पारद लक्ष्मी गणेश
पारद लक्ष्मी गणेश :- पारद लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति हमें दोनों के आशीर्वाद प्रदान करती है, जिससे हमें कार्यों में सफलता, धन तथा जीवन में पूर्ण समृद्धि की उपलब्धि मिलती है। दीपावली के शुभ दिन इनकी स्थापना एवं पूजा करने से ये शीघ्र प्रसन्न होते है। दीपावली के दिन यदि कोई व्यक्ति अपने घर में विधिपूर्वक लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति एवं यंत्र की मंत्र से सम्यक प्राण-प्रतिष्ठा करके पूजा करता है, तो उसके जीवन में श्री महालक्ष्मी एवं गणेश जी की कृपा से कभी भी धन का अभाव नहीं होता है। दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में इन दोनों की युगल पूजा करने से सभी विघ्न-बाधाओं का शमन होता है। व्यापार एवं नौकरी में अच्छी तरक्की होती है। घर-परिवार में सुख, समृद्धि एवं मंगल का वास होता है। लक्ष्मी एवं गणेश जी का आर्थिक समृद्धि के लिए विशेष महत्व है। गणेश जी ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं सकल विघ्नों के विनाशक हैं, शुभ हैं। विशेष मंगल कारक हैं, इनकी कृपा से धन प्राप्ति में आने वाली संपूर्ण विघ्न-बाधाएं नष्ट होती हें, जिससे धनागम के द्वार खुल जाते हैं। श्री महालक्ष्मी त्रिशक्ति चंडी देवी का ही तीन स्वरूपों में एक स्वरूप हैं, इनकी गणेश जी के साथ संयुक्त रूप से अपने घर में पूजा करने से विशेष धन लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। पारद धातु स्वयं सिद्ध धातु होने से इस धातु से बनी देव मूर्तियों का विशेष पूजा प्राण प्रतिष्ठा आदि करने की आवश्यकता नहीं होती। इस धातु में बनी लक्ष्मी, गणेश की साथ-साथ पूजा करने से शीघ्र धन प्राप्ति के अवसर प्राप्त होते हैं। जीवन में उत्तरोत्तर धनवृद्धि होती है। घर में सभी प्रकार से सुख, शांति, समृद्धि बनी रहती है। पारद लक्ष्मी गणेश जी को अपने घर के अतिरिक्त व्यवसाय स्थल, फैक्ट्री, दुकान कार्यालय आदि में भी स्थापित कर सकते हैं। इनके प्रभाव से आमदनी में वृद्धि। व्यवसायिक संपर्कों में सुधार व्यापार में वृद्धि होकर ऐश्वर्याशाली जीवन व्यतीत होता है। पूजा एवं स्थापना विधि :- किसी भी सोमवार, बृहस्पति अथवा शुक्रवार के दिन प्रातःकाल के समय स्नान करके नित्य पूजा-पाठ आदि से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र धारण करके पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके किसी शुद्ध पात्र में पारद लक्ष्मी गणेश की मूर्तियों को लाल फूलों के आसन पर स्थापित करें। रोली, अक्षत, पुष्य, धूप, दीप से पूजन करके अपने घर के देव मंदिर में लाल कपड़े के आसन पर स्थापित करके नित्य दर्शन धूप, दीप से पूजन करें। सम्मुख बैठकर निम्न मंत्र की एक माला नित्य जप करें। मंत्र :- “ऊँ श्रीं गं गणपतये नमः” कमल गट्टे की माला : यह माला कमल के बीजों से निर्मित की जाती है। वेद, पुराण धर्मशास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी को कमल विशेष प्रिय है इनका आसन भी कमल पुष्प है, जिससे इनका एक नाम पद्मा भी है। स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए कमल गट्टे की माला पर लक्ष्मी मंत्र का जप शीघ्र सिद्धिदायक होता है। दीपावली की रात्रि में ऋण मोचन लक्ष्मी-गणेश की पूजा और साधना करके आप अपनी ऋण मुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकते हैं। दीपावली में अथवा ग्रहण काल में संकल्प लेकर साधक यह साधना प्रारंभ कर सकते हैं। दीपावली या ग्रहण के दिन साधक को प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। तत्पात पूर्व दिशा की ओर मुख कर स्वच्छ आसन पर बैठ जाएं। इसके बाद अपने सामने बाजोट पर एक लाल रंग का वस्त्र बिछाकर उस पर किसी पात्र में पारद लक्ष्मी गणेश स्थापित करें। फिर लक्ष्मी गणेश को कुमकुम से तिलक करें और धूप-दीप करें। इसके बाद कमलगट्टे की माला से 11 माला निम्न मंत्र का जाप करें। “नमो ही श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी गणेशाय मम गृहे धनं देहि चिन्तां दूरं करोति स्वाहा।” इसके अगले दिन पारद लक्ष्मी गणेश को अपने पूजा स्थल पर स्थापित कर दें। कमलगट्टे की माला और अन्य सामग्री को साधक किसी भिखारी या गरीब को दान-दक्षिणा के साथ दे दें। ऎसा करने से साधक की ऋण बाधा और दरिद्रता दान के साथ ही चली जाती है और उसके घर में लक्ष्मी का वास हो जाता है।