऊँचा है. 12 Jyotirling
वृश्चिक राशि – नागेश्वर ज्योतिर्लिंग 
वृश्चित राशि वाले जातक को गुजरात के द्वारका जिले में अवस्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. इस ज्योतिर्लिंग का संबंध वृश्चिक राशि से है. महाशिवरात्रि के दिन इनका दर्शन करने से दुर्घटनाओं से बचाव होता है. जो लोग इस दिन नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का दर्शन न कर सकें वह दूध और धान के लावा से शिव की पूजा करें. शिव को गेंदे का फूल, शमी एवं बेलपत्र चढाएं. वृश्चिक राशि के जातक ‘ह्रीं ओम नमः शिवाय ह्रीं’. मंत्र का जप करें. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में दसवें ज्योतिर्लिंग के रूप में विश्व भर में प्रसिद्ध है. नागेश्वर अर्थात नागों का ईश्वर और यह विष आदि से बचाव का सांकेतक भी है. यह प्रसिद्ध मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. यह मंदिर गुजरात के द्वारकापुरी से 25 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है. नागेश्वर मंदिर जिस जगह पर बना है वहां कोई गांव या बसाहट नहीं है.
धनु राशि – विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग 
धनु राशि के जातकों को वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध धनु राशि से है. इस राशि वाले व्यक्ति को सावन के महीने तथा महाशिवरात्रि के दिन गंगाजल में केसर मिलाकर शिव को अर्पित करना चाहिए. विल्वपत्र एवं पीला अथवा लाल कनेर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. धनु राशि के लिए शिव मंत्र –ओम तत्पुरूषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रूद्रः प्रचोदयात।।इस मंत्र से शिव की पूजा करें. काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध भगवान शिव का मंदिर है. यह ज्योतिर्लिंग उत्तर प्रदेश के वाराणसी के गंगा नदी के पश्चिमी तट पर अवस्थित है. दुनिया में यह सबसे पुराना जीवित शहर जो मंदिरों का शहर काशी कहा जाता है और इसलिए मंदिर लोकप्रिय काशी विश्वनाथ भी कहा जाता है. वाराणसी के पवित्र शहर में भीड़ गलियों के बीच स्थित है. मुक्ति पाने वाले यहां आते हैं तारक मंत्र लेकर प्रार्थना करते हैं भक्ति के साथ विश्वेश्वर पूजा जिससे सभी इच्छाओं और सभी सिद्धियां उपलब्ध होती है और अंत में मनुष्य मुक्त हो जाता है. 12 Jyotirling
मकर राशि – त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग 
मकर राशि के जातकों को त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग की पूजा करनी चाहिए. त्रयम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग का संबंध मकर राशि से है. यह ज्योर्तिलिंग नासिक में स्थित है. महाशिवरात्रि के दिन इस राशि वाले गंगाजल में गुड़ मिलाकर शिव का जलाभिषेक करना चाहिए. शिव को नीले का रंग फूल और धतूरा चढ़ाएं. मकर राशि के लिए मंत्र – त्रयम्बकेश्वर का ध्यान करते हुए ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का 5 माला जप करें. त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में त्रिम्बक शहर में है. यह नासिक शहर से 28 किलोमीटर दूर है. ज्योतिर्लिंग की अदभुत विशेषता भगवान ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव का प्रतीक तीन चेहरों के दर्शन होते हैं. इस प्राचीन मंदिर की स्थापत्य शैली पूरी तरह से काले पत्थर पर अपनी आकर्षक वास्तुकला और मूर्तिकला के लिए जाना जाता है. मंदिर लहरदार परिदृश्य और रसीला हरी वनस्पति की पृष्ठभूमि पर ब्रहमगिरि पर्वत श्रृंखला की तलहटी में स्थित है. गोदावरी जो भारत में सबसे लंबी नदी है के तीन स्त्रोत ब्रहमगिरि पर्वत से उत्पन्न होकर राजमहेंद्रु के पास समुद्र से मिलती है.
कुम्भ राशि – केदारनाथ ज्योतिर्लिंग 
कुम्भ राशि वाले जातकों को उत्तराखंड स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. केदारनाथ शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए. इसके बाद कमल का फूल और धतूरा चढ़ाएं. इस राशि के लोग अपने कार्य बिना किसी के मदद के करना चाहते हैं. गुस्सा रहता है. पर जल्दी ही शांत हो जाते हैं. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग हिमालय की बर्फ से ढके क्षेत्र में स्थित है. श्री केदारेश्वर केदार नामक एक पहाड़ पर और पहाड़ों के पूर्वी ओर नदी मंदाकिनी के स्त्रोत पर, हिमालय पर स्थित है, अलकनंदा बद्रीनारायण के तट पर स्थित है. यह जगह लगभग 253 किलोमीटर दूर हरिद्वार से और 229 किलोमीटर उत्तर ऋषिकेश की है. केदार भगवान शिव, रक्षक और विनाशक का दूसरा नाम है. केदारनाथ देश का हिमालय में सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण पाण्डवों ने करवाया था. यहां के मंदिर में अंदर की दीवारों पर विस्तृत नक्काशियां देखने को मिलेगी. शिवलिंग एक पिरामिड के रूप में है
मीन राशि -घृष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग 
मीन राशि वाले जातकों को महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित घृष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए. इस ज्योर्तिलिंग का संबंध मीन राशि से है. इस राशि वाले जातकों को सावन के महीने में दूध में केसर डालकर शिवलिंग को स्नान कराना चाहिए. स्नान के पश्चात शिव को गाय का घी और शहद अर्पित करें. कनेर का पीला फूल और विल्वपत्र शिव को चढ़ाना चाहिए. घृष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग 12वें ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध है. यह तीर्थ स्थल दौलताबाद (देवगिरि) से 30 किमी की दूरी पर स्थित है जो कि घृष्नेश्वर ज्योतिर्लिंग वेरूल नामक गांव में स्थित है. औरंगाबाद जो एलोरा गुफाओं के पास है. ऐतिहासिक मंदिर जो कि लाल चटटानों से निर्मित मंदिर जिसमें 5 परतों का सिकारा है. 12 ज्योतिर्लिंग अभिव्यक्ति में से एक के निवास के रूप में प्रतिष्ठित एक प्राचीन तीर्थ स्थान हैl 12 Jyotirling
द्वादशज्योतिर्लिंगस्तोत्रम्
सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम्।
भक्तिप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।1।।
जो भगवान् शंकर अपनी भक्ति प्रदान करने के लिए परम रमणीय व स्वच्छ सौराष्ट्र प्रदेश गुजरात में कृपा करके अवतीर्ण हुए हैं, मैं उन्हीं ज्योतिर्मयलिंगस्वरूप, चन्द्रकला को आभूषण बनाये हुए भगवान् श्री सोमनाथ की शरण में जाता हूं।
श्रीशैलशृंगे विबुधातिसंगे तुलाद्रितुंगेऽपि मुदा वसन्तम्।
तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेकं नमामि संसारसमुद्रसेतुम्।।2।।
ऊंचाई की तुलना में जो अन्य पर्वतों से ऊंचा है, जिसमें देवताओं का समागम होता रहता है, ऐसे श्रीशैलश्रृंग में जो प्रसन्नतापूर्वक निवास करते हैं, और जो संसार सागर को पार करने के लिए सेतु के समान हैं, उन्हीं एकमात्र श्री मल्लिकार्जुन भगवान् को मैं नमस्कार करता हूँ।
अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम्।।3।।
जो भगवान् शंकर संतजनों को मोक्ष प्रदान करने के लिए अवन्तिकापुरी उज्जैन में अवतार धारण किए हैं, अकाल मृत्यु से बचने के लिए उन देवों के भी देव महाकाल नाम से विख्यात महादेव जी को मैं नमस्कार करता हूं।
कावेरिकानर्मदयो: पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय।
सदैव मान्धातृपुरे वसन्तमोंकारमीशं शिवमेकमीडे।।4।।
जो भगवान् शंकर सज्जनों को इस संसार सागर से पार उतारने के लिए कावेरी और नर्मदा के पवित्र संगम में स्थित मान्धता नगरी में सदा निवास करते हैं, उन्हीं अद्वितीय ‘ओंकारेश्वर’ नाम से प्रसिद्ध श्री शिव की मैं स्तुति करता हूं।
पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसन्तं गिरिजासमेतम्।
सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि।।5।।
जो भगवान् शंकर पूर्वोत्तर दिशा में चिताभूमि वैद्यनाथ धाम के अन्दर सदा ही पार्वती सहित विराजमान हैं, और देवता व दानव जिनके चरणकमलों की आराधना करते हैं, उन्हीं ‘श्री वैद्यनाथ’ नाम से विख्यात शिव को मैं प्रणाम करता हूं।
याम्ये सदंगे नगरेतिऽरम्ये विभूषितांगम् विविधैश्च भोगै:।
सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये।।6।।
जो भगवान् शंकर दक्षिण दिशा में स्थित अत्यन्त रमणीय सदंग नामक नगर में अनेक प्रकार के भोगों तथा नाना आभूषणों विभूषित हैं, जो एकमात्र सुन्दर पराभक्ति तथा मुक्ति को प्रदान करते है, उन्हीं अद्वितीय श्री नागनाथ नामक शिव की मैं शरण में जाता हूं।
महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः।
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै: केदारमीशं शिवमेकमीडे।।7।।
जो भगवान् शंकर पर्वतराज हिमालय के समीप मन्दाकिनी के तट पर स्थित केदारखण्ड नामक श्रृंग में निवास करते हैं, तथा मुनीश्वरों के द्वारा हमेशा पूजित हैं, देवता-असुर, यक्ष-किन्नर व नाग आदि भी जिनकी हमेशा पूजा किया करते हैं, उन्हीं अद्वितीय कल्याणकारी केदारनाथ नामक शिव की मैं स्तुति करता हूं।
सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरीतीरपवित्रदेशे।
यद्दर्शनात् पातकमाशु नाशं प्रयाति तं त्रयम्बकमीशमीडे।।8।।
जो भगवान् शंकर गोदावरी नदी के पवित्र तट पर स्थित स्वच्छ सह्याद्रिपर्वत के शिखर पर निवास करते हैं, जिनके दर्शन से शीघ्र सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, उन्हीं त्रयम्बकेश्वर भगवान् की मैं स्तुति करता हूं।
सुताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसंख्यै:।
श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि।।9।।
जो भगवान् शंकर सुन्दर ताम्रपर्णी नामक नदी व समुद्र के संगम में श्री रामचन्द्र जी के द्वारा अनेक बाणों से या वानरों द्वारा पुल बांधकर स्थापित किये गये हैं, उन्हीं श्रीरामेश्वर नामक शिव को मैं नियम से प्रणाम करता हूं।
यं डाकिनीशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च।
सदैव भीमादिपदप्रसिद्धं तं शंकरं भक्तहितं नमामि।।10।।
जो भगवान् शंकर डाकिनी और शाकिनी समुदाय में प्रेतों के द्वारा सदैव सेवित होते हैं, अथवा डाकिनी नामक स्थान में प्रेतों द्वारा जो सेवित होते हैं, उन्हीं भक्तहितकारी भीमशंकर नाम से प्रसिद्ध शिव को मैं प्रणाम करता हूं।
सानन्दमानन्दवने वसन्तमानन्दकन्दं हतपापवृन्दम्।
वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।।11।।
जो भगवान् शंकर आनन्दवन काशी क्षेत्र में आनन्दपूर्वक निवास करते हैं, जो परमानन्द के निधान एवं आदिकारण हैं, और जो पाप समूह का नाश करने वाले हैं, ऐसे अनाथों के नाथ काशीपति श्री विश्वनाथ की मैं शरण में जाता हूं।
इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन् समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम्।
वन्दे महोदारतरं स्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शरणं प्रपद्ये॥ 12॥
जो इलापुर के सुरम्य मंदिर में विराजमान होकर समस्त जगत के आराधनीय हो रहे हैं, जिनका स्वभाव बड़ा ही उदार है, मैं उन घृष्णेश्वर नामक ज्योतिर्मय भगवान शिव की शरण में जाता हूं।
ज्योतिर्मयद्वादशलिंगकानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण।
स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च॥ 13॥
यदि मनुष्य क्रमपूर्वक कहे गये इन बारह ज्योतिर्लिंगों के स्तोत्र का भक्तिपूर्वक पाठ करे तो इनके दर्शन से होने वाले फल को प्राप्त कर सकता है। 12 Jyotirling