शिव को क्यों लेना पड़ा अर्धनारीश्वर रूप – Ardhnareshwer Formation
Ardhnareshwer Formation – शिव को क्यों लेना पड़ा अर्धनारीश्वर रूप गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप के आधे भाग में पुरुष रूपी शिव का वास है तो आधे हिस्से में स्त्री रूपी शिवा यानि शक्ति का वास है। भगवान शिव ने यह रूप ब्रह्मा जी के सामने लिया था। मान्यता है कि शिव और शक्ति को एक साथ प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव के इस स्वरूप की आराधना की जाती है। भगवान शिव को कई अलग-अलग रूपों में पूजा जाता है। उन्हीं रूपों में से एक है गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की उनका अर्धनारीश्वर रूप। भगवान शंकर के अर्धनारीश्वर अवतार में शिव का आधा शरीर स्त्री और आधा शरीर पुरुष का है। शिव का यह अवतार स्त्री और पुरुष की समानता को दर्शाता है।Ardhnareshwer Formation – शिव को क्यों लेना पड़ा अर्धनारीश्वर रूप शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव ने ये रूप अपनी मर्जी से धारण किया था। जानिए शिव के इस रूप से जुड़ी पौराणिक कथा…
Ardhnareshwer Formation – शिव को क्यों लेना पड़ा अर्धनारीश्वर रूप गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की पौराणिक कथा के अनुसार ब्रह्मा जी को सृष्टि के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था, तब तक भगवान शिव ने सिर्फ विष्णु और ब्रह्मा जी को ही अवतरित किया था और किसी भी नारी की उत्पत्ति नहीं हुई थी। जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का काम शुरु किया, तब उन्हें ज्ञात हुआ कि उनकी ये सारी रचनाएं तो जीवनोपरांत नष्ट हो जाएंगी और हर बार उन्हें नए सिरे से सृजन करना होगा। गहन विचार के उपरांत भी वो किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँच पाए। तब अपने समस्या के सामाधान के लिए वो शिव की शरण में गए। उन्होंने शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया। ब्रह्मा के कठोर तप से शिव प्रसन्न हुए और ब्रह्मा जी की समस्या के समाधान हेतु शिव अर्धनारीश्वर स्वरूप में प्रकट हुए। जब उन्होंने इस स्वरूप में दर्शन दिया तब उनके शरीर के आधे भाग में साक्षात शिव नजर आए और आधे भाग में स्त्री रूपी शिवा यानि शक्ति। गुरु माँ निधि श्रीमाली जी ने बताया है की अपने इस स्वरूप के दर्शन से भगवान शिव ने ब्रह्मा को प्रजनन शील प्राणी के सृजन की प्रेरणा दी। Ardhnareshwer Formation – शिव को क्यों लेना पड़ा अर्धनारीश्वर रूप उन्होंने ब्रह्मा जी से कहा कि मेरे इस अर्धनारीश्वर स्वरूप के जिस आधे हिस्से में शिव है वो पुरुष है और बाकी के आधे हिस्से में जो शक्ति है वो स्त्री है। आपको स्त्री और पुरुष दोनों की मैथुनी सृष्टि की रचना करनी है, जो प्रजनन के जरिए सृष्टि को आगे बढ़ा सके। इस तरह शिव से शक्ति अलग हुईं और फिर शक्ति ने अपनी मस्तक के मध्य भाग से अपनी ही तरह कांति वाली एक अन्य शक्ति को प्रकट किया। इसी शक्ति ने फिर दक्ष के घर उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया, जिसके बाद से मैथुनी सृष्टि की शुरुआत हुई।
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