हनुमानजी संकट मोचक क्यों – Sankat Mochan Hanuman
Sankat Mochan Hanuman – हनुमानजी संकट मोचक क्यों गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की समस्त साधक एवं भक्त हनुमानजी को संकटमोचक के रूप में देखते हैं। जो भक्त संकट में होता है. राम का नाम लेता है, वहाँ हनुमानजी तत्काल पहुंच कर उसके संकट को दूर करते हैं। ऐसा क्यों है कि वे संकट को दूर करने वाले आराध्य यन गये ? संकट मोचक के रूप में उनकी पहचान क्यों बनी ? इस विषय पर विचार किया जान चाहिये। इसका सम्बन्ध श्रीराम के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। श्रीराम के राज्याभिषेक की तैयारियां हो रही थी। पूरी प्रजा प्रसन्न थी कि कल भगवान श्रीराम अयोध्या के राजा बन जायेंगे किन्तु तभी एक अप्रत्याशित घटना ने सारा दृश्य ही बदल दिया। Sankat Mochan Hanuman – हनुमानजी संकट मोचक क्यों राज्याभिषेक के स्थान पर उन्हें चौदह वर्ष का वनवास हुआ। पत्नी का धर्म निभाने के लिये सीताजी भी उनके साथ वन को जाने के लिये तत्पर हो गई। गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की छोटे भाई लक्ष्मण श्रीराम की सेवा के लिये उनके साथ चल दिये। वनवास के समय ही छल द्वारा रावण ने सीता का हरण कर लिया। फिर सुग्रीव के माध्यम से श्रीराम का हनुमानजी से परिचय हुआ। इसके पश्चात् अन्त तक हनुमानजी श्रीराम से अलग नहीं हुये और जितने भी प्रकार के संकट उन पर आये, उन सभी में वह संकट मोचक के रूप में आगे आये। Sankat Mochan Hanuman – हनुमानजी संकट मोचक क्यों
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