मोती शंख
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मोती शंख :- मोती शंख साधारणतया गोल आकर का होता है, इसमें एक सफ़ेद धारी होती है जो ऊपर से नीची तक खींची होती है। तथा पूरा शंख एक मोती की तरह चमकता है। यह बहुत ही दुर्लभ किस्म का शंख है। इस शंख का उपयोग ज्यादातर ऐसे व्यक्ति करते है, जो सन्यास के मार्ग पर चल रहे है। इस शंख के माध्यम से उन्हें अपने ध्यान, योग आदि में बहुत सहायता मिलती है। वैसे तो दक्षिणावर्ती शंख साधना के लिए उत्तम माना जाता है। परन्तु मोती शंख और भी महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन यह बहुत दुर्लभ होता है। और इस शंख में माँ लक्ष्मी का वास होता है, जो धन और सम्पत्ति की देवी मानी जाती है। इसीलिए इस शंख को अपने घर में रखना बहुत ही उत्तम होता है। आयुर्वेद में मोती शंख बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। रात को शंख में थोड़ा सा पानी डालकर रख दें और सुबह उसे अपनी त्वचा पर लगाएं तो त्वचा की सभी बीमारियाँ दूर हो जाती है। यदि त्वचा पर सफेद दाग है, तो शंख में थोड़ा पानी डालकर 12 घंटे तक रखें। उसके बाद उसे निकालकर त्वचा पर लगाएं, कुछ दिनों तक इस क्रिया को दोहराने से सफेद दाग दूर हो जाते हैं। पेट की समस्या हो तो 12 घंटे तक शंख में रखा हुआ पानी सुबह-सुबह एक चम्मच पीयें। इस क्रिया को कुछ दिन तक दोहराने से पेट की सारी समस्या दूर हो जाती है। इस पानी का उपयोग आंखों में करने से आंखों की समस्या भी धीरे-धीरे दूर हो जाती है। मोती शंख के आर्थिक लाभ :- सुबह-सुबह शंख में से थोड़ा सा पानी लेकर एक बाल्टी पानी में डाल दें, उस पानी से नहाने से यश और भाग्य में वृद्धि होती है। अपने घर आफिस या कार्यक्षेत्र में इस शंख को रखने से आर्थिक परेशानी दूर हो जाती है। व्यक्ति धन तथा यश को प्राप्त करता है। जिनके पास कभी भी पैसा नहीं टिकता है, वे कितना भी कोशिश कर लें मगर पैसा आते ही चला जाता है। ऐसे लोगों के घरों में बरकत भी नहीं होती तथा उन्हें हमेशा पैसों की तंगी रहती हैं। जिस व्यक्ति के साथ यह समस्या रहती है तो इसका निदान मोती शंख से संभव है। मोती शंख का सही विधि-विधान से पूजन कर यदि तिजोरी में रखा जाए तो घर, कार्यस्थल, व्यापार स्थल और भंडार में पैसा टिकने लगता है तथा आमदनी बढऩे लगती है। मोती शंख धारण करने की विधि : – किसी बुधवार को सुबह स्नान कर साफ कपड़े में अपने सामने इस शंख को रखें और उस पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बना दें। इसके बाद नीचे लिखे मंत्र का जप करें – “श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:”। मंत्र का जप स्फटिक माला से करें। मंत्रोच्चार के साथ एक-एक चावल इस शंख में डालें। इस बात का ध्यान रखें की चावल टूटे हुए ना हो। पंडित एन. एम. श्रीमाली जी के अनुसार इस विधि को लगातार ग्यारह दिनों तक करें। इस प्रकार रोज एक माला का जप करें। उन चावलों को एक सफेद रंग के कपड़े की थैली में रखें और ग्यारह दिनों के बाद चावल के साथ शंख को भी उस थैली में रखकर तिजोरी में रखें। कुछ ही दिनों में आपके धन-वैभव में वृद्धि होने लगेगी। जिससे पैसा आएगा भी और टिकेगा भी।
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