सम्पूर्ण काल सर्प दोष निवारण यन्त्र (Kaal Sarp Dosh Nivaran Yantra)
काल सर्प योग :- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सूर्य से लेकर शनि तक सभी ग्रह जब राहु और केतु के मध्य आ जाते हैं तो कालसर्प योग बन जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार जिस व्यक्ति की जन्म कुण्डली में यह योग होता है उसके जीवन में काफी उतार चढ़ाव आते रहते हैं। ज्योतिष के आधार पर काल सर्प दो शब्दों से मिलकर बना है – “काल और सर्प”। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार काल का अर्थ समय होता है और सर्प का अर्थ सांप इसे एक करके देखने पर जो अर्थ निकलकर सामने आता है वह है समय रूपी सांप। इस योग को ज्योतिषशास्त्र में अशुभ माना गया है। कालसर्प दोष :- कालसर्प एक अशुभ दोष है जो राहु-केतु की विशेष स्थिति से बनता है। राहु केतु का कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। राहु-केतु दोनों छाया गृह के नाम से जाने जाते है। यह दोनों छाया गृह किसी रूप में प्रमुख सात ग्रहों से कम नहीं हैं। शनि के बाद राहु ही वह ग्रह है कि जिसकी महादशा सबसे लम्बी होती है। माना जाता है कि राहु और केतु कुण्डली में तभी अशुभ होकर बैठता है जबकि पूर्व जन्म में आपने कुछ ग़लत कार्य किये हों। कुण्डली में कालसर्प दोष बनने का कारण भी पूर्व जन्म के कुछ पाप कर्मों को माना जाता है। जब राहु एवं केतु के मध्य दूसरे सारे गृह विराजमान हो जाते है इस स्थिति को कालसर्प योग की स्थिति कहा जाता है। इस दोष के प्रभाव में व्यक्ति के बनते हुए काम भी रुक जाते है। उसे जीवन में कई बाधाओ का सामना करना पड़ता है। उसे अपनी मेहनत का पर्याप्त फल प्राप्त नही होता है। उसे जीवन के हर क्षेत्र में निराशा का सामना करना पड़ता है। इसके निवारण हेतु सम्पूर्ण काल सर्प निवारण यन्त्र (Kaal Sarp Dosh Nivaran Yantra) का निर्माण किया गया है। सम्पूर्ण काल सर्प दोष निवारण यन्त्र :- सम्पूर्ण काल सर्प दोष निवारण यन्त्र (Kaal Sarp Dosh Nivaran Yantra) 13 यंत्रो से मिलकर बना है। ये यन्त्र है – 1. कुबेर यन्त्र 2. श्री श्री यन्त्र 3. श्री गणपति यन्त्र 4. श्री सम्पूर्ण महालक्ष्मी यन्त्र 5. सुख सम्रद्धि यन्त्र 6. महाम्रत्युन्जययंत्र 7. श्री शनि यन्त्र 8. श्री केतु यन्त्र 9. श्री राहू यन्त्र 10. वाहन दुर्घटना नाशक यन्त्र 11. दुर्गा बिस्सा यन्त्र 12. श्री महालक्ष्मी यन्त्र 13. काल सर्प योग निवारण यन्त्र इन सभी यंत्रो के समावेश से इस शक्तिशाली यन्त्र का निर्माण होता है। इस यन्त्र के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते है। यह यन्त्र काल सर्प दोष का निवारण कर देता है। उसके लिए आवश्यक है की यह यन्त्र पूर्ण प्राण प्रतिष्ठित, सिद्ध एवं अभिमंत्रित किया गया हो अन्यथा इस यन्त्र का प्रभाव निष्फल हो जाता है। जिस व्यक्ति को काल सर्प दोष हो उसे इस यन्त्र को सोमवार के दिन अपने पूजा कक्ष में स्थापित कर उस पर कच्चे दूध से अभिषेक कर उस पर चन्दन का लेप करने चाहिए। तत्पश्चात निम्न मंत्र का उच्चारण कर 11 से 21 बार जाप करना चाहिए। सम्पूर्ण काल सर्प दोष निवारण यंत्र (Kaal Sarp Dosh Nivaran Yantra) के लिए मंत्र :- “ॐ भुजन्गेशाये विद्महे, सर्प्रजय धिमही, तन्नो नागः प्रचोदयात।” इस यन्त्र की नियमित रूप से पूजा करने एवं उपर्युक्त मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाए दूर होती है। एवं उसे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आशातीत सफलता प्राप्त होती है। एवं काल सर्प दोष का प्रभाव दूर होने लगता है।