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सम्पूर्ण विद्या प्रदायक यन्त्र

सरस्वती बुद्धि प्रदान करने, शिक्षा और संगीत की संरक्षक देवी है। सम्पूर्ण विद्या प्रदायक यंत्र में 13 यन्त्र शामिल है अर्थात सरस्वती यंत्र 12 यंत्रो के बीच घिरा हुआ है, यह यंत्र इस प्रकार है – सूर्य यंत्र, शुक्र यंत्र, चंद्र यंत्र, मंगल यंत्र, गायत्री यंत्र, केतु यंत्र, राहु यंत्र, शनि यंत्र, गीता यंत्र, नवदुर्गा यंत्र, बृहस्पति यंत्र, बुद्ध यंत्र। श्री सम्पूर्ण विद्या दयाक यन्त्र बहुत शक्तिशाली यन्त्र है। इस यन्त्र की विशेषतया वो विधार्थी पूजा करते है, जो अपनी शिक्षा में असफल हुए है और उच्च शिक्षा और प्रतियोगिता में सफल होना चाहते है। यह यंत्र परीक्षा में सफलता, अध्ययन में एकाग्रता प्रदान करता है । यह उन लोगों के लिए के लिए बहुत जरूरी है, जो एक सुस्त विचारवाले हैं या उसे अपनी शिक्षा में अंतरग्रस्त होने से नुकसान उठा रहे है, और जो एक नीच बृहस्पति के बुरे प्रभावों से पीड़ित हैं। इस यंत्र को दूध और गंगा जल से धोने के बाद बुधवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर इसे अपने पूजा कक्ष में स्थापित करके इसके मंत्र को 108 बार जाप करना चाहिए। मंत्र: “ॐ श्री सरस्वत्यै नमः” यह विधार्थी की याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाता है. यह विशेष रूप से छात्रों के लिए बहुत उपयोगी है।

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