शुक्र यंत्र :-
शुक्र यंत्र शुक्र ग्रह का यंत्र है| शुक्र को शुभ ग्रह भी कहते है | ग्रह मंडल में शुक्र को मंत्री पद प्राप्त है| यह वृष और तुला राशियों का स्वामी है |यह मीन राशि में उच्च का तथा कन्या राशि में नीच का माना जाता है | तुला 20 अंश तक इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है |शुक्र अपने स्थान से सातवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है और इसकी दृष्टि को शुभकारक कहा गया है |जनम कुंडली में शुक्र सप्तम भाव का कारक होता है | ग्रहों में शुक्र को विवाह व वाहन का कारक ग्रह कहा गया है। इसलिये वाहन दुर्घटना से बचने के लिये भी ये उपाय किये जा सकते है। शुक्र के उपाय करने से वैवाहिक सुख की प्राप्ति की संभावनाएं बनती है। वाहन से जुडे मामलों में भी यह उपाय लाभकारी रहते है। शुक्र के अन्य उपायों में शुक्र यन्त्र का निर्माण करा कर उसे पूजा घर में रखने पर लाभ प्राप्त होता है। शुक्र यन्त्र की पहली लाईन के तीन खानों में 11,6,13 ये संख्याये लिखी जाती है। मध्य की लाईन में 12,10, 8 संख्या होनी चाहिए, तथा अन्त की लाईन में 07,14,9 संख्या लिखी जाती है। शुक्र यन्त्र में प्राण प्रतिष्ठा करने के लिये किसी जानकार पण्डित की सलाह ली जा सकती है।
यन्त्र पूजा घर में स्थापित करने के बाद उसकी नियमित रुप से साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। मन्त्र:- 1. ॐ ह्रीं श्रीं शुक्राय नम: ! 2. ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: ! 3. ह्रीं हिमकुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम ! सर्व शास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम !! जप संख्या : १६००० किसी भी शुक्रवार के दिन शुभ मुहुर्त में भोजपत्र पर सफ़ेद चंदन से इस यन्त्र की रचना करे।अग्निदिशा के वास्तुदोष निवारण के लिये शुक्र यन्त्र की स्थापना अवश्य करे। शुक्र की वस्तुओं से स्नान:- पंडित एन. एम. श्रीमाली जी के अनुसार ग्रह की वस्तुओं से स्नान करना उपायों के अन्तर्गत आता है। शुक्र का स्नान करते समय जल में बडी इलायची डालकर उबाल कर इस जल को स्नान के पानी में मिलाया जाता है। इसके बाद इस पानी से स्नान किया जाता है. स्नान करने से वस्तु का प्रभाव व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रुप से पडता है तथा शुक्र के दोषों का निवारण होता है।यह उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए तथा उपाय करने की अवधि के दौरान शुक्र देव का ध्यान करने से उपाय की शुभता में वृ्द्धि होती है. इसके दौरान शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहयोग प्राप्त होता है।
शुक्र की वस्तुओं का दान:- शुक्र की दान देने वाली वस्तुओं में घी व चावल का दान किया जाता है। इसके अतिरिक्त शुक्र क्योकि भोग-विलास के कारक ग्रह है, इसलिये सुख- आराम की वस्तुओं का भी दान किया जा सकता है। बनाव श्रंगार की वस्तुओं का दान भी इसके अन्तर्गत किया जा सकता है। दान क्रिया में दान करने वाले व्यक्ति में श्रद्धा व विश्वास का होना आवश्यक है, तथा यह दान व्यक्ति को अपने हाथों से करना चाहिए। दान से पहले अपने बडों का आशिर्वाद लेना उपाय की शुभता को बढाने में सहयोग करता है। शुक्र मन्त्र का जाप:- शुक्र के इस उपाय में निम्न श्लोक का पाठ किया जाता है:- “ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा।”
पंडित एन. एम. श्रीमाली जी के अनुसार शुक्र के अशुभ गोचर की अवधि या फिर शुक्र की दशा में इस श्लोक का पाठ प्रतिदिन या फिर शुक्रवार के दिन करने पर इस समय के अशुभ फलों में कमी होने की संभावना बनती है। मुंह के अशुद्ध होने पर मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। ऎसा करने पर विपरीत फल प्राप्त हो सकते है। वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिये इस श्लोक का जाप करना लाभकारी रहता है। वाहन दुर्घटना से बचाव करने के लिये यह मंत्र लाभकारी रहता है।