संतान प्राप्ति पूजा


संतान प्राप्ति पूजा – यह पूजा हमारे विधान पंडितों द्वारा की जाएगी। यह पूजा ऑनलाइन (वीडियो कॉल) या ऑफलाइन (आपके स्थान पर) की जा सकती है।

धर्मग्रंथों में संतान प्राप्ति में बाधा का मुख्य कारण : पूर्व जन्म में हुए सर्पशाप, पितृश्राप, माताश्राप, भ्राताश्राप, प्रेतश्राप या कुलदेवता श्राप आदि के चलते संतान विलंब से होती है या नहीं भी होती है

जन्मपत्रिका में पंचम भाव व पंचमेश संतान की दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है। संतान प्राप्ति का विचार अथवा इस विषय पर निर्णायक फल के लिए माता-पिता दोनों की जन्मपत्री के गृहों का देखना आवश्यक है। स्वस्थ, सुंदर व योग्य संतान प्राप्ति सभी माता-पिता की इच्छा होती है, परंतु पूर्व जन्मों के कर्म वर्तमान स्थिति में इन ग्रहों द्वारा आपको फल देने आते हैं। ऐसी स्थिती में आपका भाग्य कितना साथ देता है यह सब स्थिति जन्मपत्रिका के सही सही आंकलन से जाना जा सकता है। लग्नेश (लग्न का मालिक) पंचम में हो अथवा पंचमेश पंचम मान का अधिपति ग्रह भी वही हो यह एक योग है। अथवा पंचमेश केंद्र अथवा त्रिकोण में गया हो तो पुत्र सुख प्राप्त होता है।

संतानहीनता योग: काकबंधया योग यदि पंचमेश षष्ठ स्थान में तथा लग्नेश किसी भी भाव में मंगल से युक्त हो तो पहली संतान जीवित नहीं रहती तथा बाद में (जातक पुरुष हो तो उसकी पत्नि तथा स्त्री हो तो पति) आगे गर्भधारण नहीं करती, जिस स्त्री के जीवन में एक बार गर्भधारण हो तो वे काकबंध्या तथा कभी गर्भ न हो तो बंध्या होती है।

शास्त्रों में कहा गया है कि जिनकी कुण्डली में पितृ दोष होता है उन्हें संतान सुख में बाधा का सामना करना पड़ता है। कौए को भोजन देने से पितृगण प्रसन्न होते हैं और पितृ बाधा का प्रभाव कम होता है। शास्त्रों के अनुसार इसका कारण यह है कि पितृ पक्ष में पितरगण भी कौए के रूप में पृथ्वी पर विचरण करते हैं और अपने वंशजों द्वारा ब्राह्मण भोजन करवाने के बाद, ब्राह्मणों के जूठे पत्तलों से भोजन करते हैं जिससे उन्हें मुक्ति मिलती है।

संतान पक्ष में बाधा के योग –

-यदि पंचमेश पाप भाव (6,8,12) में हो तो संतान प्राप्ति में बाधा या विलम्ब होता है।
-छटे, आठवें और बारहवे भाव के स्वामी का पंचम भाव में बैठना संतान प्राप्ति को बाधित करता है।
-यदि पंचमेश नीच राशि में हो तो यह भी संतान सुख में बाधा डालता है।
-गुरु यदि पाप भाव (6,8,12) में हो तो संतान पक्ष से जुडी समस्याएं उपस्थित होती हैं।
-बृहस्पति है नीच राशि (मकर) में होना भी संतान सुख में कमी करता है।
-गुरु जब राहु के साथ होने से पीड़ित हो तो भी संतान सुख में बाधा या विलम्ब होता है।
-पंचम भाव में पाप ग्रहों , शत्रु राशि में बैठना , पंचम भाव में पाप योग बनना भी संतान प्राप्ति में बाधक बनता है।

जो व्यक्ति पूजा कर रहा है, पहले से ही पंडित उसके नाम पर संकल्प लेता है और जैसा कि हम सभी जानते हैं, भगवान गणेश की हर पूजा या शुभ कार्य हमेशा किया जाता है। तो संतान प्राप्ति पूजा भी भगवान गणेश के अभिषेक के साथ शुरू होती है, हमें पहले उन्हें प्रसन्न करने की आवश्यकता है।

पंडित जी पूजा के बाद 9 नवग्रहों की पूजा करेंगे और उसके बाद वह 12 देवी (माताओं) को प्रसन्न करेंगे , जिनमें से एक आपकी कुलदेवी होगी।

आखिर पूजा का मुख्य हवन शुरू होता है, जिसमें पंडित आपके लिए मंत्र जपने लगते हैं और आप हमारे पंडित जी से स्वाहा कहते रहते हैं। इस हवन में पूजा से संबंधित एक मंत्र शामिल है, और वे इसे स्वाहा के साथ जपते हैं।

प्रत्येक पूजा के बाद ग्राहक को पूजा के लिए घर पर रखने के लिए एक मुफ्त यंत्र मिलेगा।

पंडित एनएम श्रीमाली जी उचित संतान प्राप्ति पूजा के उपाय बताते हैं और उनका मार्गदर्शन करते हैं। यदि आप संतान प्राप्ति के लिए पूजा करना चाहते हैं तो भारत में ज्योतिषी पंडित एनएम श्रीमाली जी सबसे उत्तम विकल्प हैं।

पूजा के संबंध में किसी भी सहायता या भ्रम के लिए, नीचे क्लिक करके हमसे संपर्क करें। आप हमें इस नंबर पर व्हाट्सएप भी कर सकते हैं। हमारी टीम आपकी सहायता के लिए हमेशा मौजूद है।