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शनि यन्त्र – PANDIT NM SHRIMALI

शनि यन्त्र

शनि यन्त्र:- शनि ग्रह की पीड़ा से ग्रस्त लोगो के लिए एक चमत्कारी अद्भुत यन्त्र जिसकी पूजा करने से शनि ग्रह से सम्बंधित सभी परेशानिया दूर होती है। इस यन्त्र को शनि कृपा यन्त्र भी कहा जाता है। इसे शनिवार के दिन अपने घर में स्थापित करे, और तेल का दीपक ४० दिन तक जलाये। आप खुद अपने जीवन में फर्क महसूस करेंगे। अगर आप शनि ग्रह सम्बन्धी किसी बाधा से परेशान नहीं भी है, तो भी आप इस यंत्रराज की पूजा करेंगे तो आपको शनि देव की कृपा सहज में प्राप्त होगी। शनि यंत्र त्रिलोह या लोहे में बनाया जाता है। इसके लिए सबसे उत्तम मुहूर्त शनि रोहिणी अमृत सिद्ध योग एवं शानिपुष्य है, इसके अंको का कुल योग 33 होता है। इस यंत्र को सिद्ध करने के लिए शनि मंत्र के २३ हज़ार जप करने चाहिए। जप के दशांश हवन, मार्जन, तर्पण एवं ब्राह्मण भोजन करना चाहिए। मंत्र :- “ओम खां खीं खौं स: शनैश्चराय नम:” शनि के दोषों को दूर करता है शनि यंत्र:- यंत्रों का विधिवत पूजन करने से अशुभ ग्रह भी शुभ फल देने लगता हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आपकी कुंडली में शनि अशुभ है, तो आपको हर कार्य में असफलता ही हाथ लगती है या सोचे गए कार्य देर से होते हैं। कभी वाहन दुर्घटना, कभी यात्रा स्थागित तो कभी क्लेश आदि से परेशानी बढ़ती जाती है। ऐसी स्थिति में ग्रह पीड़ा निवारक शनि यंत्र की पूजा प्रतिष्ठा करने से अनेक लाभ मिलते हैं। यदि किसी व्यक्ति पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है, तो शनि यंत्र की पूजा करना बहुत लाभदायक होता है। ऐसे करें पूजा:- श्रद्धापूर्वक इस यंत्र की प्रतिष्ठा करके प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं। नीला या काला पुष्प चढ़ाएं ऐसा करने से लाभ होगा। इसके साथ ही प्रतिदिन शनि स्त्रोत का पाठ करें। मृत्यु, कर्ज, मुकद्दमा, हानि, क्षति, पैर आदि की हड्डी तथा सभी प्रकार के रोग से परेशान लोगों के लिए शनि यंत्र की पूजा फायदेमंद होती है। नौकरी पेशा लोगों को उन्नति भी शनि द्वारा ही मिलती है अत: यह यंत्र बहुत उपयोगी है। शनि ग्रह की शान्ति के उपाय:- पंडित एन. एम. श्रीमाली जी के अनुसार सभी ग्रहों में शनि को सबसे अधिक कष्ट देने वाला ग्रह कहा गया है। जब गोचर में शनि किसी व्यक्ति के लिये शुभ न चल रहे हो या फिर शनि की साढेसाती चल रही हो तथा शनि की ढैय्या में भी ये उपाय किये जा सकते है। शनि की महादशा में मानसिक कष्टों से गुजरने वाले व्यक्तियों के लिये शनि के उपाय इन कष्टों में कमी करने में सहयोग करते है। ज्योतिष शास्त्र में ऎसा कहा जाता है, कि “भला ऎसा कौन है जिसे शनि की साढेसाती में दु:ख का सामना नहीं करना पडा हों” शनि के उपाय श्रद्धा व विश्वास से करने पर व्यक्ति को दु:खों से मुक्ति मिलती है। 1. प्रतिदिन घर मे गुग्गल-धूप जलाएं और सायंकाल के समय लोबान युक्त बत्ती सरसों तेल के दीये में डालकर तुलसी या पीपल की जड़ में दीपक जलाएं। 2. शनिवार को कच्चे सूत को सात बार पीपल के पेड़ में लपेटे। 3. बन्दरों को गुड़-चना, भैंसे को उड़द के आटे की रोटी और दूध में आटा गूंथ कर रोटी बनाकर मोरों को खिलाएं। 4. जटायुक्त कच्चे नारियल सिर के ऊपर से 11 बार उतार कर 11 नारियल बहते जल में प्रवाहित करें। 5. काले वस्त्र कम्बल सतनाजे से तुलादान एवं छाया पात्र दान करें। 6. माफिक आए तो 7 रत्ती का शुद्व नीलम रत्न धारण करें। 7. आर्थिक हानि अथवा रोग से बचने के लिए शनियंत्र युक्त बाधामुक्ति ताबीज और घर में अभिमंत्रित शनियंत्र रखकर उस पर तिल और सरसों के तेल का नित्य अभिषेक करें। 8. महामृत्युंजय का जप व हनुमान चालीसा का पाठ भी शनि बाधा को शान्त करता है। 9. शनि की शांति के लिए कुछ वैदिक बीज मंत्र भी हैं, जो कि नियमित रूप से संध्या पूजा में शामिल किए जा सकते हैं। शनि स्नान उपाय:- इस उपाय को करने के लिये स्नान के जल में काले तिल डालकर स्नान करना चाहिए। यह स्नान कार्य शनिवार को करने पर विशेष शुभ फल प्राप्त होने की संभावना बनती है। इस योग को करते समय व्यक्ति को शनि देव का ध्यान करना लाभकारी रहता है। इसके अलावा शनि स्नान करते समय शनि के मंत्र का जाप करने पर इस शुभता में वृ्द्धि होती है। शनि स्नान उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। उपाय वाले दिन किसी से झूठ न बोले व किसी को धोखा नही दे। इस दिन जहां तक हो सके किसी का अहित करना भी हितकारी नहीं रहता है। शनि की वस्तुओं का दान:- शनि के उपायों में शनि की वस्तुओं से स्नान करने के अलावा इसकी वस्तुओं का दान करना भी शनि के अशुभ फलों में कमी करता है। शनि के लिये दान के लिये ली जाने वाली वस्तुओं में साबुत उडद व सरसों का तेल दान करना चाहिए। दान प्रक्रिया गुप्त रुप से करने पर दान की शुभता में वृ्द्धि होती है। यह दान शनि के मन्दिर में किया जा सकता है, या फिर किसी जरूरमंद को भी यह दान दिया जा सकता है। शनि मंत्र का जाप करना:- शनि के इस उपाय में शनि मंत्र का जाप किया जा सकता या फिर हनुमान चालिसा का पाठ करना भी लाभकारी रहता है। शनि मंत्र इस प्रकार है :- ” ऊँ शं शनिश्चाराये नम:” इस मंत्र का जप प्रतिदिन या फिर शनिवार के दिन करना व्यक्ति के लिये लाभकारी रहता है। शनि की साढेसाती में शनि मंत्र का जप करने पर व्यक्ति के इस अवधि की परेशानियों में कमी होती है। शनि मंत्र का जप करने पर व्यक्ति में दु:खों को सहने की शक्ति आती है। शनि यन्त्र धारण करना:- पंडित एन. एम. श्रीमाली जी के अनुसार शनि यन्त्र की स्थापना करने के लिये शनि यन्त्र की पूजा, अभिमंत्रित, प्राण प्रतिष्ठा करानी चाहिए। उसके बाद इस यन्त्र को धारण करना चाहिए। इस यन्त्र की प्रथम पक्ति के तीन खानों में 12,7,14 ये संख्याये आती है, मध्य की लाईन में 13, 11, 9 लिखा जाता है, तथा अन्तिम तीन खानों में 8,15,10 ये संख्याये लिखी जाती है, इस यन्त्र की सभी लाईनों का योग 33 होता है। ग्रहों में शनि को सबसे मन्द गति ग्रह कहा जाता है। इसलिये शनि के गोचर या फिर उसकी दशा के प्रभाव मन्द गति से तथा लम्बे समय तक प्राप्त होते है। जब कोई व्यक्ति निराशा या फिर मानसिक कष्टों की स्थिति से गुजर रहा है, उस स्थिति में शनि के उपाय करने से व्यक्ति में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है। शनि का प्रभाव कैसे होता है:- 1. शनि के चार पाये यानी पाद लौह, ताम्र, स्वर्ण, और रजत होते हैं। 2. गोचर में जिन राशियों पर शनि सोना या स्वर्ण और लोहपाद से चल रहा है, उनके लिए शनि का प्रभाव अच्छा नहीं माना जाता। 3. जिन पर शनि चांदी या तांबे के पाये से चल रहा है, उनको फल कुछ अच्छे और कुछ बुरे रूप से मिलते हैं। 4. शनि अपना प्रभाव 3 चरणों में दिखाता है, जो साढ़े सात सप्ताह से आरंभ होकर साढ़े सात वर्ष तक लगातार जारी रहता है।

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