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हरियाली अमावस्या और वृक्ष पूजन 2018 – Pandit NM Shrimali

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हरियाली अमावस्या

हरियाली अमावस्या सावन मास में पड़ने वाली अमावस्या को कहते है , इसे श्रावणी अमावस्या भी कहते है क्योकि यह श्रावन मास में आती है | हरियाली अमावस्या हिन्दू धर्म का एक छोटा पर्व है परन्तु इसके महत्व बहुत अधिक है | यह मुख्यतः उत्तर भारत में ,मनाई जाती है | इसे हरियाली अमावस्या इसलिए कहते है क्योकि यह श्रावन मास में आती है तथा श्रावन मास हरियाली , बहार आदि का मास होता है | इस मास में प्रकृति में एक नवीनता आती है , चारो ओर हरियाली छाई हुई होती है , इसलिए इसे हरियाली नाम से जाना जाता है |

इस दिन कुछ स्थानों पर पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है | लोग हरे रंग के वस्त्र धारण करते है | मान्यता अनुसार इस दिन प्रत्येक व्यक्ति को एक पोधा अवश्य रोपना चाहिए | मान्यता है की इस पोधा रोपने से पुण्य की प्राप्ति होती है |

इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का भी विधान है | इस दिन कई क्षेत्रो में भगवान शिव का मेला भी लगता है | इस दिन यात्रा , परिक्रमा करने की प्रथा भी है |

हरियाली अमावस्या को अलग अलग स्थानों पर अलग अलग नाम से जाना जाता है जैसे ओडिशा में चिताऊ अमावस्या , केरल में करकट वबू , राजस्थान व दक्षीण भारत में हरियाली अमावस्या | इस दिन अमावस्या से उत्तर भारत और पूर्वांचल में कजरी गायन शुरू होता है |

इस दिन महिलाये व कन्याये मेहँदी व श्रृंगार करके झूलो पर झूलती है |

इस दिन ज्योतिष शास्त्र की दृष्टि में लगाये जाने वाले पोधे निम्न है –

1. लक्ष्मी प्राप्त के लिए- तुलसी, आँवला, केला , बिल्व वृक्ष

2. आरोग्य प्राप्त के लिए- ब्राह्मी, पलाश, अर्जुन, आँवला, सूरजमुखी, तुलसी

3. सौभाग्य प्राप्त हेतु- अशोक, नारियल, ब़ड (वट) का वृक्ष

4. संतान प्राप्त हेतु- पीपल, नीम, बिल्व, नागकेशर, गु़डहल, अश्वगन्धा

5. मेधा वृद्धि प्राप्त हेतु- आँक़डा, शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी, तुलसी

6. सुख प्राप्त के लिए- नीम, कदम्ब, धनी छायादार वृक्ष

7. आनन्द प्राप्त के लिए- हरसिंगार (पारिजात) रातरानी, मोगरा, गुलाब[/vc_column_text][/vc_column][/vc_row]

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