वास्तु शांति पूजा
वास्तु शांति पूजा :- “वास्तु” का अर्थ है :- मनुष्य और भगवान का रहने का स्थान। वास्तु शास्त्र प्राचीन विज्ञान है जो सृष्टि के मुख्य तत्वों के द्वारा निःशुल्क देने में आने वाले लाभ प्राप्त करने में मदद करता है। ये मुख्य तत्व हैं :- आकाश, पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु। वास्तु शांति यह वास्तव में दिशाओं का, प्रकृति के पांच तत्वों के, प्राकृतिक स्त्रोंतों और उसके साथ जुड़ी हुइ वस्तुओं के देव हैं। हम प्रत्येक प्रकार के वास्तु दोष दूर करने के लिए वास्तु शांति करवाते हैं।नए घर में प्रवेश से पूर्व वास्तु शांति अर्थात यज्ञादि धार्मिक कार्य अवश्य करवाने चाहिए। वास्तु शांति कराने से भवन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है, तभी घर शुभ प्रभाव देता है। जिससे जीवन में खुशी व सुख-समृद्धि आती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार मंगलाचरण सहित वाद्य ध्वनि करते हुए कुलदेव की पूजा व बडो का सम्मान करके और ब्राह्मणों को प्रसन्न करके गृह प्रवेश करना चाहिए। आप जब भी कोई नया घर या मकान खरीदते है तो उसमे प्रवेश से पहले उसकी वास्तु शांति करायी जाती है। जाने अनजाने हमारे द्वारा खरीदे या बनाये गये मकाने में कोई भी दोष हो तो उसे वास्तु शांति करवा के दोष को दूर किया जाता है। इसमें वास्तु देव का ही विशेष पूजन किया जाता है। अगर घर पुराना है तो हो सकता है कि वह वास्तु के अनुसार उचित तरीके से नही बना हो तो भी नकारात्मकता से बचने के लिए हमें वास्तु पूजा अवश्य करवानी चाहिए। यदि हमारा कार्यस्थल अर्थात ऑफिस वास्तु शास्त्र के अनुसार निर्मित न हो अर्थात उसमे वास्तु दोष हो तो हमें व्यापार में भी उचित लाभ प्राप्त नही होता एवं हमें नुकसान का सामना करना पड़ता है। अतः अत्यंत आवश्यक है की हम वास्तु शांति पूजा अवश्य करवाये ताकि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो एवं व्यापार में लाभ प्राप्त हो। अतः वास्तु पूजा से वास्तुदेव हम पर प्रसन्न होते है। और सभी क्षेत्र में आने वाली बाधाये दूर होती है। एवं जीवन में हम सफलता के पथ पर अग्रसर होते जाते है।